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Friday, 22 November, 2024
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रेप मामले में जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री प्रजापति की पत्नी और बहू का क्षेत्र में प्रभाव बने रहने की क्या वजहें हैं?

विधानसभा चुनाव में गायत्री प्रजापति की पत्नी की जीत के बाद, उनकी बहू शिल्पा, सपा के टिकट पर एमएलसी का चुनाव लड़ेंगी. विरोधी दलों ने पार्टी के इस फैसले की आलोचना की है. लेकिन, सपा का कहना है कि उनके संबंधियों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.

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लखनऊ: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गायत्री प्रजापति जेल में बंद हैं. उन्हें 2017 में हुए बलात्कार के एक मामले में उम्रकैद की सजा मिली है. इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश के अमेठी में उनकी राजनीतिक हैसियत अब भी बरकरार है. समाजवादी पार्टी (सपा) नेतृत्व ने उनके परिवार के दो सदस्यों पर विश्वास जताया है.

सपा के अखिलेश यादव ने रविवार को घोषणा की कि गायत्री प्रजापति की बहू शिल्पा प्रजापति आगामी विधान परिषद चुनाव सुल्तानपुर-अमेठी सीट से लड़ेंगी. शिल्पा की शादी, गायत्री प्रजापति के सबसे बड़े बेटे अनिल प्रजापति से हुई है. गायत्री प्रजापति के चार बेटे हैं.

सपा ने जनवरी में अमेठी विधानसभा सीट से गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति को उम्मीदवार बनाया था. वह 46 फीसदी से ज़्यादा वोट के साथ चुनाव जीतने में कामयाब रहीं.

इन दोनों घोषणाओं के बाद, सत्तारूढ़ बीजेपी सहित विरोधी पार्टियों की प्रतिक्रियाएं आई हैं. बीजेपी ने सपा पर ‘बलात्कार के आरोपी और माफिया’ से जुड़े लोगों का साथ देने का आरोप लगाया है.

सपा के कुछ सदस्यों का कहना है कि अमेठी क्षेत्र में पार्टी के पास पिछड़ी जाति से आने वाला कोई दूसरा चेहरा नहीं था और इस क्षेत्र में दागी मंत्री के लिए काफी ‘सहानुभूति’ थी. इसके साथ ही, वे पैसे वाले भी हैं. पार्टी ने अपने निर्णय के बचाव में कहा कि महाराजी या शिल्पा के खिलाफ कोई आरोप नहीं है.

आने वाले 9 अप्रैल को 35 एमएलसी के लिए चुनाव होने वाले हैं. वोटों की गिनती 12 अप्रैल को होगी.

उतार-चढ़ाव से भरा रहा है पूर्व मंत्री का अतीत

सपा की ओर से जनवरी में महाराजी प्रजापति के उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के बाद से ही, उनके पति से जुड़े पुराने विवाद से संबंधित न्यूज रिपोर्ट लोगों के बीच शेयर होने लगीं.

अखिलेश यादव की सरकार (2012-2017) में साल 2013 में गायत्री प्रजापति को खनन मंत्री बनाया गया. बाद में, उन्हें परिवहन विभाग की जिम्मेदारी भी दी गई.

वह प्रजापति समुदाय से आते हैं. यह समुदाय जून 2019 तक अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) के तहत आता था. बाद में, योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस समुदाय को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल कर दिया.

साल 2014 और 2015 में प्रजापति के खिलाफ कई लोगों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. इनमें पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर भी शामिल हैं. प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति से लेकर राज्य में गैरकानूनी खनन को संरक्षण देने जैसे आरोप लगे हैं.

हालांकि, अन्य शिकायतकर्ताओं ने अपने शिकायत वापस ले लिए, लेकिन एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर 2015 में दूसरी बार लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज की. उन्होंने शिकायत में प्रजापति पर खनन सिंडिकेट चलाने का आरोप लगाया और उन कथित कंपनियों की जानकारी भी दी जिन्हें उन्होंने मंत्री रहते हुए बनाया.

हालांकि, लोकायुक्त ने गायत्री प्रजापति को आय से अधिक संपत्ति मामले में क्लीन चिट दे दी. वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिंडिकेट चलाने के आरोप की सीबीआई जांच के आदेश दिए.

नूतन ठाकुर ने उन संपत्तियों का भी विवरण दिया जिन्हें कथित तौर पर प्रजापति ने अपने ड्राइवर और घर के काम करने वाले के नाम पर खरीदी थी. बाद में, आयकर विभाग ने इसकी पुष्टि की कि उनके ड्राइवर ने दो सालों में 77 लाख की संपत्ति बनाई है.

जांच चलने की वजह से 12 सितंबर, 2016 को प्रजापति को सरकार से हटा दिया गया. लेकिन, दो हफ्ते बाद ही उन्हें वापस उनका पद दे दिया गया.

साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद, उन्हें अन्य लोगों के साथ बलात्कार के एक मामले में गिरफ्तार किया गया. यह शिकायत 35 साल की एक महिला ने की थी. महिला ने आरोप लगाया कि गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों ने एक मीटिंग के दौरान उसका सामूहिक बलात्कार किया और उनकी फोटो भी ली. महिला ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार करने की कोशिश का आरोप भी उन पर लगाया.

कथित सामूहिक बलात्कार और महिला की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार की कोशिश करने के आरोप मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रजापति और छह अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. इसके बाद, प्रजापति फरार हो गए. इसके एक महीने के बाद, सपा ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा. इसके अलावा, सीबीआई और ईडी की ओर से भी उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई और साल 2019 में खनन और आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके यहां छापेमारी हुई.

पिछले साल नवंबर में विशेष अदालत ने उन्हें और दो अन्य लोगों को बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई.

दिप्रिंट के साथ बातचीत में नूतन ठाकुर ने कहा कि प्रजापति के खिलाफ 2015 में उन्होंने लोकायुक्त के यहां शिकायत की गई थी, लेकिन उसे ‘उथला’ बताते खारिज कर दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘इसके तुरंत बाद ही मेरे पति के खिलाफ बलात्कार का झूठा मामला दर्ज करवा दिया गया, जिसमें मुझे सह आरोपी बनाया गया. इस मामले की सुनवाई अब भी चल रही है.’


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आंसू बहाकर ‘न्याय’ की मांग

महाराजी प्रजापति, 2022 में अमेठी सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रही. साल 2012 में उनके पति गायत्री प्रजापति यहां से चुनाव जीते. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रहे.

अमेठी में वोट डालने के बाद महाराजी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि उनके पति को इसलिए दोषी ठहराया गया है, क्योंकि ‘बीजेपी को डर था कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिल जाएगा और वह उन्हें हरा देंगे.’

स्थानीय निवासियों ने कहा कि महाराजी और उनकी बेटियां वोट मांगने के लिए घर-घर जाकर आंसू बहाती थीं. उन्होंने कहा कि कभी-कभी शिल्पा ने भी अपनी सास के लिए वोट मांगा.

महाराजी की एक बेटी ने अमेठी में चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से कहा, ‘आप हमें न्याय दीजिए. जनता हमें न्याय देगी. सरकार ने हमें न्याय नहीं दिया है.’

‘पैसा, पिछड़ी व अनुसूचित जाति के शक्ति के केंद्र और चेहरे’

दिप्रिंट से बातचीत में सपा सदस्यों ने कहा कि अमेठी इलाके में उनके पास पिछड़ी जातियों से आने वाला कोई दूसरा चेहरा नहीं है. साथ ही, इस इलाके में पूर्व मंत्री के प्रति जबरदस्त सहानुभूति है. उन्होंने यह भी कहा कि परिवार आर्थिक रूप से संपन्न है.

महाराजी की ओर से दिए गए चुनावी हलफनामे में कहा गया है कि उनके पति और उनकी कुल संपत्ति 9 करोड़ रुपये से ज़्यादा है.

सपा के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘गायत्री के पास पैसे की ताकत है और यहां पर पिछड़ों का कोई नेता नहीं है. अमेठी की रॉयल फैमली के सदस्य (संजय सिंह, गरिमा सिंह, और अमीता सिंह) या तो कांग्रेस या बीजेपी के साथ हैं. अदिति सिंह (रायबरेली की विधायक और स्वर्गीय अखिलेश सिंह की बेटी) पहले ही बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में ऊंची जातियों का कोई भी नेता यहां से खड़ा नहीं हो सकता. गायत्री की पत्नी और बहु की उम्मीदवारी से कई संदेश एक साथ जाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘सहानुभूति के साथ ही एससी कम्युनिटी का समर्थन और यह बात कि महिलाएं वोट मांग रही हैं, इनसे प्रजापति परिवार को फायदा मिलता है.’ अमेठी में अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 84,000 से ज़्यादा है.

बीजेपी के राज्य प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि यूपी चुनाव में हारने के बाद भी सपा अब भी उन लोगों के साथ है जो ‘माफिया, बलात्कार के आरोपी, दंगाइयों से जुड़े हुए हैं और पार्टी को इसकी कीमत चुकानी होगी.’

यह पूछे जाने पर कि शिल्पा को उम्मीदवार क्यों बनाया गया, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने दिप्रिंट को कहा, ‘वह अपराधी नहीं हैं. उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है. गायत्री प्रजापति का मामला दूसरा है, लेकिन उनके परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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