लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए उनकी पार्टी के दरवाजे सभी छोटे दलों के लिए खुले हैं और वह कोशिश करेंगे ऐसे सभी दल भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए एक साथ आएं.
उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष की शुरुआत में विधानसभा का चुनाव होना है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘2022 के चुनावों में गठबंधन के लिए हमारी पार्टी के दरवाजे सभी छोटे दलों के लिए खुले हैं.’ उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘कई छोटी पार्टियां पहले से ही हमारे साथ हैं और भी कई हमारे साथ आएंगी.’
SP open to alliance with small parties in 2022 UP assembly polls, will try to unite them against BJP: SP chief Akhilesh Yadav
— Press Trust of India (@PTI_News) August 1, 2021
यादव से जब राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बारे में विशेष तौर पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हम कोशिश करेंगे कि सभी दल एकजुट हों.’
ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के नेतृत्व वाले भागीदारी संकल्प मोर्चा के बारे में, जिसमें एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी एक घटक हैं, के संदर्भ में अखिलेश ने कहा, ‘अब तक उनके साथ कोई बातचीत नहीं हुई है.’
बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी पार्टी पर किए जा रहे तीखे हमलों के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा, ‘बसपा और कांग्रेस को तय करना चाहिए कि उनकी लड़ाई भाजपा से है या सपा से.’
मायावती लगातार ट्वीट के जरिए सपा पर निशाना साध रही हैं. उन्होंने हाल में जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने के लिए भाजपा पर हमला करते हुए कहा था कि ये ‘चाल’ पिछली सपा सरकार के तरीकों के समान है.
कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी सपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि उसके नेताओं के बयान निराशा को दर्शाते हैं क्योंकि लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया है.
बसपा और अन्य दलों द्वारा किए गए ब्राह्मण सम्मेलनों सहित जाति सम्मेलनों के बारे में पूछने पर अखिलेश ने कहा कि सपा भी ऐसी बैठक करती थी और ‘हमारे पिछड़े सम्मेलन जारी हैं, इस तरह की अन्य बैठकें चल रही हैं.’
उन्होंने कहा, ‘समाजवादी विचारक जनेश्वर मिश्र की जयंती पर पांच अगस्त को हमारी पार्टी यात्रा निकालेगी और भाजपा के कुशासन का पर्दाफाश करने के लिए 15 अगस्त से और यात्राएं निकाली जाएंगी.’ दूसरी लहर में राज्य सरकार द्वारा कोविड से निपटने और इससे निपटने के योगी मॉडल के बारे में अखिलेश ने कहा, ‘सरकार पूरी तरह से विफल रही और राज्य में ऑक्सीजन, बिस्तर, दवाओं की कमी के कारण लोग मारे गए। सभी ने अस्पतालों की स्थिति को देखा है और श्मशान भी.’
उन्होंने कहा, ‘यह कौन सा मॉडल है? बदहाली और अव्यवस्था को लोगों ने करीब से देखा है और वे लोग उचित समय पर भाजपा को जवाब देंगे.’
उन्होंने तंज किया कि भाजपा ने अपना 2017 का चुनावी घोषणापत्र नहीं देखा है जिसमें उसने किसानों की आय दोगुनी करने की बात की थी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘भाजपा ने पिछले चार वर्षों में कोई बुनियादी ढांचा नहीं बनाया है. कोविड संकट के दौरान, हमने सपा शासन में जो कुछ भी विकसित किया था, उसी का उपयोग किया गया.’
सपा प्रमुख ने कहा, ‘भाजपा को गंगा की सफाई और महंगाई के बारे में भी बताना चाहिए. भाजपा के अपने सांसद और विधायक तक खुश नहीं हैं.’
यह पूछे जाने पर कि पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा कब शुरू करेगी, यादव ने कहा, ‘हमारे पास अभी भी समय है, प्रक्रिया जारी है और चर्चा तथा विश्लेषण के बाद सही उम्मीदवार घोषित किये जाएंगे.’
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के 350 सीटें जीतने के दावे की याद दिलाने पर उन्होंने कहा, ‘लोगों में आक्रोश पनप रहा है और वे राज्य में भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए एक मौके की प्रतीक्षा कर रहे हैं. 350 का आंकड़ा हमारे अनुकूल है और हमारे कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को याद कर लोग अब महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने 2017 में गलती की थी और भाजपा ने उन्हें झूठ बोलकर मूर्ख बनाया था.’
पेगासस जासूसी विवाद पर अखिलेश ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और सरकार इस काम में विदेशी ताकतों की मदद कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा कई राज्यों में शासन कर रही है लेकिन यह विडंबना है कि सरकार जासूसी के माध्यम से जाने क्यों और क्या खोजने की कोशिश कर रही है.
सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘भाजपा खुद को राष्ट्रवादी कहती है, क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला नहीं है? क्या वे खुद देशद्रोही नहीं हैं. सरकार जासूसी में शामिल है और यहां तक कि न्यायाधीशों को भी नहीं बख्शा गया है. भाजपा ने लोकतंत्र को खोखला कर दिया है और वह केंद्र संस्थानों का दुरुपयोग कर रही है.’