पटना: लगातार अपनी पार्टी पर लगने वाले ‘जंगल राज’ के आरोपों का जवाब देते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि जो भी सरकारें अच्छा प्रदर्शन नहीं करतीं, जनता उन्हें सबक सिखाती है. अब वक्त आ गया है कि जदयू-भाजपा गठबंधन से जवाब मांगा जाए, क्योंकि ये कई सालों से सत्ता में हैं.
तेजस्वी ने अपनी शिक्षा को लेकर हो रही आलोचना को भी खारिज किया और कहा कि बिहार को बेहतर बनाने के लिए रॉकेट साइंटिस्ट बनने की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि दूरदृष्टि चाहिए. उन्होंने कहा, “स्टीव जॉब्स कितने पढ़े-लिखे थे? मार्क जुकरबर्ग कितने पढ़े हैं?”
दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जदयू और भाजपा को आदत हो गई है दूसरों पर आरोप लगाने की, लेकिन अब जनता को सच्चाई समझ में आने लगी है.
उन्होंने कहा, “बिहार में जो हालात बने हैं (कानून-व्यवस्था को लेकर), उसका दोष बस दूसरों पर मढ़ते रहो. इन्हें लगता है कि किसी और का राज—गरीबों का राज—‘जंगल राज’ था, जबकि इन्होंने खुद ऐसे कानून बनाए जिससे कुछ अपराधियों को रिहा किया जा सके, उन्हें पैरोल पर छोड़ा जा सके.”
तेजस्वी ने आगे कहा कि उनके पिता और पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बिहार में सामाजिक न्याय और बदलाव लाया. “लेकिन जिन्हें सामाजिक न्याय पसंद नहीं था, सामाजिक बदलाव पसंद नहीं था, गरीबों का शासन पसंद नहीं था—उन्हीं लोगों ने इस तरह का दुष्प्रचार शुरू किया.”
तेजस्वी यादव ने कहा कि आरजेडी शासन के दौरान विपक्षी दलों को मीडिया में भरपूर जगह मिलती थी और उनकी खबरें पहले पन्ने पर छपती थीं. “अब तो पहले पन्ने की बात छोड़िए, खबरें कहीं दिखाई ही नहीं देतीं. यही हालात हैं अब. यह डर है.”
उन्होंने कहा, “अगर ‘जंगल राज’ और अपराध की तुलना करनी है, तो आंकड़ों के आधार पर कीजिए. आप देखेंगे कि 2005 के बाद से अपराध में लगातार बढ़ोतरी हुई है और अब हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. आप इनकी पार्टी का कोई नेता कहीं पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं जाता और न ही उन्हें इंसाफ दिला पाते हैं.”
आरजेडी पर ‘जंगल राज’ का आरोप 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुख्य चुनावी रणनीति का हिस्सा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रैलियों में कानून व्यवस्था को लेकर पार्टी को घेरा था.
तेजस्वी ने कहा कि इससे साफ है कि भाजपा-जदयू ने अपने लंबे शासन काल में ऐसा कुछ नहीं किया जिस पर वे बात कर सकें. “पिछले 20 सालों के हर चुनाव में—चाहे 2005 हो या 2010—ये बस रोते रहे, लेकिन आज हम सबसे बड़ी पार्टी हैं. बिहार की जनता का हमें भरोसा मिला है. अब जनता जानना चाहती है कि आपने 20 साल के शासन में क्या किया?”
उन्होंने कहा, “पहले की सरकारों को जनता ने हटाया क्योंकि वे काम नहीं कर रही थीं, लेकिन अब जवाबदेही आपकी है. आपको बताना चाहिए कि आपने इन 20 सालों में क्या किया है.”
तेजस्वी ने कहा कि एनडीए बिहार में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहा है और मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार सबसे लंबे समय तक पद पर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “बिहार अब सवाल कर रहा है…आपको 20 साल मिले, जिनमें से 11 साल केंद्र में नरेंद्र मोदी जी की सरकार थी. फिर भी नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है, सबसे ज्यादा बेरोज़गारी है, सबसे ज्यादा पलायन हो रहा है, शिक्षा और स्वास्थ्य में सबसे पीछे है और कानून-व्यवस्था की हालत लगातार बिगड़ रही है. न कोई कारखाना है, न विकास. आपने किया क्या है?”
उन्होंने कहा, “जब आपके पास कोई उपलब्धि नहीं होती, तो आप दूसरों को दोष देते हैं, पिछली सरकारों को कोसते हैं, लेकिन अब जनता समझदार हो गई है. बिहार की जनता सब जानती है और आने वाले समय में यही जनता इन्हें सबक सिखाएगी.”
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‘ज्ञान और शिक्षा’
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के उनके शिक्षा पर दिए बयान का जवाब देते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि बहुत से लोग इस तरह के आरोप लगाते हैं. “कहते हैं फलां ने पढ़ाई की है, फलां ने नहीं की. मेरी पढ़ाई को लेकर सवाल उठाते हैं.”
उन्होंने कहा, “ज्ञान और शिक्षा अलग चीज़ होती है. आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) पॉलिसी हमने बनाई थी. टूरिज्म पॉलिसी हमने लाई थी. इतना काम हुआ, हमने किया था ना?”
तेजस्वी ने कहा, “नीतीश जी तो इंजीनियर हैं ना? फिर भी लोगों को नौकरी नहीं दे पाए. तेजस्वी आया और नौकरियां मिलीं. आईटी पॉलिसी हमने ही बनाई थी.”
उन्होंने कई बड़े राजनेताओं और उद्योगपतियों का उदाहरण देते हुए कहा कि डिग्री न होने के बावजूद उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया.
यादव ने कहा, “कामराज—कितने पढ़े थे? धीरूभाई अंबानी कितने पढ़े थे? लेकिन उन्होंने कितना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया. स्टीव जॉब्स कितने पढ़े थे? मार्क जुकरबर्ग की कितनी पढ़ाई है? लेकिन उन्होंने काम किया, कुछ बनाया ना? इसलिए मैं कहता हूं कि डिग्री होने का मतलब ये नहीं कि आपके पास पूरा ज्ञान है. नीति तो धरातल पर हो रही चीज़ें देखकर बनाई जाती है—लोगों को क्या चाहिए, यही देखकर. अगर अपराध बढ़ रहा है तो उसे रोकने की योजना बनाओगे. अगर अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही तो उसे सुधारने का तरीका निकालोगे.”
प्रशांत किशोर पर तंज कसते हुए तेजस्वी ने कहा, “बिहार को बेहतर बनाने के लिए कोई रॉकेट साइंटिस्ट बनने की ज़रूरत नहीं है. इसके लिए तो बस नज़रिया चाहिए. अगर कोई भूखा है, तो एक अनपढ़ भी उसे खाना खिलाता है, फोन करके बुलाता है. यानी भूख मिटाने की समझ उसमें है. इसके लिए रॉकेट साइंस पढ़ने की ज़रूरत नहीं है. लोग तो बहुत कुछ कहते हैं…”
जब उनसे पूछा गया कि अगर एनडीए चुनाव जीतती है तो क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे, तेजस्वी ने कहा, “अमित शाह जी खुद कह चुके हैं कि चुनाव तक वे (नीतीश) साथ रहेंगे. उसके बाद चुनाव के बाद समय बताएगा कि सीएम कौन बनेगा. बात तो साफ हो चुकी है.”
बिहार की एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक 2005 से लगातार अपराध बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, “अब तो मैं कह सकता हूं कि सरकार नाम की कोई चीज़ यहां बची ही नहीं है. मुख्यमंत्री बिल्कुल ‘अचेत’ हैं. गृह विभाग उनके पास है.”
उन्होंने कहा, “कल खुद पुलिस के ADG और DGP ने बयान दिया कि बारिश के मौसम में अपराध बढ़ जाते हैं. मैंने पहली बार ऐसा तर्क सुना है कि अपराधी मौसम देखकर अपराध करते हैं—मानसून, ठंड, गर्मी! अपने ही अफसरों के ये बचकाने बयान हैं. इस राज्य में देखने-सुनने वाला कोई नहीं बचा है, क्योंकि मुख्यमंत्री पूरी तरह से बेपरवाह हो चुके हैं. अब सरकार दिल्ली से चलाई जा रही है.”
तेजस्वी ने कहा कि बिहार में एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब 200 राउंड गोलियां न चलती हों. “अगर आज की बात करें, तो दोपहर 12 बजे तक ही बिहार में 5 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी थीं. अब तक और भी हो गई होंगी. लोग डर के साए में जी रहे हैं. लोगों के मन में असुरक्षा है, उन्हें सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा है.”
उन्होंने कहा कि व्यापारी, वकील, दुकानदार, डॉक्टर, प्रोफेसर—सभी खुली सड़कों पर मारे जा रहे हैं. “लोगों को उनके घरों में घुसकर, दुकानों में, अस्पतालों में, कॉलेजों में मारा जा रहा है. यही है बिहार की स्थिति, लेकिन कोई अपराधी पकड़ा नहीं जाता.”
उन्होंने हाल की एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा, “जहां हम अभी ये इंटरव्यू कर रहे हैं, इसी दीवार के पीछे चार राउंड गोलियां चली थीं, लेकिन आज तक अपराधी नहीं पकड़ा गया और ये इलाका बिहार का सबसे सुरक्षित माना जाता है—सीएम हाउस, गवर्नर हाउस, जज साहब का घर, डिवेलपमेंट कमिश्नर का घर, मंत्री का घर—सब पास में हैं. अगर यहां गोलीबारी हो रही है और अपराधी नहीं पकड़े जा रहे, तो समझ लीजिए बिहार की हालत क्या है. यहां लॉ एंड ऑर्डर नहीं, क्रिमिनल ऑर्डर चल रहा है. अपराधियों का राज है—वे बादशाह बन चुके हैं.”
AIMIM पर तेजस्वी यादव का जवाब
जब तेजस्वी यादव से पूछा गया कि क्या आने वाले बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि अभी तक पार्टी की ओर से कोई सीधा प्रस्ताव नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि AIMIM को चुनाव लड़ने के बजाय “सेक्युलर वोट को मज़बूत करने” की दिशा में काम करना चाहिए.
तेजस्वी ने कहा, “हमारी पार्टी और INDIA गठबंधन में और भी दल शामिल होना चाहते हैं. हम तो सिर्फ बिहार और झारखंड में चुनाव लड़ते हैं. न हम हैदराबाद, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ते हैं. अब एनसीपी जैसे दल हमारे साथ आना चाहते हैं. जेएमएम भी आना चाहता है. पारस जी की पार्टी भी शामिल होना चाहती है. पहले से ही छह दल हमारे साथ हैं.”
उन्होंने कहा, “वैसे भी, AIMIM की ओर से हमें कोई सीधा प्रस्ताव नहीं मिला है. जो खबरों में आ रहा है, जो वे बोल रहे हैं—अगर वे आना चाहते हैं, तो कितनों को लेंगे? कितनों को सीट देंगे? क्या यह बेहतर नहीं कि हम खुद ही बाकी राज्यों में चुनाव न लड़ें ताकि सेक्युलर वोट बंटे नहीं?”
तेजस्वी ने कहा, “मैं हैदराबाद चुनाव लड़ने नहीं जा रहा. कभी गया भी नहीं. वरना हम भी वहां जाकर गड़बड़ी कर सकते थे. पर ऐसा नहीं होना चाहिए ना? हम बिहार की सबसे बड़ी पार्टी हैं. तो क्या आपको हमें मज़बूत नहीं करना चाहिए? और हम तो हैदराबाद में कोई हिस्सा भी नहीं मांग रहे.”
तेजस्वी ने बताया कि कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा. “हमें ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने में कोई दिक्कत नहीं है. हम पूरी तरह तैयार हैं.”
तेजस्वी ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष मतदाता सूची संशोधन अभियान को “एक दिखावा” बताया और इसके समय को लेकर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, “कौन फर्जी वोटर चाहता है? लेकिन इन्हीं फर्जी वोटरों के दम पर इन्होंने चुनाव जीते हैं.” तेजस्वी ने कहा कि अभी तक किसी आधिकारिक आंकड़े के बिना यह कहा जा रहा है कि बांग्लादेशी और नेपाली लोग बिहार में वोट दे रहे हैं, जबकि नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि भारत सरकार और गृह मंत्रालय का काम है.
तेजस्वी ने उठाए चार सवाल: प्रक्रिया की टाइमिंग पर, राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा नहीं किया गया, कई लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं होंगे और माइग्रेंट लोगों को दस्तावेज़ जमा करने के लिए सिर्फ 25 दिन का समय दिया गया.
उन्होंने कहा, “2005 से अब तक बिहार में एनडीए की सरकार रही है. अगर फर्जी वोटर आए, तो यह गलती किसकी है? फिर तो इन्हें माफी मांगनी चाहिए.”
तेजस्वी ने कहा, “हमारे पास पूरा डेटा है—कहां हम मज़बूत हैं, कहां कमजोर और ये डेटा बीजेपी के पास भी होगा. तो फिर ये ज़रूर साजिश है कि किसके वोट काटे जाएं, किसके न काटे जाएं. इसलिए हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि अगर आप किसी का नाम हटा रहे हैं, तो पूरी लिस्ट जारी करें. हम उसे चेक करेंगे.”
उन्होंने कहा, “अगर आप कुछ नहीं छिपा रहे, तो फिर दिखाने में क्या दिक्कत है? हमें भी देखना है कि कौन से नाम फर्जी थे. अगर आप नहीं दिखाएंगे और बाद में वो नाम फिर जुड़ जाएंगे, तो क्या गारंटी है? और अब तक चुनाव आयोग ने हमारी कोई मांग पूरी नहीं की है.”
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे बिहार सिर्फ घोषणाएं करने आते हैं, लेकिन यहां कुछ ठोस नहीं होता.
उन्होंने कहा, “कहते कुछ हैं, करते कुछ और हैं. वोट लेने आते हैं, लेकिन किसी पीड़ित से मिलने नहीं जाते. प्रधानमंत्री ये नहीं बताते कि बिहार की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी.”
उन्होंने एनडीए को तंज कसते हुए “नेशनल दामाद अलायंस” कहा.
उन्होंने आरोप लगाया, “इनके सारे आयोगों में नेताओं के परिवार वाले बैठे हैं. इनके 50% मंत्री राजनीतिक परिवारों से हैं. ये लोग न रामविलास पासवान की फैमिली की बात करेंगे, न चिराग पासवान की, न जीतन राम मांझी की, न सम्राट चौधरी की, लेकिन लालू जी को गाली देंगे, तेजस्वी को गाली देंगे.”
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