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Monday, 6 May, 2024
होमएजुकेशनछात्रों के मन से मैथ्स का डर हटाने, भारतीय गणितज्ञों के योगदान को सामने लाने के लिए NCF लाया नया सिलेबस

छात्रों के मन से मैथ्स का डर हटाने, भारतीय गणितज्ञों के योगदान को सामने लाने के लिए NCF लाया नया सिलेबस

नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 के अनुसार, स्कूल स्तर पर गणित के पाठ्यक्रम में भारत में की गई गणित की खोजें और उनके पीछे की 'आकर्षक कहानियां' शामिल होंगी.

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नई दिल्ली: स्कूली छात्रों में भारतीय गणितज्ञों के कार्यों और योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से, नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 का उद्देश्य यहां के स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले गणित पाठ्यक्रम को नया स्वरूप देना है, साथ ही पिछले महीने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपे गए फ्रेमवर्क दस्तावेज़ के अवलोकन से पता चलता है कि विषय को पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव किया गया है. इस दस्तावेज़ की सामग्री 23 अगस्त को सार्वजनिक की गई थी.

एनईएफ दस्तावेज़ के अनुसार, स्कूल स्तर पर गणित के पाठ्यक्रम में भारत में हुई मूलभूत गणित की खोजें और उनके पीछे की “आकर्षक कहानियां” शामिल होंगी. दिप्रिंट के पास दस्तावेज़ की एक काॅपी है.

प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों में से एक यजुर्वेद में 10-की-घात-10 (10-to-the-power-10) और 10-की-घात-12 (10-to-the-power-12) तक के लिए प्रयोग किए गए शब्दों – से लेकर बौधायन (या पाइथागोरस) प्रमेय की अवधारणा, 0-9 अंकों का उपयोग करके संख्याएं लिखने की भारतीय प्रणाली का विकास (एनसीएफ दस्तावेज़ के अनुसार, पहली बार प्राचीन भारत के गणितीय पुस्तकों, बक्षाली पांडुलिपि में उपयोग किया गया था), और आर्यभट्ट की त्रिकोणमितीय साइन (प्राचीन भारतीय प्रयोग में ज्या) और आर्यभट्ट के खगोलीय लेख और गणनाओं आर्यभट्टीय में कॉस (कोटिज्य) तक एनईएफ गणित में पारंपरिक भारतीय अनुसंधान पर नज़र डालने की कोशिश करता है.

यह 14वीं शताब्दी के संगमग्राम के भारतीय गणितज्ञ माधव द्वारा भारत में पाई के अनंत मान जैसी अवधारणाओं की खोज और 7वीं शताब्दी में भारतीय गणितज्ञ विरहांक को ज्ञात फाइबोनैचि सीरीज़ के सिद्धांत के श्रेय का दावा करने के लिए पुराने भारतीय ग्रंथों का भी हवाला देता है.

नए पाठ्यक्रम का उद्देश्य गणित के क्षेत्र में भारतीय योगदान की समय-सीमा का पता लगाना है – दूसरी सहस्राब्दि ईसा पूर्व से लेकर 2002 तक यह स्थापित करने के लिए पॉलीनॉमियल टाइम एल्गोरिदम की खोज तक कि कोई दी गई संख्या अभाज्य है या नहीं.

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जबकि एनसीएफ – जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली एक संचालन समिति द्वारा देश भर में स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए डेवलेप किया गया था – सामान्य तौर पर भारतीय संस्कृति और ज्ञान को शिक्षा प्रणाली के साथ एकीकृत करने का प्रयास किया गया है, दस्तावेज़ को पढ़ने से दिप्रिंट को पता चला कि “भारत में बेहद समृद्ध इतिहास” के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए गणित पर विशेष जोर दिया गया है. एनसीएफ दस्तावेज़ नई शिक्षा नीति, 2020 के दृष्टिकोण का प्रतीक है.

एनसीएफ दस्तावेज़ में कहा गया है, “गणित का भारत में अत्यंत समृद्ध इतिहास है, जो वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक हजारों वर्षों तक फैला हुआ है. भारत के साथ-साथ दुनिया भर में गणित के विकास के बारे में सीखकर, गणित के इतिहास और समय के साथ गणितीय अवधारणाओं के उल्लेखनीय विकास और इन विकासों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका की अधिक सामान्य सराहना के साथ-साथ भारत में जड़ता को बढ़ाया जा सकता है.”

भारत के गणितीय इतिहास के अध्ययन को शिक्षा प्रणाली के “बुनियादी तैयारी, मिडिल और सेकेंडरी लेवल” में चैप्टर्स और ग्रेड्स में विभाजित करने का सुझाव दिया गया है.

इसके अलावा, छात्रों के मन में आमतौर पर बैठे डर को दूर करने के लिए, एनसीएफ दस्तावेज़ शिक्षकों को विषय की वैचारिक समझ को प्रोत्साहित करने के लिए कई शिक्षण और मूल्यांकन विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है.


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भारतीय गणितज्ञों से परिचय

एनसीएफ दस्तावेज़ में कहा गया है कि प्रारंभिक चरण में, छात्रों को “भारतीय अंकों की उत्पत्ति” और “दुनिया भर में उपयोग में आने वाली दशमलव अंक प्रणाली” से परिचित कराया जाएगा.

मिडिल और सेकेंडरी लेवल के छात्रों को महत्वपूर्ण गणितीय विचारों के विकास और बौधायन, पाणिनि, पिंगला, आर्यभट्ट, भास्कर प्रथम, ब्रह्मगुप्त, विरहंका, श्रीधर, भास्कर द्वितीय, माधव, नारायण पंडिता और रामानुजन जैसे भारतीय गणितज्ञों के योगदान के बारे में पढ़ाया जाएगा.

सेकेंडरी स्तर पर, छात्र उन्नत गणितीय विचारों में भारतीय गणितज्ञों के योगदान के बारे में भी सीखेंगे, जिसमें बीजगणित, कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री, कॉम्बिनेटरिक्स और कैलकुलस के क्षेत्र शामिल हैं.

छात्रों के लिए लर्निंग को ज्यादा व्यावहारिक और आकर्षक बनाने के लिए फ्रेमवर्क में कला, विज्ञान और खेल जैसे अन्य विषयों के साथ गणितीय दृष्टिकोण के एकीकृत करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया है.

छात्रों के बीच गणित के प्रति आम तौर पर देखे जाने वाले डर और उच्च अध्ययन में विज्ञान को आगे बढ़ाने के माता-पिता के दबाव पर चर्चा करते हुए, एनसीएफ दस्तावेज़ में कहा गया है, “इसी तरह, इंजीनियरिंग जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रतिस्पर्धी प्रवेश परीक्षाओं को ‘क्रैक’ करने के लिए गणितीय क्षमता को केंद्रीय माना जाता है. इन परीक्षाओं में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण, माता-पिता कभी-कभी अपने बच्चों पर कोचिंग कक्षाओं में जाने और गणित में उच्च अंक प्राप्त करने का अत्यधिक दबाव डालते हैं.”

यह शिक्षकों और छात्रों को गणित को “यांत्रिक प्रक्रियाओं के एक सेट के बजाय इनोवेशन, खोज और रचनात्मकता के विषय” के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करता है.

यह छात्रों के बीच स्थानिक समझ और समस्या-समाधान मानसिकता का निर्माण करने के लिए शिक्षकों को मूलभूत ग्रेड में पहेलियां और समस्या-समाधान कार्यों को शामिल करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है.

और प्रक्रियात्मक प्रवाह, कम्प्यूटेशनल सोच, समस्या-समाधान, विज़ुअलाइज़ेशन, अनुकूलन, प्रतिनिधित्व और संचार जैसी अवधारणाओं और गणितीय कौशल और क्षमताओं की समझ के आधार पर मूल्यांकन की मांग करता है. एनसीएफ ओपन-बुक मूल्यांकन के प्रावधान भी देता है जो छात्रों में चिंता को कम करने में काफी मदद कर सकता है.

इसमें लिखा है, “परीक्षाएं ‘फैक्ट शीट’ प्रदान कर सकती हैं जिसमें सूत्र और परिभाषाएं जैसी जानकारी शामिल होती है, ताकि छात्रों को उन्हें याद रखने की आवश्यकता न हो बल्कि वास्तविक समस्या समाधान में उनका उपयोग किया जा सके.”

(संपादन: अलमिना खातून)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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