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Thursday, 2 May, 2024
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‘पार्टी हॉपर को टिकट’, ‘अधूरे वादे’ – हिमाचल प्रदेश में BJP कर रही है बगावत का सामना

हिमाचल में पार्टी में भारी नाराजगी है. टिकट बंटवारे से खफा कई विधायकों ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की हिमाचल इकाई के अंदर बगावत चल रही है, जबकि चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय बचा है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, एक ऐसा राज्य जहां जीत और हार के बीच का अंतर अक्सर कुछ वोटों का होता है, वहां टिकट के बंटवारे को लेकर भाजपा के भीतर गहरा असंतोष फैला है.

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि 20 अक्टूबर को जारी की गई अपनी सूची में सत्तारूढ़ भाजपा ने सुरेश भारद्वाज सहित दो वरिष्ठ मंत्रियों की विधानसभा सीटों को बदल दिया.

सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने 12 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची से 11 मौजूदा विधान सभा सदस्यों (विधायकों) को भी बाहर कर दिया है.

शिमला अर्बन से चार बार विधायक रहे भारद्वाज की जगह शिमला के एक चाय की दुकान के मालिक संजय सूद ने ले ली है, जबिक भारद्वाज कसुम्पटी से चुनाव लड़ेंगे.

भारद्वाज ने अपनी सीट बदले जाने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘मैं कसुम्पटी में मतदाता भी नहीं हूं. अब मैं जीतता हूं या हारता हूं, इसका फैसला भाजपा कार्यकर्ता करेंगे लेकिन वे नाखुश हैं.’

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मुख्यमंत्री ठाकुर का गृह जिला मंडी और पड़ोसी कांगड़ा जिला इस बगावत की लहर की चपेट में सबसे ज्यादा है. बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि कांगड़ा की 10 विधानसभा सीटों में से 5 और मंडी की 10 सीटों में से 5-6 सीटों पर पार्टी को बगावत का सामना करना पड़ रहा है.

नतीजतन, कई विधायक अब निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल कर रहे हैं. भाजपा सूत्रों ने कहा कि फिलहाल राज्य में जो चल रहा है वो चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, बढ़ती नाराजगी का एक प्रमुख कारण हाल ही में कांग्रेस को छोड़ पार्टी में शामिल हुए नेता को टिकट देने का पार्टी का फैसला है. एक और बात यह है कि टिकट भाजपा के निचले कैडर से परामर्श किए बिना दिए गए थे.

पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार ने दिप्रिंट को बताया कि नाराजगी का कारण पार्टी का बड़ी जेब वाले लोगों को टिकट देना रहा है.

कांगड़ा के फतेहपुर से विधानसभा उपचुनाव लड़ने के लिए टिकट न दिए जाने के बाद पिछले साल नवंबर में हिमाचल भाजपा के उपाध्यक्ष परमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस बार टिकट न दिए जाने पर उन्होंने अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

उन्होंने कहा, ‘(वन मंत्री) राकेश पठानिया पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन उन्हें मेरे क्षेत्र (फतेहपुर) से टिकट दे दिया गया. वहीं नूरपुर में उन्होंने दूसरे फाइनेंसर को टिकट पकड़ा दिया है.’

‘फाइनेंसर’ से परमार का मतलब पैसे वाले लोगों से है.

पठानिया दूसरे मंत्री हैं जिनकी विधानसभा सीट बदली गई है.

हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा. वोटों की गिनती 8 दिसंबर को की जाएगी.


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सबसे बड़ी चूक

इस विधानसभा चुनाव की सूची में सबसे बड़ी चूक पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को टिकट न देना रही है.

सूत्रों ने कहा कि धूमल, जिनके बेटे अनुराग ठाकुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री हैं, सूरजपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे.

सूत्रों ने कहा, ‘हालांकि उन्होंने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन उनके समर्थक निराश हैं.’

टिकट न मिलने वालों में अनुराग के ससुर गुलाब सिंह ठाकुर भी शामिल हैं.

धूमल और गुलाब सिंह दोनों 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए थे.

उधर दूसरी तरफ भाजपा आलाकमान ने अनुराग को भाजपा के सूरजपुर उम्मीदवार कैप्टन रंजीत के नामांकन दाखिल करने पर उपस्थित रहने के लिए कहा है.

निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में नामांकन दाखिल करने वाले असंतुष्ट बागियों में मंडी सदर के भाजपा नेता प्रवीण शर्मा, जो पार्टी के मीडिया प्रभारी थे, नालागढ़ के विधायक के.एल.ठाकुर और हमीरपुर जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष नरेश दारजी शामिल हैं.

केएल ठाकुर की जगह भाजपा ने कांग्रेस के बागी एल एस राणा को नालागढ़ से टिकट दिया है.

सबसे बड़ी बगावत जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के परिवार में देखने को मिली है. जब उनके बेटे रजत ठाकुर को उनके पिता के स्थान पर सोलन जिले के धर्मपुर से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया, तो उनकी बेटी वंदना गुलेरिया, भाजपा महिला विंग, महिला मोर्चा की महासचिव ने अपना पद छोड़ दिया और घोषणा की कि वह एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं.

पद छोड़ने के तुरंत बाद गुलेरिया ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘दिल्ली से टिकट मिल सकता है पर वोट नहीं…. परिवारवाद में हर बार बेटियों की ही बली क्यों ली जाती है.’

इसी तरह करसोग और दरंग के भाजपा विधायकों, हीरालाल और जवाहर ठाकुर ने घोषणा की है कि वे निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे. टिकट न दिए जाने पर सरकाघाट के विधायक कर्नल इंदर सिंह ने भाजपा के बागी चंदर मोहन को समर्थन देने की घोषणा की है, जो एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.

बगावती तेवर अपनाने वालों की इस सूची में भाजपा के पूर्व मंत्री और छह बार के विधायक रूप सिंह ठाकुर के बेटे अभिषेक ठाकुर भी शामिल हो गए हैं. शुक्रवार को उन्होंने सुंदरनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद विशाल जुलूस निकाला.

कांगड़ा और चंबा में विद्रोह

राकेश पठानिया को नूरपुर के बजाय फतेहपुर से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने के बाद पूर्व भाजपा सांसद परमार ने घोषणा की कि वह एक निर्दलीय के रूप में उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.

दिप्रिंट से बात करते हुए परमार ने कहा कि ‘लड़ाई अब एक कार्यकर्ता और एक फाइनेंसर के बीच है.’

उन्होंने बताया, ‘मैं (अपना नामांकन) वापस नहीं लूंगा. मैंने इस पार्टी को सब कुछ दिया है लेकिन वादा करने के बावजूद उन्होंने मुझे टिकट से वंचित कर दिया.’

कांगड़ा में बीजेपी को क्षेत्र की 15 विधानसभा सीटों में से एक तिहाई पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है.

भाजपा द्वारा एक आरक्षित सीट इंदौरा से रीता धीमान को मैदान में उतारने के बाद पूर्व विधायक मनोहर धीमान ने फैसला किया कि वह निर्दलीय के रूप में लड़ेंगे.

इसी तरह जवाली विधायक अर्जुन सिंह ने भी अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

धर्मशाला में मौजूदा विधायक विशाल नेहरिया – जिन्होंने पिछले साल अपनी आईएएस पत्नी को प्रताड़ित करने के आरोपों का सामना किया था – को हटाए जाने पर उनके समर्थकों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की धमकी दी.

चंबा में बगावत की धमकी ने बीजेपी को अपना उम्मीदवार बदलने पर मजबूर कर दिया. भाजपा द्वारा इंदिरा कपूर को अपना उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद मौजूदा विधायक पवन नैय्यर ने विरोध में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई.

परेशानी को भांपते हुए भाजपा ने नैयर की पत्नी नीलम को अपना नया उम्मीदवार घोषित करते हुए तुरंत अपने कदम पीछे की ओर खींच लिए.

हालांकि पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कपूर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदलने का फैसला किया है.

अगस्त 2021 में चंबा जिला परिषद के एक पूर्व सदस्य कपूर और कई अन्य लोगों को विकास परियोजनाओं के लिए दिए गए अनुदान के गबन के लिए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी.

उस सजा पर हिमाचल हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर को रोक लगा दी थी.

‘कांग्रेसियों को टिकट’

भाजपा सूत्रों ने कहा कि न सिर्फ कांग्रेस के दलबदलुओं को टिकट दिए जा रहे हैं, बल्कि पार्टी अपने वादों को निभाने में भी विफल रही है.

मसलन, 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान मनोहर धीमान से वादा किया गया था कि अगले चुनाव में उन्हें टिकट दिया जाएगा. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि पार्टी ने मंत्री सुरेश भारद्वाज की सीट शिमला अर्बन से कसुम्प्टी में बदलने के लिए सत्ता विरोधी लहर को इसका कारण बताया.

अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘भारद्वाज (एक जगह से) जहां उन्होंने इतने साल बिताए, अपनी सीट बदलने से खुश नहीं हैं. हालांकि पार्टी ने उनसे कहा है कि शिमला शहरी निर्वाचन क्षेत्र में उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है. कोई नहीं जानता (क्या होगा). पिछला चुनाव धूमल अपनी पारंपरिक सीट बदलकर हार गए थे. हो सकता है इस बार भारद्वाज के साथ ऐसा हो.

नालागढ़ में कांग्रेस के दलबदलु से टिकट गंवाने वाले पूर्व विधायक ठाकुर और मौजूदा विधायक एल.एस. राणा ने कहा कि भाजपा ने एक ‘वफादार कार्यकर्ता’ की अनदेखी की है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने अपना जीवन बीजेपी में बिताया है. लेकिन आखिरी समय में कांग्रेस के एक टर्नकोट को टिकट दे दिया गया. अब यह एक धर्मयुद्ध है – पार्टी के लिए और पार्टी को शुद्ध करने के लिए भी.’

पार्टी के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि जहां एक अलिखित नियम है कि महासचिव चुनाव नहीं लड़ेंगे, वहीं पालमपुर से त्रिलोक कपूर, बिलासपुर से त्रिलोक जामवाल और सुंदरनगर से राकेश जामवाल ऐसा करते नजर आ रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘लगता है नियम को कुछ पसंदीदा लोगों के पक्ष में बदला जा रहा है.’

2021 कोटखाई उपचुनाव की पुनरावृत्ति से बचने के लिए जब भाजपा के बागी चेतन ब्रगटा ने पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार नीलम सरायक को हराया तो राज्य में संभावित विद्रोह को रोकने के लिए भाजपा आलाकमान ने अनुराग, भाजपा के हिमाचल प्रदेश प्रभारी सौदान सिंह, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को प्रतिनियुक्त किया है.

वहीं भाजपा के आलाकमान ने सीधे तौर पर इन मामलों को देखने के लिए अपने कदम बढ़ा दिए हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने विद्रोहियों को पार्टी के लिए काम करने का आह्वान किया, लेकिन कुछ ने अब तक इस पर ध्यान देने तक से इनकार कर दिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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