लखनऊ: ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को लेकर चिंता जताने के बाद कांग्रेस पार्टी ने ‘वोट रक्षक’ अभियान शुरू किया है. इसका उद्देश्य पार्टी कार्यकर्ताओं को मतदाता सूची में गलतियों की पहचान और रिपोर्ट करने के लिए ट्रेनिंग देना है.
मतदाता सूचियों में कथित हेरफेर को रोकने के लिए कांग्रेस ने पांच लोकसभा सीटों को चुना है, जहां उसने कम अंतर से हार दर्ज की थी: जयपुर ग्रामीण और अलवर (राजस्थान), कांकेर (छत्तीसगढ़), मोरेना (मध्य प्रदेश) और बसगांव (उत्तर प्रदेश).
इन सीटों पर हर 20 मतदान केंद्रों में एक वोट रक्षक तैनात किया जाएगा, यानी प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग 15-20 स्वयंसेवक और हर लोकसभा सीट में करीब 100 लोग.
इनका काम चुनावी सूची पर नज़र रखना होगा और यदि कोई गलत जोड़-घटाव हुआ तो तुरंत चुनाव आयोग से संपर्क करना होगा.
टीम ने पहले ही पांच में से तीन चयनित सीटों का कवरेज किया है, जहां कांग्रेस उम्मीदवार भी वोट रक्षक पहचान और प्रशिक्षण सत्र में मौजूद रहे.
वोट रक्षक कार्यक्रम का हिस्सा एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने बताया कि इन पांच लोकसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित करने का उद्देश्य यह संदेश देना था कि अगर पहले बूथ रक्षक होते तो कांग्रेस इन सीटों को जीत सकती थी, साथ ही स्थानीय कार्यकर्ताओं को जागरूक करना भी.
यह पहल एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ली जा रही है क्योंकि इन सीटों पर जीत का अंतर 10,000 वोट से कम था. इसके बाद पार्टी इस अभियान को पांच और सीटों तक बढ़ाने की योजना बना रही है, जहां अंतर 20,000 वोट से कम था.
नेता ने कहा, “चूंकि मतदाता सूची लगभग हर एक-दो साल में स्थानीय निकाय, विधानसभा चुनाव या किसी अन्य चुनाव के दौरान अपडेट होती है, हम अब से जागरूकता बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि यह मुद्दा अब ज़रूरी हो गया है.”
वोट रक्षक की पहचान और प्रशिक्षण के लिए कांग्रेस ने करीब एक दर्जन नेताओं की टीम बनाई है. ये प्रमुख नेता नहीं हैं, लेकिन इन्हें पार्टी प्रशिक्षण, सर्वे और चुनावी सूचियों के अनुभव हैं.
वोट रक्षक कौन हैं?
कांग्रेस के एक नेता के अनुसार, वोट रक्षक वे स्वयंसेवक हैं जिनका काम वोट चोरी को रोकना है. ट्रेनिंग में उन्हें पार्टी कार्यकर्ता बताया गया है जो सिर्फ संगठन का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि मतदाता सूची की जांच करना, चुनावी फॉर्म का सही उपयोग करना और मतदाता सूची में गलतियों पर आपत्ति दर्ज करना सीखते हैं.
ये रक्षक स्थानीय जिला इकाई का हिस्सा हो सकते हैं. इन्हें कोई वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन राज्य इकाई के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इनकी निगरानी की जाएगी. कई रक्षकों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी में शीर्ष नेताओं से मिलने का भी मौका मिलेगा.
दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि ट्रेनिंग के दौरान कार्यकर्ताओं को चार प्रेजेंटेशन दिए जाते हैं—वोट चोरी क्या है, इसे कैसे रोका जाए, आधिकारिक दस्तावेज़ों का उपयोग और वोट रक्षक अभियान.
आज जयपुर ग्रामीण लोकसभा की झोटवाडा़ विधानसभा में वोट-चोरी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के सन्दर्भ में वोट रक्षकों की कार्यशाला आयोजित की गई।#AnilChopra #JaipurRural @RahulGandhi @kcvenugopalmp @priyankagandhi @kharge @SachinPilot @GovindDotasra @ashokgehlot51 @TikaRamJullyINC… pic.twitter.com/0MAR2diPEG
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दस्तावेज़ों में इन सत्रों का विवरण दिया गया है. पहला प्रेजेंटेशन बताता है कि देश भर में वोट चोरी कैसे होती है, जैसे डुप्लीकेट एंट्री, एक ही पते पर कई वोटर और फर्जी वोटिंग. दूसरा प्रेजेंटेशन रोकथाम के उपायों पर ध्यान देता है, जैसे सतर्कता बढ़ाना और वार्षिक मतदाता सूची की जांच.
तीसरा प्रेजेंटेशन फॉर्म 6 (नाम जोड़ने के लिए), फॉर्म 7 (हटाने या आपत्ति दर्ज करने के लिए) और फॉर्म 8 (सुधार के लिए) के उपयोग पर केंद्रित है. अंतिम प्रेजेंटेशन वोट रक्षकों की भूमिका को परिभाषित करता है: स्वयंसेवक जो पार्टी का हिस्सा होने के साथ-साथ मतदाता सूची की निगरानी करते हैं, इन फॉर्मों का सही उपयोग करते हैं और मतदाता सूची में गलतियों पर सवाल उठाते हैं.
मध्य प्रदेश के एक स्थानीय नेता, जिन्होंने ट्रेनिंग में हिस्सा लिया, कहा, “ऐसा लगा कि वे बूथ कार्यकर्ताओं की पहचान कर रहे हैं, लेकिन एक अलग तरीके से. यह कुछ हद तक बीजेपी द्वारा शुरू किए गए पन्ना प्रमुख कॉन्सेप्ट जैसा है, जिसने उनके पार्टी कार्यकर्ताओं में भी हलचल पैदा की थी.”
प्रियंका गांधी की निगरानी
जहां राहुल गांधी इस अभियान के चेहरे हैं, वहीं पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस कार्यक्रम की बारीकी से निगरानी कर रही हैं. ऐसा बताया गया है कि उन्होंने ट्रेनरों की सूची को अंतिम रूप दिया और राहुल गांधी को फीडबैक भी दिया.
मुख्य प्रशिक्षण टीम में उत्तर प्रदेश से अनिल यादव, प्रदीप नरवाल और माज़िन हुसैन शामिल हैं, जिनके साथ करीब दर्जनभर कोऑर्डिनेटर जुड़े हैं. अनिल और नरवाल को टीम प्रियंका के समूह के सदस्य माना जाता है. माज़िन, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं, उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी शामिल रहे हैं.
कांग्रेस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि राहुल गांधी की टीम के एक वरिष्ठ नेता को ट्रेनरों द्वारा दी गई जानकारी की निगरानी का काम सौंपा गया है. उम्मीद है कि राहुल इस साल वोट रक्षकों को संबोधित करेंगे.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “कागज़ों पर यह एक अच्छी पहल है, लेकिन इसे सभी 545 लोकसभा सीटों तक फैलाना आसान नहीं होगा. कांग्रेस में उम्मीदवार अक्सर बूथ प्रबंधन के लिए अपनी मुख्य टीम पर भरोसा करते हैं और यह देखना बाकी है कि ये टीमें वोट रक्षकों की बात मानेंगी या नहीं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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