मुंबई: भाजपा और शिवसेना एक बार फिर से आमने-सामने हैं, और इस बार मुद्दा यह है कि उनमें से किसे महाराष्ट्र में बने 701 किलोमीटर लंबे मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के लिए श्रेय लेना चाहिए?
नागपुर और शिरडी को जोड़ने वाले इस छह लेन वाले समृद्धि महामार्ग के पहले हिस्से को मई में आम जनता के लिए खोले जाने की उम्मीद है.
एक्सप्रेस-वे को लेकर हो रही यह रस्साकशी कुछ दिनों पहले उद्घाटन की गई मुंबई मेट्रो की दो लाइनों के लेकर इन दो पूर्व सहयोगियों के बीच श्रेय लेने के लिए मची होड़ वाले रास्ते पर ही जा रही है.
मंगलवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए, महाराष्ट्र भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कोई भी उनका नाम नागपुर-मुंबई समृद्धि सुपर एक्सप्रेस-वे से अलग नहीं कर सकता है. उन्होंने ऐसा यह दावा करते हुए कहा कि इस सड़क का निर्माण उनका विचार था और उनका नाम ‘इस परियोजना से मिटाया नहीं जा सकता’.
I had in mind the idea & concept of Samruddhi Super Expressway since 20 years.
When people of Maharashtra gave me the opportunity, I could execute it.
But I’m more happy today to see that people who opposed it then, are now getting impatient to inaugurate it !#Nagpur pic.twitter.com/PDeuKkFIso— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) April 5, 2022
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के लिए श्रेय लेने के शिवसेना के प्रयास व्यर्थ साबित होंगे.
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यह कहते हुए कि सभी लंबित कामों के पूरा हो जाने के बाद ही इस एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि उन्हें आज खुशी है कि जिन लोगों ने कभी इस परियोजना का विरोध किया था, वे ही अब इसका उद्घाटन करने के लिए बेक़रार हो रहे हैं.
2016 में जब मुंबई-नागपुर परियोजना की अवधारणा तैयार की गई थी, तो शिवसेना शुरू में इस विचार का विरोध कर रही थी, और वह उन किसानों के समर्थन में सामने भी आई थी जो कथित तौर पर इस परियोजना के लिए उनकी भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ थे.
हालांकि, 2017 में शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया था कि उनकी पार्टी ‘समृद्धि महामार्ग के खिलाफ कभी नहीं थी’ और वह ‘केवल किसानों के हितों की रक्षा करना चाहती थी’. उस समय भाजपा और शिवसेना दोनों फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में गठबंधन वाले सहयोगी थे. राज्य में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद यह गठबंधन खत्म हुआ.
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने इसी गठबंधन की ओर इशारा करते हुए फडणवीस द्वारा समृद्धि महामार्ग के श्रेय लेने के दावों के खिलाफ जवाबी हमला बोला. सावंत ने कहा, ‘कृपया देवेंद्र फडणवीस से पूछिए कि क्या वह सिर्फ भाजपा के मुख्यमंत्री थे या पूरे गठबंधन के मुख्यमंत्री? काम सरकार ने शुरू किया था, एक व्यक्ति ने नहीं.’
मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे, जिसे 2002 में आम जनता के लिए खोला गया था, का जिक्र करते हुए सावंत ने कहा, ‘गडकरी (भाजपा नेता और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी) इसके लिए श्रेय का दावा करते नहीं घूमते हैं. यह उन्हें वैसे ही मिल जाता है क्योंकि कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि यह एक्सप्रेस-वे उनके कार्यकाल (राज्य पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में) के दौरान बनाया गया था. लेकिन वे इसका श्रेय बालासाहेब ठाकरे को भी देते हैं (जिन्होंने इस एक्सप्रेस-वे की अवधारणा तैयार की थी, जो महाराष्ट्र में इस तरह का पहला काम था), क्योंकि यह (भाजपा और शिवसेना की) गठबंधन सरकार थी.’
शिवसेना सांसद ने यह भी कहा कि उनके (देवेंद्र फडणवीस के) द्वारा भूमिगत मेट्रो कार शेड के लिए मुंबई के कांजुरमार्ग में भूमि के उपयोग का विरोध करने के विपरीत उनकी पार्टी परियोजनाओं को टालने की बजाय उन्हें आगे ले जा रही है.
हालांकि, केंद्र सरकार और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार दोनों ने इस भूमि के स्वामित्व का दावा किया है, मगर इस परियोजना को हरित कार्यकर्ताओं (ग्रीन एक्टिविस्ट) की नाराजगी भी उठानी पड़ी है.
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श्रेय के लिए लड़ाई
भाजपा और शिवसेना उन दो मुंबई मेट्रो लाइनों के श्रेय के लिए भी आपस में जूझ रहे हैं, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को किया था.
इन दोनों लाइनों (मुंबई के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में लिंक रोड और वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के साथ चलने वाली लाइन) की घोषणा 2014 और 2019 के बीच फडणवीस के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री के तौर पर की गई थी.
भाजपा ने मुंबई में इन दो मेट्रो लाइनों के लिए फडणवीस को धन्यवाद देते हुए पोस्टर लगाए, और इसकी महाराष्ट्र इकाई ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें दावा किया गया था कि ‘शिवसेना की अक्षमता और भ्रष्टाचार’ के कारण ‘मेट्रो परियोजनाओं में देरी हुई’.
ठाकरे ने शनिवार को परियोजनाओं में देरी होने के बारे में भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ‘उन्हें (भाजपा को) देखना चाहिए कि उन्होंने जो काम शुरू किया, उसे हमने आगे बढ़ाया है.’
उन्होंने कहा, ‘हमने उनके द्वारा शुरू किए गए किसी भी काम को कभी नहीं रोका. लेकिन अगर श्रेय देना ही है, तो मैं इसे मुंबईकरों और उनके प्रयासों को देना चाहूंगा जो अब फल दे रहे हैं.‘
फडणवीस का कार्यकाल और समृद्धि महामार्ग का श्रेय
2014 में, जब फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला, तो उन्होंने शहरी विकास विभाग अपने पास रखा. 2014 और 2019 के बीच फडणवीस ने कई ऐसे ढांचागत और शहरी विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जिनकी अवधारणा पिछले कांग्रेस-एनसीपी शासन के दौरान तैयार की गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री ने खुद को महाराष्ट्र में विकास के चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश की.
उनके अधीन शुरू की गई परियोजनाओं में से एक मुंबई की मेट्रो लाइनों का विस्तार था. करीब दो दशक से पाइपलाइन में अटकी हुई प्रस्तावित नवी मुंबई हवाईअड्डा परियोजना पर इसके विकास के पहले कार्य भी उनके कार्यकाल में ही शुरू हुआ.
मुंबई में बीडीडी चॉल के महत्वाकांक्षी-लेकिन-विलंबित पुनर्विकास काम पर भी फडणवीस ने ही जोर लगाया और इस पर काम आखिरकार इस साल की शुरुआत में शुरू हुआ.
फडणवीस के कार्यकाल के दौरान जिस अन्य बिग-टिकट (बड़े महत्व वाली) परियोजना की परिकल्पना की गई थी, वह थी 701 किलोमीटर लम्बी समृद्धि महामार्ग के जरिये मुंबई को नागपुर से जोड़ना.
औपचारिक रूप से हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग के रूप में जाने जाने वाले इस एक्सप्रेस-वे- जो नागपुर, वर्धा, अमरावती, वाशिम, बुलढाणा, औरंगाबाद, जालना, अहमदनगर, नासिक और ठाणे के 10 जिलों से होकर गुजरता है – के द्वारा इन दोनों शहरों के बीच यात्रा में लगने वाले समय को मौजूदा 16 से 18 घंटे से कम कर 8-9 घंटे तक लाने की उम्मीद है.
यह कई औद्योगिक क्षेत्रों, जैसी कि दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, वर्धा और जालना के शुष्क बंदरगाहों (ड्राई पोर्टस) और मुंबई के जेएनपीटी को भी जोड़ेगा.
यह एक्सप्रेस-वे, जिसका निर्माण जनवरी 2019 में शुरू हुआ, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) द्वारा विकसित किया गया है और यह एक ग्रीनफील्ड (नए सिरे से शुरू की गई) परियोजना है, जिसे 46,000 करोड़ रुपये से ऊपर की लागत से बनाया गया है.
ठाकरे मंत्रिमंडल में पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले महीने घोषणा की थी कि इस राजमार्ग के पहले हिस्से को मई में आम जनता के लिए खोले जाने की संभावना है.
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