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Friday, 15 November, 2024
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‘अस्वस्थ’, ‘सेवानिवृत्त’, ‘घर पर बैठे’, ‘राष्ट्रीय हित’ — जेजेपी के 7 विधायक चुनाव प्रचार से क्यों हैं दूर

हरियाणा में जेजेपी सभी 10 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रही ह. पार्टी सुप्रीमो अजय चौटाला ने कहा कि कार्रवाई शुरू हो गई है.

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गुरुग्राम: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सोमवार को करनाल संसदीय सीट से अपना नामांकन दाखिल करने से पहले, दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के विधायक राम निवास सुरजाखेड़ा उनसे मिलने उनके करनाल स्थित आवास पर गए.

नरवाना के विधायक सुरजाखेड़ा ने दोनों नेताओं की तस्वीरों को एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “करनाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने पर माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी से भेंटकर बधाई दी.”

सुरजाखेड़ा सिरसा से जेजेपी के उम्मीदवार रमेश खट्टर के लिए प्रचार नहीं कर रहे हैं — यह सीट नरवाना के तहत आती है. वे उन सात जेजेपी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने जानबूझकर हरियाणा में पार्टी के चल रहे चुनाव अभियान से दूरी बनाई है.

सुरजाखेड़ा के अलावा, अन्य “लापता” विधायकों में, उकलाना से अनूप धानक, नारनौंद से राम कुमार गौतम, बरवाला से जोगी राम सिहाग, शाहबाद से राम करण काला, गुहला से ईश्वर सिंह और टोहाना से देवेंद्र सिंह बबली हैं.

उदाहरण के लिए हिसार संसदीय सीट, जहां से पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां नैना चुनाव लड़ रही हैं, में चार विधानसभा क्षेत्र हैं — उचाना कलां, उकलाना, नारनौंद और बरवाला. केवल उचाना कलां से विधायक दुष्यंत अपनी मां के लिए प्रचार कर रहे हैं.

सिहाग ने पहले ही भाजपा के हिसार उम्मीदवार रणजीत सिंह — जेजेपी सुप्रीमो अजय सिंह चौटाला के चाचा — को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है. हालांकि, जेजेपी का झंडा अभी भी उनके आवास पर फहरा रहा है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन फिर भी वे जेजेपी का हिस्सा हैं.

सिहाग ने कहा, “मेरे लिए राष्ट्रीय हित मेरी पार्टी से ऊपर हैं. मैं इस बात से प्रभावित हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कैसे विकास किया है और मैंने राष्ट्रीय हित में रणजीत सिंह को अपना समर्थन देने की घोषणा की है. मेरे साथ मेरे सैकड़ों समर्थक भी बीजेपी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.”

इस बीच, अक्टूबर 2019 में जेजेपी प्रमुख के डिप्टी सीएम बनने के बाद से गौतम राज्य विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह दुष्यंत चौटाला के आलोचक रहे हैं.

गौतम ने दिप्रिंट को बताया कि वे “अस्वस्थ” हैं और इसलिए राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहे हैं.

दिप्रिंट ने फोन कॉल के जरिए विधायक धनक से संपर्क की कोशिश की थी. जवाब आने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

लेकिन जेजेपी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि नेता को गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

जेजेपी सुप्रीमो अजय सिंह चौटाला ने कहा कि पार्टी विधायकों पर नज़र रख रही है और नोटिस भेजकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि अब तक जोगीराम और सुरजाखेड़ा को नोटिस भेजा जा चुका है.

90-सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में जेजेपी के कुल 10 विधायक हैं. पार्टी राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है.


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‘लापता’ सात विधायक

दो विधायक — शाहबाद के राम करण काला और गुहला के ईश्वर सिंह — के बेटे विपक्षी कांग्रेस में शामिल हो गए.

काला के बेटे कंवर पाल और सुक्रम पाल — दोनों पूर्व पार्षद — 29 अप्रैल को जेजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए. ईश्वर सिंह के बेटे रणधीर ने भी उसी दिन कांग्रेस में शामिल होने के अपने फैसले की घोषणा की.

दिप्रिंट ने जब काला से संपर्क किया तो उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में कुछ भी नहीं बताया. हालांकि, उन्होंने कहा, “मैं इन चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं कर रहा हूं. मेरे बेटा कांग्रेस में शामिल हो गया है. यह उसका फैसला है और मैं घर पर बैठा हूं. मैं अपने समर्थकों से सलाह लेने के बाद अपनी भविष्य की रणनीति तय करूंगा.”

हालांकि, उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो सका, लेकिन ईश्वर सिंह ने मीडियाकर्मियों को काफी पहले ही बता दिया था कि उनका बेटा कांग्रेस में शामिल होगा और वे खुद “सेवानिवृत्त जीवन जिएंगे”.

गुहला विधायक के एक समर्थक ने दिप्रिंट को बताया कि “इच्छित सेवानिवृत्ति” का मतलब दलबदल विरोधी कानून से बचना था और वे भी अंततः कांग्रेस में शामिल होंगे.

अपनी ओर से जेजेपी सुप्रीमो अजय चौटाला ने दिप्रिंट से कहा कि पार्टी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती जिनके बेटे किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो गए हैं.

इस बीच, टोहाना विधायक देवेंदर सिंह बबली ने दिप्रिंट को बताया कि वे अभी तक न तो किसी राजनीतिक दल में शामिल हुए हैं और न ही किसी जेजेपी उम्मीदवार के लिए प्रचार करने की उनकी कोई योजना है.

रविवार को जब मीडिया ने अजय चौटाला से पूछा कि बबली उनकी पार्टी के प्रचार में क्यों नहीं शामिल हो रही हैं, तो उन्होंने टोहाना विधायक को पार्टी पर “बोझ” बताया.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बबली ने कहा कि जेजेपी सुप्रीमो ही बोझ हैं. उन्होंने कहा, “मेरे पास 500 बूथ योद्धाओं की एक बड़ी टीम है, टोहाना आज़ाद हिंद फौज नामक एक संगठन है जो मेरे लिए काम करता है और कुछ गैर सरकारी संगठन हैं जिनका मैं पिछले कई वर्षों से समर्थन कर रही हूं. किस राजनीतिक दल में शामिल होना है, इस बारे में फैसला लेने से पहले मैं उनसे परामर्श करूंगी.”

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने पहले ही जेजेपी को अलविदा कह दिया, बबली ने तीखी प्रतिक्रिया जताई और कहा कि उन्हें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं क्योंकि “पार्टी नेतृत्व” ने उनकी ओर से पहले ही ऐसा कर दिया था.

उन्होंने अपने बाहर निकलने के फैसले के लिए भी दुष्यन्त चौटाला को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, “जब दुष्यन्त चौटाला डिप्टी सीएम थे तो सभी विभाग उनके पास ही थे. मंत्री बनने के लिए मुझे उनसे लड़ना पड़ा क्योंकि मेरा मानना ​​है कि जब आपको अधिकार नहीं मिलते तो आपको उन्हें छीनना पड़ता है.”

उन्होंने आगे कहा, “हमने उन्हें डिप्टी सीएम बनाया और वे सारी शक्तियां अपने पास रखना चाहते थे. इसीलिए जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह समेत सभी नेताओं को पार्टी छोड़नी पड़ी.”

हालांकि, 4 मई को जब सोनीपत से पार्टी के उम्मीदवार भूपेन्द्र मलिक ने अपना नामांकन दाखिल किया, तब अमरजीत सिंह ढांडा मौजूद थे, लेकिन उसके बाद से जुलाना विधायक को प्रचार में नहीं देखा गया है.

ढांडा ने दिप्रिंट के फॉन कॉल का जवाब नहीं दिया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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