नई दिल्ली: पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगाना अब मुश्किल में डाल सकता है. बीजेपी शासित राज्य में सियासी विवाद तब शुरू हुआ जब उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई होगी. पुलिस ने कहा कि ऐसी गलत जानकारी राहत और बचाव कार्यों को बाधित करती है और सरकार के कामकाज को प्रभावित करती है.
पिछले हफ्ते देहरादून पुलिस ने एक बीजेपी नेता की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. इससे विपक्ष भड़क गया और कांग्रेस ने सरकार पर मीडिया का गला घोंटने का आरोप लगाया.
अपनी शिकायत में देहरादून जिला बीजेपी अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल ने कहा कि “ग़लत जानकारी और अफवाहें” समाज में “अशांति और भ्रम” पैदा कर रही हैं, जबकि राज्य प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है.
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह आलोचना और विरोध को दबाने की कोशिश है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश सिंह रावत ने दिप्रिंट से कहा, “यह सिर्फ़ आलोचना करने वालों को चुप कराने का तरीका है. हमेशा अटकलें लगती रहती हैं. मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें भी हो सकती हैं और प्रधानमंत्री बदलने की भी. मौजूदा सरकार चाहती है कि कोई मुख्यमंत्री की आलोचना न करे और न ही उनके विधानसभा क्षेत्र की कोई खबर निकले. वरना पुलिस उन पर टूट पड़ेगी.”
उन्होंने आगे कहा, “हम फेसबुक पेज एडमिनिस्ट्रेटर, किसी पत्रकार या सामाजिक कार्यकर्ता पर एफआईआर दर्ज करने या केस दर्ज करने की निंदा करते हैं.”
एफआईआर की कॉपी दिप्रिंट के पास है. इसमें अग्रवाल ने शिकायत की कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो के ज़रिए “अफवाहें और ग़लत जानकारी” फैला रहे हैं. उनकी शिकायत में जिन फेसबुक पेजों का ज़िक्र है, वे हैं: जनता जन आंदोलन इरिटेटेड, उत्तराखंड वाले और आई लव माय उत्तराखंड संस्कृति.
अग्रवाल ने अपनी शिकायत में लिखा, “जब राज्य आपदाओं से जूझ रहा है, उस समय ऐसी झूठी खबरें और अफवाहें समाज का माहौल बिगाड़ रही हैं और अशांति फैला रही हैं. ये जनप्रतिनिधियों की छवि पर भी बुरा असर डाल सकती हैं. ऐसे हालात में मैं आपसे निवेदन करता हूं कि इन लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि झूठी खबरें फैलना बंद हों और समाज में शांति बनी रहे.”
उन्होंने सीधे तौर पर नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ी “अफवाहों” और “ग़लत जानकारी” का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन कहा कि ये पोस्ट फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेज़ी से फैल रही हैं. बड़ी संख्या में लोग इन्हें शेयर कर रहे हैं, जिससे गलतफहमियां पैदा हो रही हैं.
उन्होंने लिखा, “कृपया इन अफवाहों और गलत जानकारियों को फैलाने वालों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाए. और ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं.”
शनिवार को उत्तराखंड पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि सोशल मीडिया पर भ्रामक और झूठी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है. बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री की कुर्सी बदलने की अफवाह फैलाने वालों पर केस दर्ज किया गया है. क्योंकि यह राहत कार्य और सरकार के कामकाज को प्रभावित कर रहा है.
पुलिस के बयान में कहा गया, “आपदा राहत कार्यों के बीच मुख्यमंत्री के बदलाव से जुड़ी अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस एक्शन मोड में आ गई है. सोशल मीडिया पर भ्रामक और झूठी जानकारी फैलाकर जनता को गुमराह करने वाले तत्वों पर अब शिकंजा कसा जा रहा है.”
पुलिस ने कहा कि देहरादून पुलिस ने शनिवार को तीन फेसबुक पेज ऑपरेटरों के खिलाफ केस दर्ज किया है. बयान में कहा गया, “यह कार्रवाई देहरादून जिला बीजेपी अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ अग्रवाल की शिकायत पर की गई है.”
राज्य के बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ ज़िले फिलहाल बारिश, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से हुई आपदाओं का सामना कर रहे हैं. कई लोगों की मौत हुई है और कई लापता हैं. बादल फटने से मकान टूट गए और लोग फंसे हुए हैं.
पुलिस ने बयान में कहा, “ऐसे मुश्किल समय में मुख्यमंत्री बदलने जैसी झूठी खबरें फैलाना न सिर्फ राहत और बचाव कार्य को बाधित करता है, बल्कि सरकार और प्रशासनिक सिस्टम के कामकाज पर भी असर डालता है.”
‘मीडिया को क्यों निशाना बना रहे हैं’
उत्तराखंड कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि कई बीजेपी नेता खुद कैबिनेट विस्तार की ओर इशारा कर चुके हैं, लेकिन मीडिया पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “बीजेपी के अपने ही प्रदेश अध्यक्ष ने कैबिनेट विस्तार को लेकर बयान दिए और आज तक यह नहीं हुआ. तो फिर उन पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करते कि उन्होंने जनता को गुमराह किया. नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा, बदलाव का मुद्दा खुद बीजेपी नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा उठाया गया है. स्वाभाविक है कि खबरों में वही झलका.”
“जब आपके अपने नेता यह कह रहे हैं तो मीडिया कर्मियों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है,” उन्होंने सवाल किया.
एफआईआर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(1)(b) और (2) के तहत दर्ज की गई है, जिसमें किसी भी बयान, झूठी जानकारी, अफवाह या रिपोर्ट को प्रकाशित या फैलाने को अपराध माना गया है, चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही क्यों न हो.
हालांकि, अग्रवाल ने अपनी शिकायत में तीन फेसबुक पेजों के नाम दिए थे, लेकिन एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है क्योंकि पुलिस जांच का दायरा सिर्फ इन तीन पेजों तक सीमित नहीं है. इसके बजाय ऐसे सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स और पेज पुलिस की निगरानी में हैं, उत्तराखंड पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया.
पुलिस ने भले ही कहा कि एफआईआर राज्य में गलत जानकारी और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए दर्ज की गई है, लेकिन राज्य के एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने इसे कानून के राज का “मजाक” बताया.
सेवानिवृत्त डीजी रैंक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा और गुमनाम रहने का अनुरोध किया, “सिर्फ ऐसे पोस्ट पर जनता पर मुकदमा करना मजाक है. यह जनता के अधिकारों की कीमत पर कानून का दुरुपयोग है.”
अधिकारी ने कहा कि यह एफआईआर अदालत की जांच में टिक नहीं पाएगी, लेकिन जब तक अदालत में इसकी जांच होगी तब तक आरोपी को महीनों की परेशानी झेलनी पड़ेगी.
उत्तराखंड बीजेपी मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने सरकार की कार्रवाई का बचाव किया. उन्होंने कहा, “हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, चाहे वह पत्रकार हों या सोशल मीडिया कार्यकर्ता. उन्हें राज्य में काम करने की पूरी आज़ादी है. लेकिन उसी समय उनकी जिम्मेदारी भी है. कुछ पोस्ट सिर्फ सरकार को अस्थिर करने और जनता को गुमराह करने के लिए डाली गईं. इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। और इसलिए कार्रवाई की गई है.”
सिंह ने कहा कि उत्तराखंड बीजेपी नेताओं के कुछ बयानों को विपक्ष के इशारे पर तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है ताकि पार्टी और सरकार के अंदरूनी हालात को खराब दिखाया जा सके.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत हाल ही में एक बीजेपी बैठक से बीच में चले गए थे, जिसकी तस्वीरें वायरल हो गईं.
“रावतजी ने खुद स्पष्ट किया है कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से अनुमति लेकर बैठक छोड़ी थी. लेकिन इस घटना को तोड़-मरोड़कर विपक्ष ने बीजेपी और सरकार के खिलाफ नैरेटिव चलाने के लिए इस्तेमाल किया,” उन्होंने जोड़ा.
उत्तराखंड पुलिस ने लोगों से कहा है कि वे सोशल मीडिया पर कोई भी झूठी या भ्रामक जानकारी न फैलाएं
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “सोशल मीडिया पर अफवाह या भ्रामक पोस्ट फैलाने वालों को भी साफ चेतावनी दी जाती है कि उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी. राज्य पुलिस लगातार इन सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी कर रही है.”
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