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Thursday, 25 April, 2024
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मां-बेटे का होगा हिमाचल या फिर सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री बैठेंगे प्रदेश की कुर्सी पर

हिमाचल प्रदेश में विधायक दल का नेता चुनने को लेकर बैठक होने जा रही है. इससे पहले प्रतिभा सिंह ने कहा कि वे उनके परिवार की उपेक्षा नहीं कर सकते. हम उनके नाम, चेहरे और काम पर यह चुनाव जीते हैं.

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नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को बहुमत मिलने के साथ ही पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे बताईं जा रही हैं. वहीं, उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री भी इस दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ पार्टी व विधायक दल की नेता प्रतिभा सिंह ने कहा है कि यह जिम्मेदारी सोनिया गांधी ने मुझे दी थी मैंने इसे ईमानदारी से निभाया और परिणाम सामने है. विधायक दल की बैठक से पहले प्रतिभा सिंह ने कहा, ‘यह बड़ी जिम्मेदारी सोनिया गांधी ने दी थी और उन्होंने मुझसे कहा था कि वह मुझे राज्य प्रमुख के रूप में चुन रही हैं और मुझे सभी 68 निर्वाचन क्षेत्रों में जाना होगा और राज्य को जिताना होगा. मैंने वह ईमानदारी से किया और परिणाम हमारे सामने है.’

बता दें कि कांग्रेस के लिए एक ऐसे नेता का मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में चुनाव करना चुनौतीपूर्ण है, जो पार्टी को आगे ले जाते हुए उसे एकजुट रखने का काम कर सके.

कांग्रेस ने शुक्रवार को यहां अपने सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है और बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) नेता चुनने के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित होने की संभावना है.

 

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प्रतिभा सिंह ने आगे कहा, ‘वे उनके (वीरभद्र सिंह) परिवार की उपेक्षा नहीं कर सकते. हम उनके नाम, चेहरे और काम पर यह चुनाव जीते हैं. ऐसा नहीं हो सकता कि आप उनके नाम, चेहरे और परिवार का इस्तेमाल करें और किसी और को श्रेय दें. हाईकमान ऐसा नहीं करेंगी.’


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मां और बेटे दोनों दौड़ में शामिल

मुख्यमंत्री पद की इस दौड़ में प्रतिभा वीरभद्र सिंह का नाम इसलिए भी आगे आ रहा है क्योंकि छह महीने पहले कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया था. वैसे तो प्रतिभा सिंह ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और वह विधायक भी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने राज्य भर में पार्टी के लिए व्यापक चुनाव प्रचार किया. वह फिलहाल मंडी से सांसद हैं. वे निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी से लोकसभा उपचुनाव जीती थीं. अगर, प्रतिभा राज्य की सीएम के तौर पर चुनीं जातीं हैं तो उन्हें छह महीने के अंदर किसी भी लोकसभा सीट से चुनाव जीतना होगा.

प्रतिभा सिंह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विरासत भी है, जिन्होंने चार दशक से अधिक समय तक प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभाली थी. पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि प्रतिभा सिंह को ज्यादातर विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो वीरभद्र सिंह के प्रति निष्ठावान रहे हैं.

प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य भी शिमला ग्रामीण से विधायक निर्वाचित हुए हैं और वह भी मुख्यमंत्री पद के लिए आशावान हैं. हालांकि, कई लोग उन्हें इस शीर्ष पद के लिए बहुत कम उम्र का मानते हैं. लेकिन माना यह भी जा रहा है कि उन्हें राज्य का सीएम बनाकर पार्टी युवाओं के बीच नया संदेश दे सकती है. विक्रमादित्य ने कुछ दिनों पहले युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के मकसद से संघर्ष यात्रा भी निकाली थी.

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य शिमला ग्रामीण से 13,860 वोटों के अंतर से जीते, जबकि अनिरूद्ध सिंह कसुम्पटी विधानसभा सीट से विजयी रहे. विक्रमादित्य रामपुर बुशहर के पिछले राजपरिवार से आते हैं. अनिरूद्ध सिंह का कोटि के राजपरिवार से संबंध है.


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अन्य विधायकों ने भी बचाई साख

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नदौन से विधायक सुक्खू और हरोली के विधायक अग्निहोत्री भी शामिल हैं. दोनों को उम्मीद है कि पार्टी आलाकमान क्रमश: प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में उनके काम को ध्यान में जरूर रखेगा. सुखविंदर के पास चुनाव में पार्टी के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भी थी.

अग्निहोत्री ने दावा किया कि विधायक दल के नेता के रूप में पिछले पांच साल में उन्होंने विधानसभा में प्रमुखता से पार्टी का रुख रखा तथा सरकार के फैसलों का विरोध किया एवं भारतीय जनता पार्टी के ‘कुशासन’को लोगों के सामने रखा. अग्निहोत्री ब्राह्मण नेता हैं, जबकि सुक्खू राज्य में प्रभावशाली ठाकुर समुदाय से हैं.

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार बताए जा रहे हैं. वह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने पिछले कुछ सालों से गुटबाजी से जूझ रही पार्टी को एकजुट किया. वह बहुकोणीय मुकाबले में ठियोग सीट से चुनाव जीते. वहीं,

मुख्यमंत्री पद के लिए आशावान छह बार की विधायक आशा कुमारी एवं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर इस बार चुनाव हार गए हैं.

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में प्रभावशाली रहे कई राज परिवारों का अब प्रभाव खत्म हो रहा है और उनमें से बस दो ही चुनाव जीत पाये हैं, जबकि दो पराजित हो गए हैं.


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आज चुना जाएगा विधायक दल का नेता

कांग्रेस ने 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को 40 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया और इस तरह राज्य में 1985 से चला आ रहा हर पांच साल पर राज बदलने का रिवाज कायम रहा. विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि शिमला में शुक्रवार को बैठक होगी.

हिमाचल प्रदेश के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रभारी राजीव शुक्ला ने गुरुवार को कहा था कि कांग्रेस खुश है कि उसे राज्य में सरकार बनाने का अवसर मिल रहा है. उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य के लोगों को दी गई सभी 10 गारंटी को पूरा करने के लिए हर संभव कार्य करेगी और लोगों को बेहतर शासन प्रदान करेगी.

उन्होंने पार्टी की जीत का श्रेय प्रियंका गांधी वाड्रा को देते हुए कहा था कि उन्होंने व्यापक स्तर पर प्रचार किया था.

शुक्ला ने कहा था, ‘कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक चुनाव परिणाम आने के बाद शुक्रवार को शिमला में बैठक करेंगे और विधायक दल का नया नेता चुनने पर फैसला करेंगे.’

सूत्रों ने बताया कि विधायक सीएलपी नेता तय करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अधिकृत करते हुए एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में यह परंपरा रही है.

उन्होंने कहा कि शुक्ला के साथ पार्टी के दो पर्यवेक्षक- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा राज्य की राजधानी आ रहे हैं, जहां पार्टी के सभी विधायकों को बुलाया गया है.

हालांकि, चुनाव के नतीजों के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की संभावनाओं के बीच कहा था, ‘हमें अपने साथियों को संभालकर रखना होगा. बीजेपी कुछ भी कर सकती है.’

इस बीच, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और राज्य कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा, ‘जनता ने हमें जनादेश दिया है, डरने की ज़रूरत नहीं है. हम चंडीगढ़ या राज्य में कहीं भी हमारे विधायकों से मिल सकते हैं. जो जीते हैं वे हमारे साथ होंगे और हम सरकार बनाएंगे.’

वहीं, राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री भले ही सिराज विधानसभा सीट से चुनाव जीत गए हों, लेकिन पार्टी को मिली करारी हार के बीच उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया और कहा कि ‘मैं जनमत का सम्मान करता हूं.’


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