लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने गुरुवार को दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि जब मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को वोट डालने से रोका जाना है तो उनका वोटिंग अधिकार खत्म ही कर दिया जाना चाहिए.’
सपा नेता ने यह टिप्पणी पिछले महीने रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों के उपचुनावों के संदर्भ में की, जिसमें सपा को हार का सामना करना पड़ा था.
रामपुर उपचुनाव में कम मतदान पर टिप्पणी करते हुए खान ने मुस्लिम मतदाताओं को प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें अगर वोट डालने से रोकना ही चाहते हैं तो मैं तो यही कहूंगा कि उनका वोटिंग अधिकार ही छीन लीजिए.
चुनाव आयोग के मुताबिक, रामपुर उपचुनाव में कुल मतदान प्रतिशत 41.39 प्रतिशत था, लेकिन आजम खान का दावा है कि यह आंकड़ा पूरे जिले में केवल 32 प्रतिशत था.
खान ने आगे कहा कि उन्होंने ही पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को चुनाव से पहले रामपुर में प्रचार न करने का सुझाव दिया था, ताकि यह किसी ‘वीवीआईपी चुनाव’ में न बदले. सपा नेता का दावा है कि इससे मुस्लिम मतदाताओं का ‘अधिक उत्पीड़न’ हो सकता था.
सपा प्रमुख के उपचुनाव के लिए प्रचार के मैदान में न उतरने से तमाम लोगों की हैरानी बढ़ी थी और प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने इसे लेकर कटाक्ष भी किया था.
खान ने जेल में रहने के दौरान यूपी से विधायक और अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव के साथ अपनी मुलाकात पर भी स्थिति साफ की और आरोप लगाया कि उनकी जमानत में देरी इसलिए हुई क्योंकि वह एक मुस्लिम हैं.
खान यूपी में 93 मामलों में आरोपी हैं, जिसमें जमीन हड़पने, विरोधियों के घर गिराने और प्राचीन किताबें चोरी करने के आरोप शामिल हैं.
‘मुस्लिम मतदाताओं के साथ मारपीट, पुलिस ने गालियां दीं’
खान ने दिप्रिंट को बताया, ‘रामपुर में पूरे जिले में केवल 32 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘जब लोगों को लाठियों से पीटा जाता है, गालियां दी जाती हैं, उनकी दाढ़ी खींची जाती है, क्या आप ऐसे माहौल में वोट देने जाएंगे? अमर उजाला (एक हिंदी अखबार) ने बताया था कि कैसे मुसलमानों को मारा जा रहा था और महिलाओं को भगाया जा रहा था. जब आपकी कॉलोनी और मोहल्ले के लोगों को पता चलेगा कि (आपके साथ) क्या हुआ है तो वे वोट देने ही नहीं जाएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं मुसलमानों का मताधिकार खत्म किए जाने के पक्ष में हूं, क्योंकि उन्हें वोट देने की अनुमति नहीं दी जा रही है, क्योंकि उनका वोट सरकार बदलने में मददगार हो सकता है. उन्हें परेशान किया जा रहा है क्योंकि उनका वोट राजनीतिक बदलाव ला सकता है.’
खान ने कहा कि वह मुसलमानों के लिए बस तीन अधिकार चाहते हैं—जीने का अधिकार, धर्म का अधिकार और शिक्षा का अधिकार. उन्होंने कहा, ‘संसद द्वारा एक कानून बनाकर ये तीन अधिकार दे दिए जाने चाहिए.’ आजम खान ने जिन तीन अधिकारों की बात कही है, वो संविधान प्रदत्त गारंटीशुदा मौलिक अधिकारों का हिस्सा हैं.
आजमगढ़ में सपा की हार के कारणों के बारे में पूछे जाने पर, आजम ने कहा कि आजमगढ़ में भी यही चीजें देखी गईं लेकिन कम गंभीरता के साथ.
उन्होंने कहा, ‘वहां यह कम था, यहां अधिक था. यहां (रामपुर) एक मुस्लिम उम्मीदवार था जो कमजोर था, आजमगढ़ के पास एक शक्तिशाली और अच्छे परिवार से एक मजबूत उम्मीदवार था जो मुस्लिम भी नहीं था.’
यह पूछे जाने पर कि अगर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उपचुनाव वाली दोनों सीटों के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया होता तो क्या स्थिति कुछ अलग होती, आजम ने दावा किया कि इससे मतदाताओं को और अधिक परेशानी झेलनी पड़ती.
उन्होंने बताया, ‘मैंने खुद उन्हें (अखिलेश को) यहां आने से यह कहते हुए रोक दिया था कि इसे वीवीआईपी चुनाव न बनाएं. वह आते तो चुनाव वीवीआईपी जंग बन जाता. सच्चाई तो यह है कि असल मकसद (भाजपा का) आजम खान को हराना था, तब (अगर अखिलेश प्रचार करते) तो अखिलेश और आजम दोनों को हराना होता, वैसे तो अकेले मैं ही रहा.
रामपुर में अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में खान ने दावा किया कि यहां कोई भी उन्हें हरा नहीं सकता, बशर्ते चुनाव ‘निष्पक्ष’ तरीके से हो.
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श्मसान-कब्रिस्तान पर क्या बोले
रामपुर में अपने सहयोगी और सपा उम्मीदवार असीम रजा के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार करने वाले आजम खान का कहना है कि वह अपने या अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित नहीं हैं. अब्दुल्ला सपा के सदस्य हैं और यूपी विधानसभा में राज्य के स्वार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
खान ने कहा, ‘मुझे अपनी या अपने बेटे की कोई ज्यादा चिंता नहीं है लेकिन मुसलमानों को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए. उन पर लाठी नहीं चलाई जानी चाहिए, उनकी दाढ़ी नहीं खींची जानी चाहिए. उन्हें कब्रिस्तान और श्मशान के बीच का अंतर याद नहीं दिलाया जाना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस तरह की हास्यास्पद बातें नहीं की जानी चाहिए…ये आरोप कि किसी को होली-दिवाली पर बिजली नहीं मिलेगी, बल्कि ईद पर मिलेगी. मैं तो कहता हूं कि अगर सबसे कट्टर मुस्लिम शासक भी मुख्यमंत्री बन जाए तो वह भी ईद पर बिजली देने और होली-दिवाली पर इसे न देने की जुर्रत नहीं कर सकता. सबसे बड़ी बात कि ऐसी टिप्पणियां भाजपा के जिम्मेदार लोग करते हैं.’
खान इस साल विधानसभा चुनाव से पहले एक चुनावी रैली में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि पिछली अखिलेश यादव सरकार ने होली और दिवाली पर लोगों को बिजली नहीं दी, जबकि ईद और मुहर्रम पर बिजली कभी नहीं गई.
‘जेल में शिवपाल से मिले क्योंकि…’
अपने खिलाफ लंबित 93 केस के सिलसिले में करीब 27 महीने जेल में बिताने वाले आजम खान को 20 मई को जमानत मिली थी और इससे पहले 24 अप्रैल को उनका विधायक रविदास मेहरोत्रा के नेतृत्व वाले एक सपा-प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक से इनकार कर देना खासी सुर्खियों में रहा था. जबकि 22 अप्रैल को ही वह अखिलेश से रिश्ता तोड़ चुके उनके चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया प्रमुख शिवपाल यादव से मिले थे.
उन्होंने सीतापुर जेल में रहने के दौरान कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन से भी मुलाकात की थी.
इस सवाल का सीधे तौर पर कोई जवाब न देते हुए कि क्या वह सपा नेतृत्व ने नाखुश थे, खान ने कहा, ‘मैं उस दिन अस्वस्थ था.’
अपनी रिहाई के बाद नेता ने टिप्पणी की थी कि उनकी तबाही में उनके अपने लोगों का हाथ रहा है. इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, खान ने दिप्रिंट से कहा कि उनके अपने लोगों की सूची में कई लोग थे.
जेल में रहते हुए सपा नेतृत्व से खफा होने की खबरों पर टिप्पणी करते हुए आजम खान ने कहा, ‘मैंने ऐसा नहीं कहा. जिन्हें आप अपना कहते हैं, उनकी एक लंबी सूची है.’
आजम खान मई में जेल से रिहा होने के बाद पहली बार विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ बैठक के लिए गुरुवार को लखनऊ स्थित सपा कार्यालय पहुंचे.
अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा नेताओं और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने सिन्हा के साथ एक बैठक की थी, जो इसी माह प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा और उसके सहयोगी दलों के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए लखनऊ में थे.
जेल में अपनी बैठकों के बारे में बताते हुए आजम खान ने कहा कि रविदास के साथ उनके अच्छे संबंध हैं, लेकिन वह दूसरों से मिले क्योंकि वह यही चाहते हैं कि समाजवादी (शिवपाल यादव) वापस लौट आएं.
आजम खान ने कहा, ‘मेरे रविदास जी के साथ अच्छे संबंध हैं, वह एक प्रिय व्यक्ति हैं. लेकिन मैं उन लोगों से मिला जिनकी तरफ (प्रमोद) आपका इशारा है, क्योंकि उनके साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं. वह सज्जन व्यक्ति हैं और उनके मन में हिंदू-मुस्लिम विभाजन नहीं है. वह दोनों धर्मों का सम्मान करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं शिवपाल जी से मिला क्योंकि आज भी मैं चाहता हूं कि ये मतभेद खत्म हो जाएं. मैं इस दिशा में प्रयास भी करूंगा कि वे सभी समाजवादी जो पार्टी छोड़ गए हैं, वापस आ जाएं.’
शिवपाल यादव ने 2018 में अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की शुरुआत की, लेकिन भाजपा को हराने के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले फिर भतीजे अखिलेश के साथ आ गए. उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जसवंतनगर सीट से जीते. हालांकि, उसके बाद से दोनों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं.
अप्रैल में जेल में आजम खान से मिलने पहुंचे शिवपाल यादव ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी उनके लिए कुछ नहीं कर रही है.
समाजवादी पार्टी के बारे में बात करते हुए आजम खान ने कहा, ‘मुझे पार्टी के लिए दो चीजें चाहिए. एक, सभी समाजवादी वापस आएं और जो नाखुश हैं, उन्हें मनाया जाए. दूसरे, हमारी पार्टी की पुरानी शैली…सम्मेलन और बैठकें करने की, फिर बहाल हो, यहां तक कि उन राज्यों में भी जहां हमारी पार्टी और हमारे विधायक नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘जैसे मुलायम सिंह अपने समय में करते थे…(बैठकों का आयोजन) महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, एमपी, बिहार में. इससे पार्टी को पहचान मिलती है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या सपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा शिवपाल यादव जैसे अलग हो चुके नेताओं को मनाने के प्रयास किए जा सकते थे, आजम ने कहा कि सलाहकारों की कमी है.
‘मुस्लिम होने के कारण जमानत से इनकार’
अपने खिलाफ दायर 93 मामलों पर विस्तार से बात करते हुए सपा के दिग्गज नेता ने आरोप लगाया कि उन्हें निचली अदालतों ने जमानत देने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह ‘आजम खान’ और ‘एक मुस्लिम’ थे.
‘शत्रु संपत्ति’ मामले, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी, पर बात करते हुए खान ने कहा कि जबकि अन्य आरोपियों को जमानत मिल गई थी, उन्हें मना कर दिया गया.
आजम पर अपनी मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत आने वाली ‘शत्रु संपत्ति’ को हथियाने का आरोप लगा है. शत्रु संपत्ति अधिनियम 1971 और 1965 के युद्धों के बाद पाकिस्तानी और चीनी नागरिकता लेने वाले लोगों की भारत में छूट गई संपत्तियों से संबंधित है.
खान ने आरोप लगाया, ‘सभी को निचली कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन चूंकि मैं आजम खान था, इसलिए मुझे जमानत देने से इनकार कर दिया गया. शिया वक्फ बोर्ड के (पूर्व) अध्यक्ष, वसीम रिजवी (जिन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाने जाते हैं) को अग्रिम जमानत (उसी मामले में) मिली. बाकी आरोपियों (उस मामले में) को निचली अदालतों से जमानत मिल गई, लेकिन चूंकि मैं आजम खान था, इसलिए मुझे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा.’
उन्होंने कहा, ‘एक व्यक्ति ने शिकायत की कि मैंने उसकी भावनाओं को आहत किया है, उस मामले में लखनऊ में एक एफआईआर दर्ज की गई थी. मुझे उस मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा जबकि मानहानि के लिए अधिकतम सजा जुर्माना है. निचली और सत्र अदालत दोनों ने जमानत से इनकार कर दिया.’
खान ने यह भी आरोप लगाया कि जल निगम भर्ती घोटाले—जिसमें वह अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान जल निगम में 1,342 लोगों की भर्ती में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपी हैं—के तत्कालीन सचिव के नाम के आगे ‘सिंह’ जुड़ा होने के कारण उन्हें नगरीय विकास विभाग की जांच से बाहर कर दिया गया.
सपा नेता ने यह भी दावा किया कि हाई कोर्ट ने उनकी (आजम की) याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकारी वकील से पूछा कि किसी व्यक्ति को दो साल तक जेल में कैसे रखा जा सकता है जबकि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उन्हें मार्च 2022 में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से इस मामले में जमानत मिली थी.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘उस मामले में कोई जेल नहीं गया, सभी को अग्रिम जमानत मिल गई और एक व्यक्ति जो आरोपी हो सकता था, के खिलाफ प्राथमिकी हाई कोर्ट की तरफ से रद्द कर दी गई. लेकिन चूंकि मैं एक मुस्लिम था, मैं आजम खान था, इसलिए मुझे (निचली कोर्ट) जमानत देने से इनकार कर दिया गया.’
जौहर यूनिवर्सिटी के निर्माण कार्य के लिए धन के कथित हस्तांतरण के लिए धन शोधन मामले में उनके खिलाफ ईडी जांच के बारे में पूछे जाने पर, आजम खान ने कहा, ‘मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह सभी के साथ हो रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘ईडी एक मजाक बन गया है.’
ईडी ने खान से पूछताछ तब शुरू की थी जब वह जेल में थे, और उनके बेटे और पत्नी तंजीन फात्मा को भी जांच में तलब किया गया है.
ईडी ने 7 और 8 जुलाई को लगातार दो दिन अब्दुल्ला आजम से पूछताछ की थी और जल्द ही फात्मा को बुलाए जाने की संभावना है.
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