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Friday, 22 November, 2024
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पार्टी लाइन नहीं मानने वाले BJP नेताओं के लिए सूरज डूब सकता है – वसुंधरा राजे को अमित शाह का ‘संकेत’

जयपुर में भाजपा की बैठक में, अमित शाह ने वसुंधरा राजे को साफ-साफ संकेत भेजा, जो राज्य प्रमुख सतीश पूनिया के साथ विवाद कर रही हैं: ' चुनाव एक टीम के रूप में लड़ें, सीएम पद के बारे में न सोचें'.

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नई दिल्ली: 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्य भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच चल रहे शीत युद्ध का पटाक्षेप करने की कोशिश की है.

इस रविवार को जयपुर में भाजपा की राज्य कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए शाह द्वारा दिया गया संदेश एकदम स्पष्ट था: पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक सामूहिक इकाई के रूप में चुनाव लड़ना चाहिए, और किसी को भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चेहरे के रूप में पेश करने से बचना चाहिए. बीजेपी पिछले कई महीनों से 2023 के चुनावों के लिए ‘टीम राजस्थान’ को अपने जादुई मंत्र के रूप में प्रचारित करने की कोशिश कर रही है.

जयपुर में शाह द्वारा दिया गया यह निर्देश वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी थी, जो 2023 में उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाये जाने की लगातार पैरवी कर रहे हैं. राज्य भाजपा की कार्यसमिति की बैठक में मौजूद राजस्थान के एक प्रमुख भाजपा नेता ने दिप्रिंट को बताया कि शाह का आपसी मतभेदों को दूर करने और सामूहिक नेतृत्व में काम करने के प्रति आग्रह एक स्पष्ट संकेत देता है :- ‘भाजपा का केंद्रीय आलाकमान वसुंधरा राजे के खेमे द्वारा चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के दबाव के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं है.’

अपने भाषण के क्रम में, शाह ने सभी को यह याद दिलाया कि ‘व्यक्ति से महत्वपूर्ण संगठन होता है और जो संगठन के साथ चलते हैं उनका सूर्य कभी अस्त नहीं होता’. उन्होंने तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत का उदाहरण दिया, जिन्हें कभी भी पार्टी का साथ न छोड़ने से फायदा हुआ.

गृह मंत्री ने भाजपा राजस्थान इकाई से गुजरात से प्रेरणा लेने का आग्रह किया, जहां भाजपा ‘पन्ना प्रमुख’ – जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘मतदाता सूची के एक पन्ने पर अंकित सभी मतदाताओं का प्रभारी व्यक्ति’ – मॉडल को अपनाकर लगातार दो दशकों से सत्ता में है.


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दबे स्वरों में चेतावनी

अमित शाह का भैरों सिंह शेखावत की तुलना पार्टी के बगावती तेवर वाले सदस्यों से करना काफी कुछ बयां कर रहा था. शाह ने अपने भाषण में कहा, ‘भाजपा की सबसे पुरानी संगठनात्मक इकाई राजस्थान में है. भारतीय जनसंघ के दौर में राजस्थान से जनसंघ के टिकट पर आठ विधायक चुने गए थे, लेकिन उनमें से छह पार्टी के आधिकारिक रुख के खिलाफ जाकर जमींदारी प्रथा का समर्थन कर रहे थे. इसके बाद पार्टी को उन्हें निकलना पड़ा. पर भैरों सिंह शेखावत विपरीत परिस्थितियों में भी पार्टी के साथ खड़े रहे जिसके चलते वो न केवल राजस्थान में मुख्यमंत्री बल्कि देश के उपराष्ट्रपति भी बने.’

इसक स्पष्ट रूप से यह अर्थ था कि भाजपा भी केवल उन्हीं को पुरस्कृत करेगी जो उसकी बताई राह पर चलते हैं.

यहां जो राह बताई जा रही है वह संभवतः यह है कि राज्य भाजपा के सभी नेताओं को अपने मतभेदों को दूर करने और चुनाव जीतने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है, जिसके बाद उन्हें तय प्रक्रिया के तहत विभिन्न पदों के साथ सम्मानित किया जा सकता है. यहां यह संदेश भी है कि किसी के लिए भी दरवाजा अभी बंद नहीं हुआ है, लेकिन सब से एक निश्चित आचार संहिता के पालन की उम्मीद की जाती है.

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उनके समर्थक राजे पर राजस्थान में पार्टी नेतृत्व से सलाह किए बिना काम करने तथा उनसे अपेक्षित कार्य की अनदेखी करने के बारे में लगातार शिकायतें कर रहे हैं.

राजे ने 2018 के बाद से हुए उपचुनावों में भाजपा के लिए प्रचार नहीं किया है, जिसमें पिछले महीने दो सीटों (जिन दोनों पर कांग्रेस की जीत हुई थी) पर हुए उपचुनाव भी शामिल हैं. उस समय, चुनाव प्रचार में राजे के भाग न लेने के पीछे उनकी बहू के खराब स्वास्थ्य को कारण बताया गया था. इस साल जून में, पार्टी ने राजे के करीबी सहयोगी रोहिताश शर्मा को अनुशासनात्मक कारणों से प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया, जिसमें राज्य भाजपा नेतृत्व के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी करना शामिल था. हाल हीं में ‘पूनिया भगाओ’ वाले पोस्टर भी दिखाई दिए हैं, हालांकि राजे ने खुद इस तरह के कदम उठाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

माना जाता है कि पूनिया खेमा राजे द्वारा पार्टी के बजाय खुद को बढ़ावा देने की कोशिशों से भी निराश है. शाह की यात्रा से ठीक पहले, राजे ने उन क्षेत्रों में चार दिवसीय देव दर्शन यात्रा की, जहां हाल ही में हुए उपचुनावों में भाजपा हार गई थी. इस दौरान उन्होंने उन नेताओं के परिजनों से भी मुलाकात की, जिन्होंने कोविड से अपनी जान गंवाई. पिछले साल, राजे समर्थकों ने उनके नाम पर एक समानांतर मंच, वसुंधरा समर्थक मंच भी स्थापित किया था.

पूनिया की प्रशंसा, तो राजे की भी तारीफ

शाह ने इस बैठक के दौरान राजस्थान में पूनिया के द्वारा किये गए प्रयासों की सराहना की, जिसमें महामारी के दौरान टीम राजस्थान द्वारा दवाएं और अन्य सहायता वितरित करने की पहल भी शामिल है. उन्होंने पार्टी के भीतर पूनिया के काम की भी तारीफ की.

शाह ने कहा, ‘सतीश पूनिया जैसे मेहनती भाजपा अध्यक्ष के नेतृत्व में टीम राजस्थान ना केवल मज़बूती से ज़मीन पर काम कर रही है बल्कि सशक्त मंडल, सशक्त बूथ ईकाईयों की संरचना कर संपूर्ण राजस्थान में भाजना अभेद्य मज़बूती की तरफ़ बढ़ रही है और आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीन-चौथाई बहुमत के साथ कमल खिलेगा और हर बार खिलेगा, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है.’

हालांकि शाह के ये शब्द पूनिया खेमे के कानों के लिए एक मधुर संगीत की तरह थे, परन्तु गृह मंत्री ने राजे के लिए भी तारीफ़ के कुछ शब्दों का प्रयोग किया.

जयपुर में जनप्रतिनिधि संकल्प सम्मेलन को संबोधित करते हुए, शाह ने उनकी पूर्ववर्ती सरकार की प्रशंसा की और इसकी गहलोत प्रशासन के साथ सकारात्मक तुलना की. शाह ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ राजे को ‘यशस्वी’ मुख्यमंत्री बताया और उन विभिन्न लोकप्रिय योजनाओं का जिक्र किया जो उन्होंने शुरू की थी, लेकिन जिन्हें बाद में गहलोत सरकार ने बंद कर दिया.

राजस्थान बीजेपी के एक महासचिव ने दिप्रिंट को बताया कि इसके दो स्पष्ट संदेश थे. पहला यह कि पार्टी के नेताओं को अपने मतभेदों को खत्म करना चाहिए और अपनी सारी ताकत को एकजुट करना चाहिए.

वे कहते हैं, ‘शाह अच्छी तरह से जानते हैं कि पूनिया एक अच्छे सांगठनिक व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन वसुंधरा का जनता के बीच अपना समर्थन आधार है और जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी का एक साथ होना आवश्यक है.’

इस नेता का इशारा इस बात की ओर भी था कि 2018 के बाद से हुए राज्य विधानसभा के उपचुनावों में सात में से सिर्फ एक सीट पर भाजपा को जीत मिली है.

इस भाजपा महासचिव ने कहा कि शाह का दूसरा संदेश यह था कि पार्टी नेतृत्व का चुनाव के बाद सीएम उम्मीदवार के बारे में ‘दिमाग खुला हुआ है’.

इस भाजपा नेता ने कहा, ‘शाह चुनाव से पहले एक संकेत यह भी देना चाहते थे कि वसुंधरा राजे के लिए दरवाजे अभी पूरी तरह से बंद नहीं हुए हैं, और भाजपा आलाकमान खुले दिमाग से नेतृत्व के मुद्दे पर विचार कर सकता है. हालांकि, इसकी पहली और सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि हम में से सभी को अब से एक साथ काम करना चाहिए.’

अपनी ओर से, राजे ने मोदी और शाह – जिन्हें उन्होंने कई बार ‘भाई साहब’ के रूप में संबोधित किया – की सम्मेलन के दौरान बार-बार प्रशंसा की. उन्होंने मोदी की जनकल्याणकारी योजनाओं की सराहना की, और सुरक्षा कर्मियों की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शाह की भी प्रशंसा की.

उन्होंने कहा कि शाह ने यह सुनिश्चित किया है कि सैनिकों को हर साल कम से कम 100 दिन अपने परिवार के साथ बिताने को मिले, और उन्होंने स्मारकों और शिलालेखों की स्थापना करके शहीदों को सम्मानित करने की पहल भी की है. राजे और पूनिया दोनों ने शाह को आश्वासन दिया कि भाजपा अगला विधानसभा चुनाव जरूर जीतेगी.


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अन्य उम्मीदवारों की हालत

एक नेता जो शाह की राजस्थान यात्रा के दौरान खुद को उपेक्षित महसूस कर सकते हैं, वे हैं केंद्रीय मंत्री और बाड़मेर से भाजपा सांसद कैलाश चौधरी. जैसलमेर में एक सीमा चौकी का निरीक्षण करने के लिए उनके क्षेत्र की यात्रा करते समय भी शाह ने चौधरी को कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी. दिल्ली से लेकर जयपुर तक शाह की इस यात्रा में उनके साथ रहने वाले केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र शेखावत, जिन्हें कुछ लोग सीएम पद के संभावित दावेदार मानते हैं, के बारे में भी तेज अटकलें लगतीं रहीं.

हालांकि, शाह के साथ शेखावत की नजदीकी ने राज्य के राजनैतिक हलकों में काफी हलचल मचा दी है, फिर भी राज्य के भाजपा नेताओं का मानना है कि केन्द्रीय आलाकमान की पसंद होने के बावजूद राज्य की राजनीति के समीकरणों में फिट होना उनके लिए आसान नहीं होने वाला.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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