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Tuesday, 21 May, 2024
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‘कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं’, पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन बोलीं- योग्यता टिकट का पैमाना हो ना कि परिवार

ऐसा कहा जा रहा है कि अनुभवी भाजपा नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने बेटे मंधार के लिए पार्टी का टिकट मांग रही हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन ने दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि टिकट वितरण का फैसला केवल योग्यता और जीतने की क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक परिवारों से संबंध और वंशजों को केवल इस वजह से पार्टी का टिकट नहीं दिया जाना गलत है.

महाजन की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भाजपा “वंशवाद की राजनीति” पर प्रतिद्वंद्वी दलों पर निशाना साध रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार अपने फैसले के बारे में कह चुके हैं कि बीजेपी विधायकों और सांसदों के बच्चों को टिकट नहीं देगी.

दिग्गज बीजेपी नेता पिछले हफ्ते तब खबरों में थीं जब इंदौर में एक कार्यक्रम में पार्टी सदस्यों द्वारा दलबदल पर एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों के लिए नहीं बोल सकती जो पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन मैं उन लोगों के लिए बोलूंगी जो वर्षों से पार्टी में हैं और समर्पण के साथ पार्टी की सेवा कर रहे हैं. मैं उनमें से एक हूं, मेरे जैसे कई अन्य लोग भी हैं.’ पार्टी को इन कार्यकर्ताओं पर ध्यान देना चाहिए.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री और 2014 में लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली पहली भाजपा नेता महाजन ने 2019 के चुनावों में खड़े होने से परहेज किया था. कथित तौर पर युवा नेताओं को अनुमति देने के लिए 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को मैदान में नहीं उतारने की एक अनकही पार्टी नीति के कारण उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया. हालांकि, अब कहा जा रहा है कि दिग्गज नेता इस साल होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने बेटे मंधार महाजन को मैदान में उतारना चाह रही हैं.

राजनीतिक परिवारों से आने वाले लोगों को टिकट देने पर भाजपा के रुख के बारे में बात करते हुए, महाजन – जिन्हें प्यार से ‘ताई’ या बड़ी बहन कहा जाता है – ने कहा, “यदि वह (उम्मीदवार) टिकट का हकदार है, तो उसे केवल इसलिए टिकट से वंचित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वह एक राजनीतिक परिवार से आता है, अगर वह टिकट का हकदार नहीं है, और उसे सिर्फ इसलिए टिकट दिया जा रहा है कि वह राजनीतिक परिवार से आता है तो यह भी गलत हैं.” उन्होंने आगे कहा, राजनीतिक परिवारों से आने वाले लोगों को टिकट वितरण तय करने में कोई सख्त नियम नहीं हो सकता. मैं कई सालों से कहती आ रही हूं कि अगर किसी नेता का रिश्तेदार टिकट का हकदार है तो उसे किसी नियम के कारण घर मत बैठाओ.”

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उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, मध्य प्रदेश भाजपा महासचिव भगवानदास सबनानी ने कहा, “पार्टी हमेशा जीतने की क्षमता और योग्यता का विश्लेषण करने के बाद टिकट देती है”.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, महाजन इंदौर के राऊ विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही हैं. पूर्व स्पीकर खुद इंदौर से आठ बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं.

राजनीतिक परिवारों के उम्मीदवारों को टिकट देने पर उनकी टिप्पणी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को कैबिनेट में शामिल करने के मद्देनजर आई है, जिसे मोटे तौर पर भारती और राज्य में प्रभावशाली लोधी समुदाय को शांत करने के प्रयास के रूप में समझा जा रहा है.

ऐसा कहा जाता है कि जब से पार्टी आलाकमान ने एमपी सीएम की कुर्सी के लिए उनके दावों को नजरअंदाज कर दिया, तब से भारती ने चौहान के प्रति द्वेष पाल लिया है.

दिप्रिंट के साथ अपने साक्षात्कार में, महाजन ने चौहान सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी भावनाओं के आरोपों को भी खारिज कर दिया – मध्य प्रदेश के सीएम द्वारा शुरू की गई कई महिला-केंद्रित योजनाओं का हवाला दिया – 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में एंट्री पर भी बात की. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी के पतन और भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त होने से पार्टी मजबूत हो गई है, और सरकार द्वारा विचार-विमर्श किए जा रहे ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ मॉडल के लिए समर्थन की आवाज उठाई गई है.


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‘कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं’

दिप्रिंट ने पहले खबर दी थी कि पिछले पांच महीनों में एक मौजूदा विधायक, एक पूर्व संसद सदस्य और छह पूर्व विधायकों सहित कम से कम 30 भाजपा पदाधिकारी और नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं.

3 सितंबर को मध्य प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा द्वारा शुरू की गई भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में आमंत्रित नहीं किए जाने पर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सार्वजनिक नाराजगी भी सत्तारूढ़ पार्टी की राज्य इकाई के भीतर बढ़ते मतभेदों को रेखांकित करती है.

हालांकि, यह दावा करते हुए कि चुनावों से पहले चुनावी टिकटों के लिए नेताओं का दल बदलना आम बात है, महाजन ने कहा, “भाजपा में लाखों कार्यकर्ता हैं जो समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम कर रहे हैं – चाहे वह मंडल अध्यक्ष हों या बूथ कार्यकर्ता हों. इन समर्पित कार्यकर्ताओं के कारण ही पार्टी इतनी ऊंचाई पर पहुंची है. पार्टी को उनके बारे में भी सोचना चाहिए और उन कार्यकर्ताओं पर ध्यान देना चाहिए.”

आगामी चुनावों में भाजपा की संभावनाओं और क्या राज्य में चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का कोई डर है, इस पर अनुभवी नेता ने कहा, “मुझे राज्य में शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं दिख रही है. . चुनाव जीतने के लिए संगठन के सभी लोग एकजुट होकर विपक्ष को हराने में अपना योगदान देंगे. हर कोई आगामी चुनाव जीतने के लिए मिलकर काम कर रहा है और मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. इसलिए मेरी राय में बीजेपी राज्य में सरकार बनाएगी.”

महाजन ने कहा: “शिवराज जी ने हर वर्ग के लिए जबरदस्त काम किया है. उनकी लाड़ली लक्ष्मी योजना [जिसका उद्देश्य बालिकाओं के जन्म के प्रति सकारात्मकता लाना, राज्य में लिंग अनुपात में सुधार करना और लड़कियों के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना है] का राज्य में महिलाओं के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. जब वह पहली बार सीएम बने तभी से वह मध्य प्रदेश में महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे हैं. यही कारण है कि महिलाओं का मुख्यमंत्री के प्रति विशेष स्नेह है.”

पूर्व स्पीकर ने कहा, जहां तक उनकी बात है, पार्टी ने उन्हें काफी कुछ दिया है – केंद्रीय मंत्री बनाने से लेकर लोकसभा स्पीकर बनाने तक – जब भी बीजेपी को उनके समर्थन की जरूरत पड़ी, वह उपलब्ध रहीं.

सिंधिया की एंट्री से बीजेपी मजबूत हुई

2020 में, यह ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी 22 कांग्रेस विधायकों ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. जिसने मध्य प्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को सत्ता से निकाल कर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त किया था.

जबकि सिंधिया अब केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, कहा जाता है कि उन्हें उन भाजपा नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने कांग्रेस में रहते हुए उनके घरेलू मैदान पर उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.

कथित तौर पर नेता अपनी मुख्यमंत्री की आकांक्षाओं के कारण कुछ दिग्गज भाजपा नेताओं के साथ प्रतिद्वंद्विता में भी शामिल हैं.

पूर्व स्पीकर ने कहा, जहां तक उनकी बात है, पार्टी ने उन्हें काफी कुछ दिया है – केंद्रीय मंत्री बनाने से लेकर लोकसभा स्पीकर बनाने तक – जब भी बीजेपी को उनके समर्थन की जरूरत पड़ी, वह उपलब्ध रहीं.

सिंधिया को पार्टी में शामिल करने के बारे में बोलते हुए, महाजन ने कहा, “किसी भी पार्टी के विकास और विस्तार के लिए, नए नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल करने की निरंतर प्रक्रिया होती है.”

उन्होंने कहा, ‘पार्टी में नए नेतृत्व को बढ़ावा देना होगा, पार्टी के लिए नई ऊर्जा की जरूरत है. जहां तक ​​सिंधिया जी का सवाल है, राजमाता जी [विजय राजे सिंधिया] ने 80 और 90 के दशक में भाजपा के विकास के लिए बहुत कुछ किया है. जब माधव राव [सिंधिया ज्योतिरादित्य के पिता’, जी ने जनसंघ छोड़ा [जिससे भाजपा की जड़ें जुड़ी हैं] उस समय भी हमें लगा कि वह पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं [वह कांग्रेस में शामिल हो गए]. राजमाता जी को भी दुःख हुआ. ज्योतिरादित्य जी के भाजपा में शामिल होने के बाद, हमारी ताकत बढ़ गई और हम एक से ग्यारह हो गए.

मणिपुर और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर

मणिपुर में राज्य के कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के आरोपों पर, जिसमें महिलाओं को नग्न घुमाने के कथित वीडियो भी शामिल हैं, पूर्व स्पीकर ने कहा, “केवल मणिपुर ही नहीं, जहां भी महिलाओं के खिलाफ अत्याचार होते हैं, निंदनीय है. ऐसा नहीं होना चाहिए था.”

उन्होंने कहा, “जहां तक मणिपुर मुद्दे का सवाल है, यह जटिल है. राज्य में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच कई खामियां हैं. सरकार सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है, लेकिन यह भी सच है कि मोदी सरकार के तहत पूर्वोत्तर में विकास नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर मुद्दे पर अपनी लंबी चुप्पी के लिए निशाने पर आ गए थे, हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास में राज्य का दौरा किया था.

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने भाजपा सरकार के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विचार जिस पर विपक्ष ने भी हमला किया है पर अपनी बात रखी.

यह कहते हुए कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव समय की मांग है,” महाजन ने कहा, “यह कोई नई बात नहीं है. पहले भी चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन विभिन्न कारकों के कारण यह चक्र बिगड़ गया था.”

इस महीने की शुरुआत में, मोदी सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विचार पर काम करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जिसका अतीत में प्रधान मंत्री द्वारा बार-बार समर्थन किया गया है.

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ सिद्धांत का लक्ष्य लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ, एक ही दिन या एक निर्धारित अवधि में कराना है.

सरकारी सूत्रों ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को इस मुद्दे पर कानूनी और राजनीतिक सहमति तक पहुंचने के लिए हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने का काम सौंपा गया है.

“एक राष्ट्र, एक चुनाव से चुनाव कराने की लागत कम हो जाएगी और सरकारों को शासन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का समय मिल जाएगा. अब इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कमेटी का गठन किया गया है. मेरी राय में सरकार का कार्यकाल पांच साल के लिए तय किया जाना चाहिए और मध्यावधि चुनाव से बचने के लिए हमें दल-बदल विरोधी कानून में भी बदलाव की जरूरत है. लेकिन कुल मिलाकर, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लंबे समय में लोकतंत्र को मजबूत करेगा.”

(अनुवाद: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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