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Tuesday, 17 December, 2024
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बिहार NDA में फूट बढ़ी – जद (यू) ने सर्वश्रेष्ठ विधायक पर भाजपा की अगुवाई वाले मतदान का किया ‘बहिष्कार’

प्रस्तावित बहस को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुछ 'आपत्तियां' थीं. विपक्ष ने भी अग्निपथ मुद्दे पर विधानसभा का बहिष्कार किया और केवल भाजपा विधायक ही मौजूद थे, इस वजह से विधानसभा अध्यक्ष को मंगलवार को सत्र को बीच में रोकना करना पड़ा.

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पटना: जनता दल (यूनाइटेड) के विधायकों और मंत्रियों द्वारा दोपहर के भोजन अवकाश के बाद के सत्र में भाग न लेने के फ़ैसले के बाद बिहार विधानसभा की उस बैठक को सोमवार को स्थगित कर दिया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) – सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में जद (यू) की सहयोगी पार्टी – ने इस बात पर चर्चा किए जाने का प्रस्ताव दिया था कि ‘सर्वश्रेष्ठ विधायक’ कौन है.

विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वाम दलों ने भी आधे दिन की कार्यवाही बाद सदन का बहिष्कार किया था, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना पर बहस की अनुमति देने से यह करते हुए इनकार कर दिया था कि यह राज्य के अधिकार क्षेत्र के तहत नहीं आती है.

‘सर्वश्रेष्ठ विधायक’ के चयन की प्रक्रिया पर बहस कराए जाने के लिए सिर्फ 35 भाजपा विधायकों ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिससे सदन खाली-खाली सा नजर आया.

सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने के लिए मजबूर होने पर विधानसभा अध्यक्ष सिन्हा ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष और कुछ अन्य लोगों ने इस चर्चा में भाग नहीं लेने और इस विषय पर अपने विचार ना रखने का विकल्प चुना है.’

पिछले दो दिनों से, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस सहित बिहार के सभी विपक्षी दल अग्निपथ योजना को वापस लिए जाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित करने की मांग के साथ सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहे थे.

भाजपा सूत्रों के अनुसार, जदयू ने विधानसभा अध्यक्ष को अग्निपथ योजना पर चर्चा की अनुमति देने के लिए कुछ संकेत भेजे थे, लेकिन सिन्हा ने इस सुझाव को खारिज कर दिया था. बिहार में इस योजना, जिसके तहत सशस्त्र बलों में 75 प्रतिशत नए रंगरूटों की चार साल की सेवाकाल के बाद नौकरी से छुट्टी कर दी जाएगी, को लेकर व्यापक विरोध देखा गया था.

इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को भाजपा द्वारा प्रस्तावित ‘सर्वश्रेष्ठ विधायक’ पर बहस कराए जाने पर आपत्ति जताई थी. मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगियों के अनुसार, नीतीश ने उनसे कहा था कि अगर विधानसभा अध्यक्ष विधायकों को उनके प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत ही करना चाहते हैं, तो वह एक हाउस कमेटी (सदन की समिति) बनाकर ऐसा कर सकते हैं.

भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री ने टिप्पणी की, ‘यह पहली बार है जब मैंने सत्तारूढ़ गठबंधन के पूर्ण सहयोगी को सदन का बहिष्कार करते देखा है.’

यह दूसरी बार है जब सिन्हा और नीतीश के बीच स्पष्ट तौर पर मौजूद तनाव लोगों की नजरों में आया है. इसी साल मार्च में, दोनों के बीच कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर सदन के अंदर गतिरोध हुआ था, जिसके बारे में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि उन्होंने (मुख्यमंत्री नीतीश ने) उनके गृह क्षेत्र लखीसराय में उनका अपमान किया था.


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इससे पहले का घटनाक्रम

सोमवार को तनाव के संकेत उसी समय से मिल रहे थे जब विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में एलान किया कि उन्हें एक महत्वपूर्ण घोषणा करनी है. उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक जिले और ब्लॉक कार्यालय में स्थानीय विधायक के लिए एक अलग कार्यालय होगा,’ और इसके बाद इस संबंध में ध्वनि मत से एक प्रस्ताव पारित कर दिया गया.

इस बारे में जद (यू) के एक वरिष्ठ मंत्री ने टिप्पणी की, ‘विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण किया है. यह एक प्रशासनिक घोषणा थी. अगर कोई घोषणा करनी ही थी तो वह ट्रेजरी बेंच (सत्तारूढ़ पक्ष) से होनी चाहिए थी.

इसके अलावा, सोमवार को ही जद (यू) के मंत्रियों विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार ने सिन्हा को ‘सर्वश्रेष्ठ विधायक’ पर बहस कराने का विचार छोड़ने हेतु मनाने के लिए राज्य विधानसभा भवन स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय और विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय के बीच कई चक्कर लगाए.

लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया कि वह केवल वही कर रहे हैं जो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राज्य विधानसभाओं को उनके प्रदर्शन में सुधार के लिए करने के लिए कहा था.

इसके बाद, इस बहस को मंगलवार के एजेंडे में शामिल किया गया. लेकिन जब भाजपा विधायक संजय सरावगी को बहस शुरू करनी थी, तभी जद (यू) के विधायकों ने सदन की कार्यवाही को छोड़ने का फैसला किया,

इस बीच, जद (यू) के दो मंत्री, शीला मंडल और सुनील कुमार, सदन में ही बैठे रहे. जाहिर तौर पर वे अपनी पार्टी के फैसले से अनजान थे. यह महसूस करने के बाद कि उनकी पार्टी के बाकी सदस्य वहां मौजूद नहीं हैं, मंडल ने जल्दबाज़ी में सदन छोड़ दिया. बाद में उनका बैग उन्हें सौंप दिया गया क्योंकि वह उसे ले जाना भूल गई थीं.

सदन में जब बहस शुरू हुई तो विधानसभा परिसर में मौजूद जदयू के सभी विधायक मंत्री श्रवण कुमार के कार्यालय में बैठ गए. हालांकि उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि जद (यू) सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहा है. जद (यू) विधायक शालिनी मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मुझे एक बैठक के लिए बुलाया गया था.’

जद (यू) विधायक गोपाल मंडल ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘यह एक संयोग हो सकता है.


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धर्मेंद्र प्रधान ने की मुख्यमंत्री से मुलाकात

बिहार में जद (यू) और भाजपा के बीच यह गतिरोध केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के लिए नीतीश से मुलाकात के साथ ही हुआ है. जद (यू) ने पिछले हफ्ते ही मुर्मू को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी.

मंगलवार को नीतीश के साथ हुई अपनी बैठक से बाहर आते हुए, प्रधान ने समाचार माध्यमों को बताया कि दो सत्तारूढ़ सहयोगी पार्टियों के बीच सब कुछ ठीक-ठाक हैं, और मुख्यमंत्री अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेंगे.

जद (यू) के सूत्रों के अनुसार, नीतीश ने अपनी सरकार पर हो रहे लगातार हमलों में भाजपा के प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष संजय जायसवाल की भूमिका को लेकर प्रधान के साथ हुई मुलाकात में कड़ी आपत्ति व्यक्त की. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ भी आवाज उठाई.

लेकिन भाजपा-जद (यू) गठबंधन के बारे में कोई भी भविष्यवाणी करना मुश्किल है. विधानसभा में राजद के मुख्य सचेतक ललित यादव ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने की स्थिति में आ जाते हैं और फिर अचानक समझौता कर लेते हैं.’

राजद ने घोषणा की है कि वह 30 जून को समाप्त होने वाले मानसून सत्र के शेष हिस्से का बहिष्कार करेगा. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अग्निपथ योजना पर चर्चा के लिए अपनी पार्टी द्वारा किए गये अनुरोध पर अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को भी खरी खोटी सुनाई.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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