नई दिल्ली: ऐसे वक्त पर जब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के भविष्य पर सवालिया निशान लगा हुआ है, गुरुवार को पार्टी पदाधिकारी उस समय चौंक गए जब उन्होंने उत्तर प्रदेश इकाई की समीक्षा बैठक में मायावती के दूसरे भतीजे ईशान आनंद को देखा.
आकाश आनंद के छोटे भाई ईशान ने बुधवार को लखनऊ में बीएसपी सुप्रीमो के 69वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था.
हालांकि, मायावती ने स्पष्ट किया कि वे ईशान को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लेकर आई थीं क्योंकि वे जन्मदिन के मौके पर उनसे मिलना चाहते थे, लेकिन बीएसपी में एक वर्ग इसे ईशान के लिए “राजनीतिक इंटर्नशिप” की शुरुआत मान रहा है.
बीएसपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “जब हम सभी ने बहन जी के जन्मदिन के कार्यक्रम में ईशान को देखा, तो हमें लगा कि वे केवल उन्हें बधाई देने आए हैं, लेकिन अब राज्य समीक्षा बैठक में उनकी उपस्थिति राजनीतिक लग रही है. हालांकि, बहन जी ने (कुछ भी) घोषणा नहीं की, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता इसे उनकी राजनीतिक ट्रेनिंग की शुरुआत मान रहे हैं.”
पार्टी की बैठक में शामिल हुए एक वरिष्ठ बीएसपी नेता ने दिप्रिंट को बताया कि ईशान की मौजूदगी इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि “हम सभी जानते हैं कि बहन जी की बैठक में उनकी सहमति के बिना कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता.”
बीएसपी नेता ने कहा, “ईशान भी किसी अन्य बीएसपी कार्यकर्ता की तरह डायरी और पेन लेकर आए थे. इसलिए, इसका मतलब साफ है कि उन्हें पार्टी में आधिकारिक रूप से शामिल करने की कोई योजना है. हो सकता है, वे (मायावती) बाद में इसकी घोषणा करें.”
ईशान बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के छोटे भाई हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि 24-वर्षीय आनंद अपने भाई के कारोबार में मदद कर रहे हैं. आकाश और ईशान दोनों ही मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं, जो बीएसपी में उपाध्यक्ष हैं.
आकाश की बात करें तो वे 2017 में तब चर्चा में आए थे, जब मायावती ने उन्हें एक राजनीतिक रैली में बीएसपी कार्यकर्ताओं से मिलवाया था. उन्हें दो साल बाद औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल किया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन के दौरान आकाश समाजवादी पार्टी और बीएसपी की सभी बैठकों का हिस्सा थे.
हालांकि, बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने इस बात से इनकार किया कि यह मायावती के दूसरे भतीजे की आधिकारिक एंट्री थी.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “ईशान बहन जी को जन्मदिन की बधाई देने आए थे. वे अपने भाई आकाश के साथ रुके थे और इसलिए मीटिंग में शामिल हुए. हमें बस इतना पता है कि उन्होंने हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी की है. इसलिए वे जन्मदिन पर बहन जी से मिलना चाहते थे. हमें उनके राजनीति में प्रवेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है.”
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भतीजों के लिए नई भूमिका?
बीएसपी के सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी के पतन की कहानी को खारिज करने के लिए मायावती उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने दोनों भतीजों को ज़िम्मेदारी देने की योजना बना रही हैं.
बीएसपी के एक वरिष्ठ राज्य पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “हमारी पार्टी के लिए 2027 के यूपी चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं. हमें अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करना होगा और उन्हें यह उम्मीद देनी होगी कि हम ये चुनाव जीत सकते हैं. इसके लिए हमें पार्टी में नया जोश भरना चाहिए. आकाश जी का समर्थन करने के लिए हमें किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जिस पर आलाकमान का भरोसा हो. इसमें क्या गलत है? राहुल गांधी को प्रियंका का समर्थन है; मुलायम सिंह को शिवपाल का समर्थन है, राजनाथ के दोनों बेटे बीजेपी यूपी इकाई में काम कर रहे हैं…फिर बहन जी इस बारे में क्यों नहीं सोच सकतीं? अगर वे ईशान को कोई ज़िम्मेदारी देती हैं, तो पार्टी कैडर इसका स्वागत करेगा.”
पिछले साल मई में मायावती ने आकाश को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद से हटा दिया था, यह कहते हुए कि उन्हें ऐसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं संभालने से पहले “परिपक्व” होना होगा. इसके बाद अगले महीने बीएसपी सुप्रीमो ने यू-टर्न लिया और लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी का खाता न खोल पाने के बाद आकाश को पद पर फिर से बहाल कर दिया.
राजनीतिक विश्लेषक शिल्प शिखा सिंह ने कहा कि मायावती के इस कदम का अंदाज़ा लगाना आसान नहीं है, लेकिन अब उनकी पार्टी को 2027 के चुनावों से पहले एक गंभीर बदलाव की योजना की ज़रूरत है क्योंकि पार्टी का प्रदर्शन लगातार गिर रहा है.
लखनऊ के गिरि इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में सहायक प्रोफेसर ने दिप्रिंट से कहा, “वे अपने दूसरे भतीजे को शामिल करती हैं या नहीं, यह उनकी मर्ज़ी है; इससे भी ज्यादा ज़रूरी है कि जमीन पर उनकी सक्रियता हो. राजनीति में अब कैडर हर जगह परिवार के शीर्ष सदस्यों को स्वीकार करते हैं, लेकिन बीएसपी के मामले में पार्टी के अभियान की कहानी में सुधार की ज़रूरत है.”
2024 के लोकसभा चुनावों में बीएसपी को सिर्फ 2.07 प्रतिशत वोट मिले थे. 2022 के यूपी चुनावों में इसने सिर्फ एक सीट जीती और उत्तरी राज्य में कुल वोटों का सिर्फ 12.9 प्रतिशत ही हासिल किया.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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