नई दिल्ली: 2024 चुनाव के बाद 18वीं लोकसभा बनने को एक साल हो चुका है और बीजेपी सांसदों के प्रदर्शन की समीक्षा मिली-जुली तस्वीर पेश करती है. जहां कुछ नए सांसद सदन में सक्रिय नजर आए हैं, वहीं कई वरिष्ठ सांसद, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं, न तो किसी सवाल में शामिल हुए और न ही किसी बहस में.
इसके साथ ही, पार्टी के 16 सांसदों ने 100 फीसदी उपस्थिति दर्ज कराई है, यानी चारों सत्रों में एक भी दिन अनुपस्थित नहीं रहे.
सांसदों के प्रदर्शन और उपस्थिति पर नज़र रखने वाले पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के एक साल के आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक, सात बीजेपी सांसदों ने एक भी सवाल नहीं पूछा और नौ ने किसी भी बहस में हिस्सा नहीं लिया.
सवाल पूछने का औसत प्रति सांसद 53 है और बहस में हिस्सा लेने का औसत 12 है.
पिछले एक साल में सवाल न पूछने वाले बीजेपी सांसद हैं—पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (पटना साहिब, बिहार), राधा मोहन सिंह (पूर्वी चंपारण, बिहार), महेश शर्मा (गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश), साक्षी महाराज (उन्नाव, उत्तर प्रदेश), उदयनराजे भोसले (सातारा, महाराष्ट्र), अभिजीत गांगोपाध्याय (तमलुक, पश्चिम बंगाल) और राजपालसिंह जाडेजा (पंचमहाल, गुजरात).
छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और पांच बार के सांसद उदयनराजे भोसले और साक्षी महाराज उन नौ बीजेपी सांसदों की सूची में भी शामिल हैं जिन्होंने अब तक लोकसभा में किसी भी बहस में हिस्सा नहीं लिया है.
अन्य नामों में शामिल हैं—केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (रत्नागिरी–सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र), सुवेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु अधिकारी (कांथी, पश्चिम बंगाल), ज्योतिर्मय सिंह महतो (पुरुलिया, पश्चिम बंगाल), शिवमंगल सिंह तोमर (मुरैना, मध्य प्रदेश), काली चरण सिंह (चतरा, झारखंड), महेंद्र सिंह सोलंकी (देवास, मध्य प्रदेश) और चिंतामणि महराज (सरगुजा, छत्तीसगढ़).
रतलाम, मध्य प्रदेश से पहली बार सांसद बनी अनीता नगर, जिन्होंने अब तक एक सवाल पूछा है, ने दिप्रिंट से कहा, “मैंने कई बार सवाल डाले लेकिन पूछने का मौका नहीं मिला. मेरे सवाल लोकसभा में स्लॉट में नहीं आ पाए.”
दूसरी बार के सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो, जिन्होंने अब तक एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया, ने दिप्रिंट से कहा, “मुझे दो-तीन बार बहस में बोलने का मौका मिला. लेकिन जब भी खड़ा हुआ, या तो पार्टी का तय समय खत्म हो गया या सदन में शोर-शराबा था जिससे बोल नहीं पाया. बजट सत्र में बोलना था लेकिन समय खत्म हो गया और वित्त मंत्री ने जवाब देना शुरू कर दिया.”
पहली बार के सांसद शिवमंगल सिंह तोमर, जो मुरैना से हैं, ने कहा कि उन्होंने किसी बहस में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि वह “साधारण कार्यकर्ता” हैं और “बड़े नेता” आमतौर पर संसद में बोलते हैं.
उन्होंने कहा, “मैं मुरैना में अपनी क्षेत्र में तब बोलता हूं जब पार्टी मुझे किसी विषय पर बोलने का काम देती है. मैं एक साधारण कार्यकर्ता हूं. संसद में बड़े नेता होते हैं और वही बोलते हैं. इसलिए मैं संसद में बोलने के बजाय अपने क्षेत्र पर ध्यान देता हूं.”

16 सांसदों की 100% उपस्थिति
बीजेपी के 16 सांसदों ने अब तक लोकसभा में 100 फीसदी उपस्थिति दर्ज की है. लेकिन कुछ अन्य सांसदों का रिकॉर्ड उतना अच्छा नहीं रहा. मथुरा की सांसद हेमा मालिनी, उदाहरण के लिए, 40 फीसदी उपस्थिति के साथ कुल औसत 87 फीसदी से काफी नीचे रहीं. हालांकि, अभिनेत्री से नेता बनी हेमा मालिनी ने 16 सवाल पूछे और चार बहसों में हिस्सा लिया. इसके विपरीत, उदयनराजे भोसले ने न तो कोई सवाल पूछा और न ही किसी बहस में हिस्सा लिया.
60 फीसदी उपस्थिति के साथ, वह बीजेपी सांसदों में दूसरे सबसे खराब उपस्थिति रिकॉर्ड वाले सांसद हैं. कुल मिलाकर, 42 बीजेपी सांसदों की उपस्थिति 87 फीसदी के औसत से कम रही.
इनमें शामिल हैं—नारायण राणे (67 फीसदी), ब्रह्मपुर के सांसद प्रदीप पाणिग्रही (68 फीसदी), भोजपुरी अभिनेता और सांसद रवि किशन (69 फीसदी), चित्रदुर्ग के सांसद गोविंद करजोल (73 फीसदी), कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल (74 फीसदी), बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या (76 फीसदी), बस्तर के सांसद महेश कश्यप (76 फीसदी) और पूर्व कर्नाटक मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे राघवेन्द्र (77 फीसदी).
बीजेपी के जिन नेताओं की 100 फीसदी उपस्थिति रही, उनमें प्रमुख हैं—निशिकांत दुबे (गोड्डा), जगदंबिका पाल (बस्ती), रामवीर सिंह बिधूड़ी (दक्षिण दिल्ली), असम बीजेपी अध्यक्ष दिलीप सैकिया (दरांग-उदलगुड़ी), सतीश कुमार गौतम (अलीगढ़), शंकर लालवानी (इंदौर), जनार्दन मिश्रा (रीवा) और दामोदर अग्रवाल (भीलवाड़ा).
पूर्व केंद्रीय मंत्री और अकोला के सांसद संजय शामराव धोत्रे और जमशेदपुर के सांसद बिद्युत बरन महतो भी इस सूची में हैं. इनके अलावा खगेन मुर्मू (मालदा उत्तर), प्रदन बरुआ (लखीमपुर, असम), अमरसिंग तिस्सो (दीफू, असम), मितेश रमेशभाई पटेल (आणंद, गुजरात), जनार्दन सिंह सिग्रीवाल (महाराजगंज, बिहार) और मन्ना लाल रावत (उदयपुर, गुजरात) भी शामिल हैं.
सवाल पूछना
बीजेपी के 31 सांसदों ने पिछले एक साल में सभी सत्रों में मिलाकर 100 से ज्यादा सवाल पूछे हैं, जो औसत 53 से लगभग दोगुना है.
पहली बार सांसद बने प्रवीण पटेल, जो फूलपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, 160 सवालों के साथ शीर्ष पर हैं. अनुभवी सांसद और कई बार सांसद रह चुके भरतृहरि महताब 152 सवालों के साथ दूसरे नंबर पर हैं और स्मिता वाघ ने 150 सवाल पूछे हैं.
जमशेदपुर के सांसद बिद्युत बरन महतो ने 148 सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि इसमें कोई “कला” नहीं है. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “चूंकि सवाल लॉटरी प्रणाली से चुने जाते हैं, अगर आप अपने क्षेत्र की समस्याएं उठाना चाहते हैं तो अधिकारियों और सरकार का ध्यान खींचने के कई तरीके हैं. जब हम क्षेत्र में जाते हैं तो लोग कई समस्याएं बताते हैं और हम उन्हें संसद में उठाकर सुलझाने की कोशिश करते हैं. मुद्दे उठाने का तरीका निकालना चाहिए.”
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी, जो ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष भी हैं, ने 142 सवाल पूछे, जबकि गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने 69 फीसदी उपस्थिति के बावजूद 138 सवाल पूछे.
पहली बार सांसद बने नबा चरण माझी (रायरंगपुर, ओडिशा) ने 136 सवाल पूछे, जबकि लुंबराम चौधरी (जालौर-सिरोही, महाराष्ट्र) ने 135 सवाल पूछे. दिलीप सैकिया ने 131 सवाल, मनोज तिवारी ने 126 सवाल और निशिकांत दुबे ने 123 सवाल पूछे.
बहस करने वाले सांसद
74 वर्षीय जगदंबिका पाल, जो वक्फ बिल पर जेपीसी के अध्यक्ष भी थे, ने 75 बहसों में हिस्सा लिया जबकि औसत सिर्फ 12 है. पाल ने अब तक इस लोकसभा के चारों सत्रों में 100 फीसदी उपस्थिति दर्ज की है.
बहस में भागीदारी के मामले में निशिकांत दुबे दूसरे नंबर पर हैं. उन्होंने 42 बहसों में अपनी बात रखी. दिलीप सैकिया ने 39, भरतृहरि महताब ने 31 बहसों में, और पीपी चौधरी व सुधीर गुप्ता (मंदसौर के सांसद) ने 30 बहसों में हिस्सा लिया. स्मिता वाघ और मालविका देवी (कालाहांडी, ओडिशा) ने 28 बहसों में भाग लिया.
बस्ती का प्रतिनिधित्व करने वाले जगदंबिका पाल ने कहा, “अक्सर मैं अपने क्षेत्र से सुबह लखनऊ पहुंचता हूं और फिर उड़ान लेकर समय पर संसद पहुंचता हूं. सांसदों की जनता और अपनी पार्टी के प्रति बड़ी जिम्मेदारी होती है और उन्हें इसे निभाने के लिए हमेशा सक्रिय रहना पड़ता है.”
96 फीसदी उपस्थिति और 150 सवालों के साथ स्मिता वाघ ने कहा, “क्योंकि मैं विधायक रही हूं, मुझे पता है कि विधानसभा या संसद का समय लोगों के मुद्दे उठाने में कैसे इस्तेमाल करना है. इसी वजह से मेरे सवाल लोकसभा में हर दूसरे या तीसरे दिन आते हैं.”
पूर्व मुख्यमंत्रियों और सेलिब्रिटीज का प्रदर्शन
बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव में कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को टिकट दिया था और उनमें से पांच जीत गए. इनमें मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक के बसवराज बोम्मई भी शामिल हैं. चौहान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया है, इसलिए उन्हें उपस्थिति दर्ज करने की जरूरत नहीं है.
बोम्मई की उपस्थिति 83 फीसदी रही, जो 87 फीसदी के औसत से थोड़ी कम है. उन्होंने 75 सवाल पूछे और दो बहसों में हिस्सा लिया. कर्नाटक के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर की उपस्थिति 85 फीसदी रही. उन्होंने 85 सवाल पूछे और एक बहस में हिस्सा लिया.
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देव की उपस्थिति 93 फीसदी रही. उन्होंने 72 सवाल पूछे और केवल छह बहसों में हिस्सा लिया. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थिति 96 फीसदी रही. उन्होंने 59 सवाल पूछे और छह बहसों में हिस्सा लिया.
सेलिब्रिटी सांसदों में, रामानंद सागर के ‘रामायण’ में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल की उपस्थिति 92 फीसदी रही. उन्होंने 81 सवाल पूछे और 13 बहसों में हिस्सा लिया. इन मानकों पर उनका प्रदर्शन कंगना रनौत और हेमा मालिनी से बेहतर रहा, जिनकी उपस्थिति क्रमशः 79 और 40 फीसदी रही.
कंगना ने 73 सवाल पूछे और नौ बहसों में हिस्सा लिया, जबकि हेमा मालिनी ने 16 सवाल पूछे और केवल चार बहसों में भाग लिया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: सरकारी ID कार्ड और परिजनों के बयान: पाकिस्तान के साथ पहलगाम आतंकियों के कनेक्शन हुए उजागर