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Sunday, 3 November, 2024
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कार्यकर्ताओं में जोश भरने, युवाओं को 40% टिकट देने तक- आंध्र को ‘जगन हटाओ’ बनाने की TDP की योजना

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, टीडीपी के दो दिवसीय 'महानडु' इवेंट में 1.5 लाख लोगों की भीड़ जुटी थी. इसे आंध्र में 2024 के चुनावों के मद्देनजर पार्टी को मजबूती से उभरने के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कार्यक्रमों में उमड़ी भीड़ वोटों में तब्दील हो जाए, ऐसा जरूरी नहीं है.

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ओंगोल: 2024 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए हुंकार भरते हुए तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने पिछले सप्ताह के ‘महानडु’ में ‘जगन हटाओ, आंध्र बचाओ’ का नारा लगाया. वह टीडीपी के कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित एक वार्षिक महाधिवेशन को संबोधित कर रहे थे.

पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, इस दो दिवसीय अधिवेशन में लगभग 1.5 लाख लोगों ने भाग लिया था. महामारी के कारण दो साल तक की गई वर्चुअल बैठकों के बाद पार्टी के इस कार्यक्रम को बेहद ‘सफल’ और टीडीपी कार्यकर्ताओं को ‘जोश’ से भरने वाला बताया जा रहा है.

आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री नायडू ने अधिवेशन में घोषणा की कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के टिकट का 40 प्रतिशत युवाओं – 40 साल से कम उम्र के युवा- को दिया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि टीडीपी के शीर्ष नेतृत्व ने लगातार तीन चुनाव हारने वालों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है.

बढ़ती उम्र में पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को लेकर उठ रही शंकाओं को दूर करते हुए सत्तर वर्षीय नेता ने जनता से वर्चुअल जुड़ाव के दो सालों के बाद पार्टी को जमीनी स्तर पर अधिक मजबूत बनाने की अपनी योजनाओं को दिप्रिंट के साथ साझा किया.

नायडू ने कहा, ‘मैं भी अब से मैदान पर रहूंगा और हर महीने कम से कम दो जिलों का दौरा करूंगा. हमारे कैडर को भी जनता के बीच दिखाई देने और जमीनी स्तर पर काम करने के निर्देश दिए गए हैं.’

नायडू ने पहले कहा था, ‘मेरी उम्र को लेकर चिंता जैसी कोई बात नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसी उम्र के हैं. अगर कुछ मायने रखता है तो वह आपका काम. 30 साल के युवा उतना काम नहीं कर सकते जितना मैं करता हूं.’

ऐसा लगता है मानो पार्टी के सदस्यों पर नायडू का खुमार अभी तक उतरा नहीं है. गुंटूर के एक तेदेपा नेता बुचैया नायडू ने इस कार्यक्रम में दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे नेता हमेशा दिल से युवा हैं और जब तक वह पार्टी में हैं, पार्टी बनी रहेगी.’

तेदेपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पूर्व सीएम के बेटे नारा लोकेश भी अक्टूबर में एक मेगा वॉकथॉन (पदयात्रा) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. ये यात्रा 2024 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगी. लोकेश पूर्व राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.

तेदेपा के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी प्रमुख ने ‘महानडु’ के नेताओं से कहा कि वे बड़ी समस्याओं को सामने लाने के बजाय ‘स्थानीय मुद्दों’ पर फोकस करें. इससे स्थानीय मतदाताओं पर बेहतर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.

तेदेपा नेता पट्टाभि राम ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने हर उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान देने और वहां के विधायकों से सिर्फ स्थानीय नेताओं से संबंधित मुद्दों और भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर करने के लिए कहा है. इस तरह मतदाता बेहतर प्रतिक्रिया देंगे.’

दरअसल भविष्य में चुनावों को देखते हुए टीडीपी और मौजूदा समय में सत्ता पर काबिज प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बीच अपनी-अपनी ताकत दिखाने का खेल शुरू हो चुका है.

सीएम वाई एस जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने लोगों के बीच मुख्यमंत्री की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए पिछले हफ्ते चार दिवसीय ‘बस यात्रा‘ आयोजित की. उनकी यह बस यात्रा टीडीपी ‘महानडु’ से मिलती जुलती थी.

दोनों दल अपने-अपने आयोजनों की सफलता को लेकर डींगे हांक रहे हैं. लेकिन कार्यक्रमों में उमड़ी भारी भीड़ जरूरी नहीं कि वोटों में तब्दील हो जाए, खासकर टीडीपी के लिए जो 2019 में वाईएसआरसीपी से भारी अंतर से हार गई थी.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक नागेश्वर राव ने एक यू ट्यूब कमेंट्री में कहा, ‘यह आश्चर्य की बात नहीं है कि टीडीपी को महानडु को अच्छी प्रतिक्रिया मिली. वास्तव में यह आश्चर्य की बात तब होती जब वे भीड़ जुटा पाने में कामयाब नहीं होते. लेकिन … ऐसे उदाहरण हैं जहां पार्टियां भीड़ के सैलाब के बावजूद भी हार गईं – पश्चिम बंगाल चुनाव इसका एक अच्छा उदाहरण है. वहां नरेंद्र मोदी की बैठक में लाखों लोग शामिल हुए. उन्हें 40 फीसदी वोट भी मिले लेकिन वे सिर्फ 70 सीटों पर सिमटकर रह गए और अपनी सरकार नहीं बना सके. इसलिए भीड़ को देखकर कुछ भी कह पाना मुश्किल है.’


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टीडीपी बनाम वाईएसआरसीपी

‘महानडु’ में 1.5 लाख लोगों की उपस्थिति के बारे में बात करते हुए तेदेपा नेताओं ने कहा कि यह संख्या ‘अप्रत्याशित’ थी, लेकिन ‘आश्चर्यजनक’ नहीं.

तेदेपा नेता पट्टाभि राम ने आरोप लगाया, ‘हालांकि संख्या काफी बड़ी थी लेकिन हम लोगों के उमड़े इस सैलाब से हैरान नहीं हैं.. जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता बेहद निराश है. वाईएसआरसीपी शासन के दौरान स्थानीय पुलिस उनके खिलाफ छोटे-मोटे मामले दर्ज करके उन्हें परेशान कर रही है. उनके आंदोलनों पर अंकुश लगाया जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘इन सब कारणों ने उन्हें बाहर आने और यह दिखाने के लिए प्रेरित किया है कि वे लड़ने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा दो साल बाद अपने पार्टी प्रमुख को देखना भी इसका एक कारण रहा. लोगों की भीड़ ने उनके जोश को बढ़ा दिया है.’

तेदेपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि पार्टी को एक दिन में लगभग 15,000 लोगों के आने की उम्मीद थी. लेकिन दोनों दिनों में कम से कम 40,000 लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए.’

दूसरी तरफ वाईएसआरसीपी ने भी अपनी ‘बस यात्रा’ कार्यक्रम को सफल बताया और कहा कि इसने पार्टी की विचारधारा को बढ़ावा दिया है. यात्रा शुरू करने से पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए समाज कल्याण मंत्री मेरुगु नागार्जुन ने कहा था, ‘सामाजिक न्याय केवल मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की वजह से संभव है’. साथ ही उन्होंने बताया कि कैबिनेट में 17 एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक मंत्री थे.

लेकिन दोनों ही पार्टियों एक दूसरे के सफलता के दावे को नकार रही हैं.

तेदेपा के राम ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी की बस यात्रा ‘फ्लॉप’ थी, आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने दावा किया कि महानडु मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और राज्य सरकार के बारे में गलत जानकारी फैलाने के प्रयास के अलावा कुछ नहीं था.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गठबंधन के बिना कोई भी चुनाव जीतने की हिम्मत नायडू में नहीं है. टीडीपी ने 2019 का संसदीय और विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ा था, कथित तौर पर 37 वर्षों में पहली बार. इसके पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ वह गठबंधन में थे.

वाईएसआरसीपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पार्टी द्वारा किए गए आंतरिक सर्वेक्षणों से पता चला है कि आंध्र में कम से कम 70 निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां तेदेपा के पास चुनाव लड़ने के लिए मजबूत चेहरे नहीं हैं.

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि टीडीपी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, क्योंकि पार्टी के पास अभी भी ग्रामीण स्तर पर कार्यकर्ताओं का एक मजबूत नेटवर्क है, जबकि रेड्डी के तहत नेतृत्व में राज्य में विकास की कमी के कारण वाईएसआरसीपी के भीतर असंतोष की बड़बड़ाहट है. आंध्र के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के तहत उठाए गए कल्याणकारी कदम उनकी पहचान बने हैं.

राव ने कहा, ‘वाईएसआरसीपी (सरकार) के खिलाफ असंतोष है. संभव है कि यह बिजली संकट, कृषि क्षेत्रों में बिजली मीटरों के मुद्दे के कारण हो. महत्वपूर्ण बात ये है कि वाईएसआरसीपी को सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं के भरोसे रहने के बजाय इन समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर वाईएसआरसीपी इन पर काम नहीं करती है तो यह विपक्ष के लिए एक फायदा बन जाएगा.’

राजनीतिक पर्यवेक्षक पलवई राघवेंद्र रेड्डी ने कहा कि महानडु में उमड़ी भीड़ को भविष्य के लिए बहुत ज्यादा फायदे के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. लेकिन यह तेदेपा के लिए एक ‘अच्छा संकेत’ है.

उन्होंने कहा, ‘महानडु में कैडर की उपस्थिति टीडीपी के फिर से उभरने का संकेतक नहीं हो सकती है. लगातार दो सालों तक वर्चुअल बैठकों के बाद इस साल के महानडु में लोगों की अच्छी खासी संख्या थी. चंद्रबाबू नायडू अभी भी लड़ने के संकेत दे रहे हैं, जो तेदेपा के लिए एक अच्छा संकेत है.’

वह बताते हैं कि वाईएसआरसीपी के खिलाफ भावनाएं टीडीपी के पक्ष में काम कर सकती हैं. रेड्डी ने कहा, ‘कल्याणकारी योजनाओं पर जगन की अधिक निर्भरता और विकास के बारे में बात नहीं करने से येलो पार्टी (तेदेपा) को आगे बढ़ने के लिए जरूरी गोला-बारूद मिल जाएगा’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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