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Tuesday, 24 December, 2024
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‘पद की गरिमा कम होगी’, तमिलनाडु BJP प्रमुख अन्नामलाई बोले- राज्यपाल को राजनीति पर बात नहीं करनी चाहिए

बीजेपी ने राज्यपाल आरएन रवि द्वारा डीएमके मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने पर चुप्पी साध रखी है. हालांकि, राज्य पार्टी प्रमुख अन्नामलाई का कहना है कि राज्यपाल 'विधानसभा के अंदर सरकार की आलोचना' कर सकते हैं.

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चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने विवादास्पद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन बाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सलाह पर उन्होंने अपने आदेश पर रोक लगा दी थी. अब जाकर राज्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि एक राज्यपाल को राजनीति पर बात नहीं करनी चाहिए.

विल्लुपुरम में बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान राज्य भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने कहा कि राज्यपाल राज्य की हर समस्या के बारे में बात करने वाले राजनेता नहीं हैं.

वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या रवि को अपने तेलंगाना समकक्ष डॉ. तमिलिसाई साउंडराजन की तरह मीडिया के साथ अधिक से अधिक बातचीत करनी चाहिए.

सवालों का जवाब देते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, “हमारा मानना यह है कि राज्यपाल को प्रेस से नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि उन्हें राजनीति पर बात नहीं करनी चाहिए. हालांकि मैं केंद्र में सत्तारूढ़ दल का राज्य प्रमुख हूं, लेकिन मेरी राय है कि यह एक गलत मिसाल कायम करेगा.”

उन्होंने कहा, “राज्यपाल को विधानसभा के अंदर सरकार की आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन हर विषय पर प्रतिक्रिया देने से उनके पद की गरिमा कम होगी.”तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने 29 जून को तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित नौकरी के बदले नकदी लेने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच को लेकर गिरफ्तारी के बाद सेंथिल बालाजी को मंत्री पद से हटा दिया था. हालांकि, शाह ने उनसे इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल की राय लेने को कहा था.


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डीएमके बनाम राज्यपाल

सेंथिल बालाजी की कैबिनेट से अचानक बर्खास्तगी ने तमिलनाडु की राजनीति को सुर्खियों में ला दिया था, जहां डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल रवि के बीच बीते डेढ़ साल से मतभेद चल रहा है.

नवंबर 2022 में डीएमके और उसके सहयोगियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर राज्यपाल को हटाने की मांग की थी. इस साल अप्रैल में, राज्य विधानसभा ने एक औपचारिक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से “विधानमंडलों द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपालों द्वारा सहमति देने के लिए” समय सीमा तय करने का आग्रह किया गया.

द्रमुक ने बार-बार राज्यपाल पर “भाजपा एजेंट की तरह काम करने” का आरोप लगाया है.

भाजपा, जिसने अधिकतर समय राज्यपाल के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है, ने बालाजी की बर्खास्तगी पर चुप्पी साधना उचित समझा. 30 जून को, अन्नामलाई ने ट्वीट किया, “बीजेपी तमिलनाडु, फिलहाल, कैश फॉर जॉब घोटाले को लेकर टी सेंथिल बालाजी का माननीय राज्यपाल द्वारा मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने को लेकर अपनी टिप्पणी सुरक्षित रखती है.”

इसमें आगे कहा गया, “हालांकि, हम सीएम एमकेस्टालिन को उनके दोहरे भाषण की याद दिलाना चाहते हैं. 2018 में, तत्कालीन विपक्षी नेता ने मांग की कि एक मंत्री को माननीय राज्यपाल द्वारा बर्खास्त कर दिया जाए क्योंकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप था. तब और अब में क्या बदलाव आया है? द्रमुक का नाटक इस तथ्य को नहीं बदलेगा कि थिरु सेंथिल बालाजी गिरफ्तार आरोपी हैं!”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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