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बुधवार, 11 जून, 2025
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त्रिपुरा BJP का बकरीद पर मुस्लिम परिवार को ‘दान’ देने का विवाद गरमाया, हिंदुत्व संगठन ने जताया विरोध

बकरीद पर मुस्लिम परिवार के घर में तोड़फोड़ करने वाले वीएचपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग विपक्ष ने की है, जबकि भाजपा पर गाय की कुर्बानी में मदद करने को लेकर वीएचपी ने हमला बोला है.

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नई दिल्ली: त्रिपुरा में एक राजनीतिक विवाद गरमा गया है, जहां मुख्यमंत्री माणिक साहा पर एक मुस्लिम परिवार को शांत करने के लिए गाय उपलब्ध कराने का आरोप लगा है. उस परिवार का घर बकरा ईद पर लूट लिया गया था, जिससे वे कुर्बानी नहीं कर पाए.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जो गाय संरक्षण की लंबे समय से वकालत करती रही है, पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने गाय उपलब्ध कराने का आरोप लगाया, जबकि विपक्ष ने वीएचपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की मांग की, जिन्होंने मुस्लिम परिवार का घर बकरा ईद पर लूट लिया था.

विवाद शुरू होने पर बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने कहा कि यह उनका सद्भावना प्रयास था और इसमें मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं थी. मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह गाय नहीं, बल्कि बैल था.

त्रिपुरा बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख बिलाल मियां ने दिप्रिंट को बताया, “बकरीद के दौरान कुर्बानी होती है. जब हमें पता चला कि उस गरीब परिवार के पास कुर्बानी के लिए कोई जानवर नहीं है, तो हमने एक जानवर का इंतजाम किया. हम ईद और बकरीद के समय आम तौर पर दान करवाते हैं. यह कोई सरकारी योजना नहीं थी और इसमें मुख्यमंत्री की कोई भूमिका नहीं है. हमने इंसानियत के तौर उस गरीब परिवार की मदद की.”

उन्होंने कहा, “अब कांग्रेस और सीपीआई(एम) इसे राजनीति बना रहे हैं क्योंकि उन्हें अल्पसंख्यक वोट गंवाने का डर है. बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जो दुर्गा पूजा और ईद मनाती है और बकरीद पर दान देती है. इसमें नया क्या है?”

यह विवाद 7 जून को शुरू हुआ, जब हिंदुत्व समूहों के सदस्यों ने कथित तौर पर मुस्लिम परिवार के कुर्बानी के समय उनकी जानवर को भगाया और परिवार पर हमला किया, जैसा कि जमियत उलेमा-ए-हिंद ने बताया.

हिंदुत्व संगठनों का कहना है कि इस विरोध का कारण माता त्रिपुरा सुंदरि मंदिर के निकट जानवरों की कुर्बानी थी. स्थानीय नेताओं ने मुस्लिम समुदाय से मंदिर के पास सार्वजनिक रूप से गाय या अन्य जानवरों की कुर्बानी न करने का अनुरोध किया था, लेकिन कुछ परिवारों ने इसका पालन नहीं किया, जिससे स्थानीय युवाओं ने विरोध किया.

जमीयत के नेताओं ने स्थानीय बीजेपी विधायक और वित्त मंत्री प्रणजीत सिंह रॉय से मुलाकात की. शिकायत सुनने के बाद, रॉय ने मुख्यमंत्री से बात की और मुस्लिम परिवार को गाय देने का प्रस्ताव रखा.

मुख्यमंत्री की “स्वीकृति” के बाद, रॉय ने गाय का इंतिज़ाम किया और बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा प्रमुख बिलााल मियां तथा अन्य स्थानीय नेताओं ने इसे परिवार को सौंपा.. बाद में मुस्लिम परिवार ने मुख्यमंत्री और बीजेपी के इस कदम के लिए आभार जताया.

‘दान का त्याग नहीं किया जा सकता’

बिलाल मियां ने सोमवार शाम फेसबुक पर इस घटना को लेकर एक पोस्ट किया, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि यह व्यवस्था मुख्यमंत्री के निर्देश पर की गई थी. लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने पोस्ट से राज्य सरकार और मुख्यमंत्री साहा का जिक्र हटा दिया.

संशोधित पोस्ट में लिखा गया: “पिछले शनिवार को उदयपुर (राजनगर) में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मद्देनज़र, अल्पसंख्यक समुदाय के एक समूह ने आज कुर्बानी की व्यवस्था की है.”

बीजेपी के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मोर्चा प्रमुख जमाल सिद्दीकी ने दिप्रिंट से कहा, “हमारा मोर्चा कुर्बानी के लिए कोई दान नहीं करता. हम गाय की पूजा करते हैं. देश में गाय और बैल की हत्या पर रोक है. अगर किसी ने कुर्बानी के लिए किसी परिवार को गाय या बैल दान किया है, तो वह निंदनीय है. इस्लाम में भी, दान किए गए जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती. कुर्बानी के जानवर को खुद कमाकर या खरीदकर लाना चाहिए.”

बीजेपी के त्रिपुरा प्रवक्ता सुभ्रत चक्रवर्ती ने दिप्रिंट को बताया, “सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है कि किसी परिवार की कुर्बानी में मदद की जाए और न ही पार्टी की तरफ से ऐसा कुछ है. मैंने पहली बार ऐसा दान सुना है. शायद किसी व्यक्ति ने व्यक्तिगत रूप से मदद की हो, लेकिन पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है.”

इस बीच, सीपीआई(एम) और कांग्रेस के नेताओं ने मुस्लिम परिवार पर हुए हमले के खिलाफ विरोध किया और मुख्यमंत्री से मांग की कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिन्होंने परिवार का घर लूटा.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष आशीष साहा ने दिप्रिंट से कहा, “मुख्यमंत्री ने ऐसा कैसे होने दिया? राज्य सरकार कुर्बानी के दिन कुर्बानी के लिए गाय दान नहीं कर सकती. सरकार ने कुर्बानी पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.”

“वीएचपी और हिंदुत्व संगठनों ने उनके घर पर हमला और उत्पीड़न कैसे किया? वे मुसलमानों के खिलाफ राजनीतिक लाभ के लिए अपराध कर रहे हैं. उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए. मुख्यमंत्री को उन लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए जिन्होंने मुस्लिम परिवार का घर लूटा.”

यह घटना उस समय हुई जब बकरीद के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर जानवरों की कुर्बानी को लेकर तनाव बढ़ गया था. त्रिपुरा पुलिस ने गोमती जिले में सार्वजनिक रूप से गाय की कुर्बानी देने के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया. राजनगर में हिंदू और मुस्लिम समूहों के बीच झड़पें हुईं, जिसके बाद पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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