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Wednesday, 20 November, 2024
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उमा भारती का MP में शराबबंदी के लिए जारी अल्टीमेटम BJP आलाकमान के लिए एक संदेश है

भाजपा नेताओं का कहना है कि जहां शराबबंदी का आह्वान समाज के लिए अच्छी बात है, वहीं उमा भारती की आंदोलन की धमकी उनके लिए अपने राजनीतिक निर्वासन से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की राजनीति में फिर से वापसी की कोशिश में जुटी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने राज्य में पूरी तरह शराबबंदी लागू करने को लेकर शिवराज सिंह चौहान सरकार को जनवरी तक का अल्टीमेटम दे दिया है. भाजपा नेता ने चेताया है कि अगर तय समयसीमा में ये मांग पूरी नहीं हुई तो वह आंदोलन शुरू कर देंगी.

पिछले हफ्ते पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर मध्य प्रदेश सरकार कोई कदम उठाने में नाकाम रहती है तो शराबबंदी लागू कराने के लिए महिलाएं ‘लट्ठ’ उठा सकती हैं.

यह पहला मौका नहीं है जब उमा भारती ने शराबबंदी के मुद्दे पर शिवराज सरकार को बैकफुट पर लाने के लिए आंदोलन की धमकी दी है.

उमा भारती ने रविवार को ट्वीट किया कि शराबबंदी को लेकर उनका अभियान—जिसकी घोषणा इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) को की गई थी—कोविड के कारण शुरू नहीं हो पाया. लेकिन सब कुछ ठीकठाक रहा तो अब पांच महीने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा, ‘तब तक मेरी गंगा यात्रा पूरी हो जाएगी. फिर 15 से 20 जनवरी, 2022 के बीच मैं स्थिति की समीक्षा करूंगी. मुझे उम्मीद है कि मध्यप्रदेश सरकार तब तक राज्य में शराबबंदी पर फैसला ले लेगी. नहीं तो फिर महिलाएं शराबबंदी के लिए सड़कों पर उतरेंगी. और मैं भी उनके साथ शामिल हो जाऊंगी.’

भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि शराबबंदी का आह्वान तो समाज के लिए अच्छी बात है, वहीं इसे लेकर आंदोलन की धमकी उमा भारती के लिए उनके अपने खुद के राजनीतिक निर्वासन के फैसले से बाहर आने का एकमात्र तरीका है.

हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.डी. शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार भारती की मांग पर गंभीरता से विचार करेगी. शर्मा ने कहा, ‘वह हमारी एक सम्मानित नेता हैं.’


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यह मामला कैसे गर्माया

इस साल जनवरी में मुरैना जिले में अवैध शराब पीने से कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई थी. इसके तुरंत बाद उमा भारती, जो राज्य के सियासी मैदान में फिर कूदने के लिए कोई रास्ता तलाश ही रही थीं, ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर पार्टी शासित सभी राज्यों में शराब पर पाबंदी लगाने की मांग की. उन्होंने गुजरात और बिहार का उदाहरण दिया, जहां शराबबंदी के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं ने नीतीश कुमार के समर्थन में वोट दिया.

उन्होंने इस संबंध में 8 मार्च को एक आंदोलन की घोषणा की थी, लेकिन यह शुरू नहीं हो पाया. बाद में इसका कारण कोविड की दूसरी लहर को बताया गया. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि उन्हें अपना आंदोलन आगे बढ़ाने के लिए कोई नहीं मिला था और उनके सलाहकारों ने उन्हें बताया कि आंदोलन शुरू करने का यह सही समय नहीं है.

भाजपा सूत्रों ने बताया कि वह राज्यसभा सीट की अपेक्षा कर रही थीं, जो जुलाई में थावर चंद गहलोत के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी लेकिन भाजपा आलाकमान ने यह सीट एल. मुरुगन को देने का फैसला किया, जिन्हें दो महीने पहले ही बतौर राज्य मंत्री केंद्र सरकार में शामिल किया गया था.

सूत्रों ने आगे कहा कि इसके अलावा, उन्हें राज्यसभा में लाने का कोई औचित्य भी नहीं था क्योंकि वह एक जन नेता हैं.

यह समय क्यों चुना?

फरवरी 2018 में उमा भारती ने घोषणा की थी कि वह तीन साल के लिए चुनावी राजनीति से विराम ले रही हैं. 2022 में अपना यह अवकाश पूरा होने के बाद वह राज्य की राजनीति में वापसी के लिए एक लॉन्चपैड तलाश रही हैं.

एक महिला नेता के नाते उन्हें यह बात अच्छी तरह पता है कि शराबबंदी का मुद्दा उन्हें महिलाओं के साथ ज्यादा आसानी से जोड़ सकता है. इसलिए उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को जनवरी की डेडलाइन दे दी है.

लेकिन साथ ही वह खुद एक सम्मानजनक स्थान पाने के लिए भाजपा आलाकमान को भी संकेत भेज रही हैं. अन्यथा, वह 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार के आराम से काम करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं.

मध्य प्रदेश में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने घोषणा कर रखी है कि 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं. अब उन्हें टिकट देने के बारे में फैसला आलाकमान को करना है.’

उन्होंने कहा, ‘वह पिछली बार झांसी (उत्तर प्रदेश में) से चुनाव जीती थीं. यह उनके लिए एक विकल्प हो सकता है लेकिन (सीएम) योगी एक और पॉवर सेंटर बनने की आशंका को देखते हुए उन्हें झांसी से मैदान में उतारने से हिचकिचाएंगे. वह मध्य प्रदेश से चुनाव लड़ना चाहती हैं जो किसी भी सूरत में शिवराज को पसंद नहीं आएगा.’

नेता ने कहा कि चूंकि मध्य प्रदेश की कमान अपने हाथ में बनाए रखने के लिए 2023 के चुनाव भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे, इसलिए उन्होंने ‘चुनाव का समय देखते हुए’ जनवरी की समयसीमा दी है.

हालांकि, राज्य में भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा कि 2018 के बाद से मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘बहुत कुछ बदल गया है.’

नेता ने कहा, ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया अब नया पॉवर सेंटर हैं और अन्य दावेदारों को दूर बनाए रखने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया के साथ एक अच्छी केमिस्ट्री बना रखी है. यहां तक शिवराज-सिंधिया की केमेस्ट्री की वजह से (सीएम चुनते समय) अमित शाह के विश्वस्त माने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा को भी कुर्सी मिलना मुश्किल हो गया.’

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में उमा की अमित शाह के साथ इतनी अच्छी केमिस्ट्री नहीं है, और इसकी संभावना बहुत कम है कि राज्य की राजनीति में उन्हें कोई जगह मिल पाएगी.’

भारती के करीबी नेताओं ने कहा, ‘उमा भारती ने अपने पास तुरुप का एक पत्ता छिपा रखा है. वह अपनी पिछड़ी जाति का कार्ड खेलकर राज्य में जाति जनगणना की मांग कर सकती हैं, लेकिन यह सब इस पर निर्भर करेगा कि भाजपा आलाकमान अगले साल उनके मामले में कैसा रुख अपनाता है.

पिछले हफ्ते उमा भारती एक ओबीसी प्रतिनिधिमंडल से मिली थीं, जिसने जाति आधारित जनगणना और निजी नौकरियों में आरक्षण की मांग की थी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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