चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा कांग्रेस से अपने दशकों पुराने रिश्ते तोड़कर भाजपा में शामिल होने के लगभग दो साल बाद, उनकी पत्नी और पटियाला से मौजूदा कांग्रेस सांसद परनीत कौर ने भी गुरुवार को पाला बदल लिया.
79 वर्षीय परनीत के आगामी चुनाव में पटियाला से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लड़ने की उम्मीद है. पिछले साल उन्हें ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने भाजपा कार्यक्रमों में अपने पति का खुलकर समर्थन करना शुरू कर दिया था.
अमरिंदर और परनीत के बच्चे जय इंदर कौर और रणिंदर सिंह भी सितंबर 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे. मार्च 2022 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद अमरिंदर ने अपने संगठन, पंजाब लोक कांग्रेस का भाजपा में विलय कर दिया था.
विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री पद से बेपरवाह तरीके से हटाए जाने और उनकी जगह दलित कांग्रेस मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद 2021 में अमरिंदर ने कांग्रेस छोड़ दी थी.
तीन दशकों से अधिक समय में यह पहली बार है कि भाजपा पटियाला से कोई उम्मीदवार उतारेगी. भाजपा और अकाली दल के पंजाब में सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ने के दौरान यह सीट सुखबीर बादल की शिरोमणि अकाली दल (SAD) के पास रही.
पटियाला से चार बार सांसद रही परनीत यूपीए-2 सरकार में 2009 से 2014 तक केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री थीं.
गुरुवार को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, परनीत ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि एक व्यक्ति जो देश का नेतृत्व कर सकता है वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. आगे उन्होंने कहा, “उनके सक्षम नेतृत्व में, राष्ट्र सुरक्षित रहेगा और हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित है. भाजपा की नीतियां लोगों पर केंद्रित रही हैं और उनका लक्ष्य गरीबी दूर करना और उद्योग को बढ़ावा देना है.”
उन्होंने कहा कि वह 25 वर्षों से अधिक समय से सार्वजनिक जीवन में हैं और उन्होंने सांसद और विधायक दोनों के रूप में भारतीय लोकतंत्र की सेवा की है.
‘सज्जन’ राजनेता जो रैलियों के बजाय छोटे समूहों को प्राथमिकता देते हैं
जब परनीत 1964 दिव्यांग बच्चों के लिए एक एनजीओ चला रही थीं उसी वक्त उन्होंने अमरिंदर सिंह से शादी की. उनकी बहन गीतिंदर कौर की शादी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान से हुई है, जो संगरूर से मौजूदा सांसद हैं.
परनीत के पिता ज्ञान सिंह काहलों 1937 बैच के आईसीएस अधिकारी थे और 1962 से 1967 तक पंजाब के मुख्य सचिव रहे.
उन्होंने पंजाब की राजनीति में 1999 में प्रवेश किया जब कैप्टन अमरिन्दर सिंह को राज्य कांग्रेस का प्रमुख बनाया गया. उन्होंने आम चुनाव लड़ा और शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार सुरजीत सिंह रखड़ा को हराकर पटियाला में जीत हासिल की. कौर ने लगभग दो दशकों से पटियाला सीट पर कब्जा कर रखा है. पटियाला के शाही परिवार के वंशज के रूप में, कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके परिवार की इस निर्वाचन क्षेत्र में एक मजबूत पकड़ है.
एक सज्जन, शालीन राजनीतिज्ञ के रूप में देखी जाने वाली और ‘महारानी साहिबा’ के नाम से मशहूर परनीत कौर ने बड़ी रैलियां और अभियान चलाने के बजाय मुख्य रूप से महिलाओं की छोटी सभाओं और घरों में जाकर व्यक्तिगत बैठकों के माध्यम से प्रचार किया है.
उन्होंने पहली बार 1999 में कांग्रेस के टिकट पर पटियाला से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में वह अकाली दल के कैप्टन कंवलजीत सिंह को हराकर दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनी गईं. 2009 में, शिअद के प्रेम सिंह चंदूमाजरा को हराने के बाद, वह 15वीं लोकसभा के लिए तीसरी बार चुनी गईं और उन्हें केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री बनाया गया.
लगातार तीन जीत के बाद 2014 में उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) के डॉ. धर्मवीरा गांधी से हार का सामना करना पड़ा.
2019 में, उन्होंने वापसी की और शिअद के रखड़ा को हराया और 17वीं लोकसभा चुनाव में चौथी बार जीत हासिल की.
परनीत एक साल से अधिक समय से खुले तौर पर भाजपा का समर्थन कर रही हैं और उन्हें अक्सर उनकी बेटी जय इंदर कौर, जो भाजपा पंजाब महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं, द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते देखा जाता है.
लोकसभा नैतिकता पैनल के सदस्य के रूप में, जिसने तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों की जांच की, परनीत केंद्र के पक्ष में मोइत्रा के निष्कासन के समर्थन में थीं.
लगभग 24 वर्षों तक कांग्रेस का हिस्सा रहने के बाद, परनीत को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग की शिकायत के आधार पर पिछले साल फरवरी में पार्टी की अनुशासन समिति ने “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के कारण निलंबित कर दिया था.
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