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Monday, 25 November, 2024
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‘क्या वायरल वीडियो लीक का समय संदिग्ध नहीं है?’ – बीरेन सिंह ने विपक्ष पर मणिपुर में अशांति फैलाने का आरोप लगाया

मणिपुर के मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार ने हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास में मदद का आश्वासन दिया है, उन्होंने कहा, 'चीजें काफी बेहतर हैं, खासकर संसद में मोदी और अमित शाह के भाषणों के बाद.'

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नई दिल्ली: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने आरोप लगाया है कि विपक्ष ने राज्य में अशांति पैदा करने की साजिश रची है, उन्होंने कहा कि राज्य की स्थिति सामान्य हो रही है और केंद्र सरकार ने जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास में हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.

गुरुवार को दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘थौबल में 4 मई को जिन दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उनका वीडियो संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले 19 जुलाई को लीक किया गया था. क्या वह समय संदिग्ध नहीं है? यह राज्य में अशांति फैलाने की विपक्षी पार्टियों की साजिश लगती है. मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी, नहीं तो पुलिस पहले ही कार्रवाई कर देती. हमने राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए सभी प्रयास किए हैं.”

सिंह, जिन्होंने दिन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, ने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि केंद्र “विस्थापित व्यक्तियों को बसाने” के राज्य के प्रयासों का समर्थन करेगा.

उन्होंने कहा, “मैं अमित शाह जी से मिला और उन्होंने कहा है कि पुनर्वास और शांति बहाली दोनों प्रक्रिया एक साथ चलनी चाहिए. उन्होंने हमें केंद्र से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है.’ हमने उन्हें वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और बताया कि कैसे चीजें काफी बेहतर हुई हैं, खासकर संसद में पीएम मोदी और अमित शाह जी के भाषण के बाद. ”

मणिपुर के सीएम ने कहा कि विस्थापितों के पुनर्वास के लिए काम जारी है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनके घर हिंसा के दौरान जला दिए गए थे. उन्होंने कहा, “हमने पहले ही प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आवास का निर्माण कर लिया है, 3,000 पूर्व-निर्मित आवास इकाइयों के निर्माण के लिए 149 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे और 400 परिवारों को ये इकाइयां प्रदान की गई हैं.”

राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री से उन लोगों के पुनर्वास के लिए 150-200 करोड़ रुपये प्रदान करने का अनुरोध किया, जिनके घर जल गए. एक सूत्र ने कहा, “अब ध्यान पुनर्वास पर है और हम उन परिवारों को बसाना चाहेंगे जिनके घर जल गए हैं. कुल 4,000 घर बनाने होंगे, लेकिन हम 1,000 से शुरुआत करने की योजना बना रहे हैं.”

इस बीच, सीएम ने कहा कि वर्तमान संकट दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन यह कानून-व्यवस्था की स्थिति नहीं है जैसा कि बताया जा रहा है.

कुछ भाजपा विधायकों और मैतेई नागरिक समाज समूहों ने भी असम राइफल्स पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया है और अंतर जिला संवेदनशील क्षेत्रों से उनकी वापसी की मांग की है. असम राइफल्स प्रशासनिक रूप से गृह मंत्रालय के अधीन है और परिचालन रूप से सेना द्वारा नियंत्रित है.

इन आरोपों पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हर किसी को एक ही रंग में नहीं रंगा जा सकता.

मणिपुर के आदिवासी कुकी और गैर-आदिवासी मैतेई समुदायों के बीच जातीय झड़पें 3 मई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में मैतेई लोगों को शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए निकाले गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़क उठीं और जिसे एक प्रयास के रूप में वर्णित किया गया था. कुकी और उनकी उप-जनजातियों के अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को सुरक्षित करना.

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.


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अवैध प्रवास को ख़त्म करने के लिए मिलेगी केंद्रीय मदद

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद, फरवरी 2021 में कई कुकी प्रवासियों ने मणिपुर में शरण ली.

पड़ोसी देश म्यांमार से “अवैध प्रवास” को समाप्त करने के लिए, सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि उन्होंने 398 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की बाड़ लगाने को पूरा करने के लिए और अधिक केंद्रीय बलों की मांग की है.

उन्होंने कहा कि राज्य इम्फाल के एक हिरासत केंद्र में बंद अवैध प्रवासियों के बायोमेट्रिक्स रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की 30 सितंबर की समय सीमा को बढ़ाने की भी मांग करेगा.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अप्रैल में मणिपुर सरकार द्वारा चलाए गए एक अभियान में, म्यांमार के 2,800 से अधिक अवैध प्रवासी राज्य में रहते हुए पाए गए हैं.

(अनुवाद- पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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