लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधायक अपने ही सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ धरने पर बैठे थे. उनकी शिकायत थी कि योगी सरकार में नौकरशाह उनकी नहीं सुनते, वे अगर अपना और जनता का काम नहीं कर पायेंगे तो फिर किस मुंह से दोबारा जनता के पास वोट मांगने जायेंगे.
सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो यूपी में सीएम योगी की ओर से सभी अधिकारियों को क्राइम, भ्रष्टाचार समेत तमाम मुद्दों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ के आदेश हैं. ऐसे में तमाम मामलों में वे क्षेत्रीय विधायकों और सांसदों की सिफारिशें भी नहीं सुनते. कई मामलों में तो क्षेत्रीय विधायकों के खिलाफ ही एफआईआर हुई है.
आपको याद होगा कि बीते 17 दिसंबर को यूपी की विधानसभा में 100 से अधिक बीजेपी विधायक अपनी सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे. इस मामले को संभालने के लिए सीएम योगी ने कुछ बागी विधायकों से मुलाकात भी की. इस बीच विधानसभा सत्र खत्म हो गया और 19 दिसंबर को लखनऊ समेत तमाम शहरो में एंटी सीएए प्रोटेस्ट के दौरान हिंसा भड़क गई. कई शहरों में इंटरनेट भी बंद करना पड़ा. हिंसा की खबरों के बीच बीजेपी विधायकों के बगावत के सुर धीम पड़ गए लेकिन पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो तमाम कोशिशों के बावजूद कई विधायकों के अपनी ही सरकार से गिले शिकवे दूर नहीं हुए हैं.
अधिकारियों की मनमानी से नाराज़ हैं विधायक
दरअसल यूपी के कई बीजेपी विधायक और सांसद पुलिस अधिकारियों व तमाम ब्यूरोक्रेट्स की मनमानी से आहत हैं. 17 दिसंबर को गाजियाबाद की लोनी सीट से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर इस मुद्दे को उठाने के लिए सदन में अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया. नंद किशोर का आरोप था कि उन्हें गाजियाबाद पुलिस ने प्रताड़ित किया है.
नंद किशोर इस बात से नाराज होकर विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ गए. इस दौरान उन्हें 100 से अधिक बीजेपी विधायक व विपक्षी दलों के विधायकों का साथ मिल गया. आनन-फानन में विधानसभा की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा. मामला बढ़ते देख योगी कैबिनेट के मंत्री नाराज़ विधायकों के पास पहुंचे लेकिन फिर भी वे नहीं माने.
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नाराज़ विधायक नंद किशोर गुर्जर से सीएम योगी ने अपने आवास पर बुलाकर मुलाकात की. उस वक्त सरकार की ओर से कहा गया कि सीएम ने विधायकों का पक्ष जानकर पूरा साथ देने का भरोसा दिया है. इसके बाद विधायक नंद किशोर गुर्जर का बयान आया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री का ज़ीरो टॉलरेंस का सपना कैसे पूरा होगा. वह सीएम योगी का बेहद सम्मान करते हैं लेकिन प्रताड़ित कर रहे अधिकारियों पर कार्रवाई जरूरी है. वे 18-22 प्रतिशत तक कमीशन मांग रहे हैं. नंद किशोर ने तो यहां तक कह दिया कि इन अधिकारियों की पत्नियों की प्रॉपर्टी की जांच हो तो इन सबकी पोल खुल जाए.
विधायक नंद किशोर गुर्जर के आरोप के बाद गाजियाबाद प्रशासन ने बीजेपी विधायक के खिलाफ ही अलग-अलग 12 एफआईआर दर्ज होने की बात कही. जबकि नंद किशोर का कहना है कि उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है.
इस घटना के बाद हरदोई के बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश ने तो सोशल मीडिया पर विधायकों के लिए संगठन बनाने की मांग कर डाली. इसके पहले, बीते साल अगस्त में उन्होंने अपनी फेसबुक पर लिखा था- ‘मुख्यमंत्री जी सख्त फिर भी नहीं रुक रहा भ्रष्टाचार. सरकार और अधिकारियों को निशाने पर लेते हुए लिखा था कि प्रदेश के 95 फीसद अधिकारी भ्रष्टाचार के अवसाद से ग्रसित हैं. हर जगह बढ़ रही है कमीशनखोरी की धनराशि, अधिक कमीशन की मांग के कारण नहीं होते जायज़ भुगतान और काम. माननीय मुख्यमंत्री जी कृपया गंभीरता और सख्ती से लें संज्ञान.’
वहीं प्रयागराज से बीजेपी एमएलए विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इसे एकजुटता करार दिया. नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य बीजेपी विधायक ने दिप्रिंट को बताया कि ‘एक दर्जन से अधिक विधायक अभी भी नाराज़ हैं. उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि क्षेत्र का कोई अधिकारी उनकी सुनता नहीं है. जबकि वे जनप्रतिनिधि हैं, जनता के तमाम काम उन्हें कराने होते हैं. काम न होने पर जनता नाराज़ हो जाती है और इसका खामियाज़ा अगले चुनाव में विधायक को भुगतना पड़ता है. मुख्यमंत्री सख्त इमेज़ के हैं लेकिन फिर भी अधिकारियों ने पूरे सिस्टम पर कब्ज़ा कर रखा है, जनप्रतिनिधियों की भी नहीं सुनते. तो हम कहां जाएं. इसी कारण इतने विधायकों ने विधानसभा में धरना दे दिया.’
ये भी हैं नाराजगी के कारण
लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने लखनऊ पुलिस पर गंभीर आरोप लगा दिए. उन्होंने बीते दिनों ट्वीट कर कहा कि लखनऊ पुलिस का रवैया नकारात्मक है. नकारात्मक रवैये के कारण अपराधी निरंकुश हो गए हैं. हत्या और लूट का सिलसिला लगातार जारी है. दरअसल सूत्रों की मानें तो कौशल किशोर की शिकायत के बावजूद किसी मामले में पुलिस ने उनकी नहीं सुनी थी वे तबसे नाराज़ हैं और उनका दर्द ट्विटर पर छलक उठा.
पुलिस के नकारात्मक रवैया के चलते लखनऊ में अपराध निरंकुश हो चुके हैं। हत्या और लूट का सिलसिला बदस्तूर जारी है। @dgpup @Uppolice @lkopolice
— Kaushal Kishore (@mp_kaushal) December 29, 2019
इससे पहले बांदा के तिंदवारी विधानसभा सीट से बीजेपी एमएलए ब्रजेश प्रजापति एक कार्यक्रम में ऊंची कुर्सी और वीआईपी ट्रीटमेंट न मिलने के कारण जिले के एसपी से इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने इसकी शिकायत सीएम योगी से खत लिखकर भी कर दी थी. वहीं योगी सरकार में मंत्री व लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से विधायक स्वाति सिंह का बीते दिनों एक कथित ऑडियो वायरल हुआ जिसमें वे एक पुलिस अधिकारी को अंसल ग्रुप से जुड़े मामले में एफआईआर हटाने की बात कर रही थीं.
डिप्टी सीएम ने खुद लिखा था पत्र
पिछले साल डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सीएम योगी अदित्यनाथ को पत्र लिखकर एलडीए (लखनऊ डेव्लपमेंट अथॉरिटी) में हुए घोटालों की लिस्ट भेजी थी. डिप्टी सीएम ने पत्र में एलडीए में गंभीर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता का खुलासा किया था. इसके बाद एलडीए को 11 कॉन्ट्रैक्टर के फर्म को ब्लैक लिस्ट करना पड़ा था. सूत्रों की मानें तो डिप्टी सीएम के करीबी कई अन्य विधायक भी अधिकारियों की मनमानी और घोटालों से परेशान हैं.
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अखिलेश का आरोप, बीजेपी का इंकार
दिप्रिंट से बातचीत में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि नाराज विधायकों से मीडिया का ध्यान हटाने के लिए यूपी में सरकार ने हिंसा कराई. उन्होंने सीएम योगी पर सवाल उठाते हुए दावा किया की 200 से अधिक बीजेपी विधायक उनसे नाराज हैं.
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी संगठन मंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने नाराज विधायकों से मिलकर उनकी बात सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है लेकिन अभी नाराज विधायक खुलकर मीडिया के सामने इस मुद्दों पर नहीं बोल रहे लेकिन अंदर खाने सरकार के प्रति नाराजगी बरकरार है.
हालांकि दिप्रिंट से बातचीत में बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता मनोज मिश्र ने इससे इंकार किया है. उन्होंने कहा है नाराज़गी की बातें मीडिया में आईं थीं लेकिन फिलहाल पार्टी में सब ठीक-ठाक है. किसी भी विधायक को बागी कहना ठीक नहीं है.