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Thursday, 25 April, 2024
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‘वे अपने पिता के नाम का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन बालासाहेब के नाम का नहीं’ – शिवसेना की बैठक में 6 प्रस्ताव पारित

अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने तय किया कि बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के सभी अधिकार पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के पास रहेंगे और कोई भी संगठन शिवसेना के संस्थापक के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है.

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मुंबई: मुंबई में शनिवार को हुई शिवसेना की एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने छह प्रस्ताव पारित किए. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से एक प्रस्ताव में अपने अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उनकी सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अधिकृत किया है.

पारित किए गए एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया है कि कोई भी पार्टी या समूह बनाने के लिए सेना के संस्थापक बाल ठाकरे के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता है.

बैठक ऐसे समय हुई जब राज्य के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 55 विधायकों में से अधिकांश भाजपा शासित असम में डेरा डाले हुए हैं. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि शिंदे के नेतृत्व वाला गुट खुद को ‘शिवसेना बालासाहेब’ कहने की योजना बना रहा है.

शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने शिवसेना कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘शिवसेना बाल ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाएगी और मराठी गौरव को बरकरार रखने के लिए काम करेगी’

उन्होंने कहा, ‘उद्धव ठाकरे ने यह भी उल्लेख किया कि अगर कोई अपनी पार्टी का नाम रखना चाहता है तो वे अपने पिता के नाम का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन बाल ठाकरे का नहीं.’

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राउत ने आगे कहा कि बागी विधायकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी, पार्टी शाम तक तय कर लेगी.

इससे पहले दिन में राज्य विधानसभा में डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर 27 जून को शाम 5.30 बजे तक लिखित जवाब तैयार करने को कहा था. एकनाथ शिंदे, भरत गोगावाले, अब्दुल सत्तार, यामिनी जाधव, संजय शिरसत, संदीपन भुमारे और तानाजी सावंत को नोटिस जारी किए गए हैं.

शिवसेना ने शुक्रवार को 16 बागी विधायकों के नाम जिरवाल को भेजे थे और उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी. तमाम राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, मुंबई पुलिस ने शनिवार को शहर में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी, जबकि शिंदे के गढ़ ठाणे के जिला कलेक्टर ने भी कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के डर से निषेधात्मक आदेश जारी कर दिए. पिछले कुछ दिनों में शिवसैनिकों ने राज्य भर में उद्धव के समर्थन में कई विरोध प्रदर्शन किए हैं. उन्होंने कथित तौर पर दो बागी विधायकों के कार्यालयों में भी तोड़फोड़ की.


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क्या कहते हैं छह प्रस्ताव

पारित किए गए छह प्रस्तावों में से पहले प्रस्ताव में कहा गया है कि उद्धव शिवसेना अध्यक्ष बने रहेंगे और मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी के सभी निर्णय लेने के अधिकार उन्हीं के पास रहेंगे.

दूसरा प्रस्ताव, मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे के काम की सराहना से संबंधित था.

तीसरे में कहा गया कि शिवसेना आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में डटकर मुकाबला करेगी. चौथे प्रस्ताव के अनुसार, पार्टी मुंबई के विकास के लिए उद्धव और उनके बेटे राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में काम करेगी.

पांचवें और छठे प्रस्तावों में कहा गया है कि शिवसेना बाल ठाकरे की पार्टी बनी रहेगी और विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई करने के सभी अधिकार पार्टी अध्यक्ष उद्धव के पास रहेंगे. इन प्रस्तावों की एक प्रति दिप्रिंट के पास है.

शिंदे के गढ़ में ताकत का प्रदर्शन

इस बीच एकनाथ शिंदे के समर्थक शक्ति प्रदर्शन के लिए ठाणे में उनके आवास के बाहर जमा हो गए. मंत्री के बेटे और लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे, जिनके कार्यालय में भी दिन में तोड़फोड़ की गई थी, ने सभा को संबोधित किया.

उन्होंने अपने पिता के समर्थकों से कहा, ‘लोगों को उम्मीद थी कि शिवसेना के सीएम अपना काम करेंगे, वह उन्हें अच्छे दिन दिखाएंगे. लेकिन कोई काम नहीं होने से वे मायूस हो गए. राज्य के हालात देखने के लिए उद्धवजी ने हमें शिव संपर्क अभियान पर भेजा था. विधायकों ने मुझसे कहा कि उन्हें फंड नहीं मिलता, यहां राकांपा के संरक्षक मंत्रियों का दबदबा है.’

उन्होंने कहा, ‘हमें उकसाने की कोशिश मत करो. वे हमें धमकी दे रहे हैं कि वे उन विधायकों को मुंबई में घूमने नहीं देंगे. क्या यह मुगल साम्राज्य है?’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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