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Saturday, 2 November, 2024
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सोनिया गांधी ने किया कांग्रेस संसदीय दलों का पुनर्गठन, तिवारी और थरूर हुए शामिल

शामिल किए जाने वाले अन्य नाम हैं चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और अंबिका सोनी. कांग्रेस ने ये फेरबदल ऐसे समय किया है जब मॉनसून सत्र के दौरान किसान आंदोलन और कोविड मौतों जैसे मुद्दे उठाने के लिए पार्टी कमर कस रही है.

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नई दिल्ली: 19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को पार्टी के लोकसभा और राज्य सभा संसदीय समूहों में फेरबदल किया है. इन समूहों का मकसद संसद में उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख पर रणनीति तैयार करना और दोनों सदनों में पार्टी के अवलोकन और प्रतिक्रिया की अगुवाई करना है.

अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में बदले जाने की खबरों के विपरीत बंगाल सांसद अपने पद पर बने हुए हैं. इस बीच लोकसभा संसदीय ग्रुप में शामिल किए दो नए चेहरे हैं मनीष तिवारी और शशि थरूर- जिन दोनों को चौधरी की जगह उस पद का शीर्ष दावेदार माना जा रहा था. तिवारी और थरूर 23 कांग्रेस नेताओं के उस ग्रुप का भी हिस्सा थे, जिन्होंने अगस्त 2020 में गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के लिए एक ‘पूर्ण-कालिक और प्रभावी नेतृत्व’ की मांग की थी.

लोकसभा के दल में शामिल अन्य सदस्य हैं गौरव गोगोई, मुख्य सचेतक के सुरेश और सचेतक रवनीत सिंह बिट्टू तथा मणिकम टैगोर.

राज्य सभा में पार्टी के ग्रुप में शामिल किए गए नए नाम हैं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी.

इस ग्रुप के अध्यक्ष, जिसमें संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, सदन के उप-नेता आनंद शर्मा और मुख्य सचेतक जयराम रमेश बतौर सदस्य पहले से ही शामिल थे, ऊपरी सदन में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं.

दोनों सदनों के सांसदों को लिखे अपने पत्र में गांधी ने लिखा, ‘कांग्रेस संसदीय पार्टी के अध्यक्ष के नाते मैंने निम्नलिखित समूहों को पुनर्गठित करने का फैसला किया है, ताकि सदन के दोनों सदनों में हमारी पार्टी का प्रभावी कामकाज सुनिश्चित हो सके’.

उन्होंने कहा, ‘सत्र के दौरान ये ग्रुप हर दिन बैठक करेंगे और यदि संसदीय मुद्दों का मामला हो, तो अंतर-सत्र अवधि में भी मिल सकते हैं’.


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कार्रवाई के लिए तैयार

दोनों सदनों में ये ग्रुप ऐसे समय पुनर्गठित किए गए हैं, जब कांग्रेस संसद में प्रासंगिक मुद्दों को उठाने के लिए कमर कस रही है, जैसे लगातार चल रहा किसान आंदोलन, कोविड की दूसरी लहर के दौरान हुई मौतें, तीसरी लहर की संभावना और आगे चलकर सरकार की टीकाकरण रणनीति.

इन समूहों का मकसद संसद में उठाए गए किसी भी बिल या मुद्दे पर अपना एक रुख रखना, अन्य राजनीतिक दलों से संपर्क बनाने की कोशिश करना, सदन के पटल पर समय का पूरा उपयोग करना और उसी हिसाब से तय करना कि कौन से मुद्दे उठाने हैं.

पिछले सप्ताह सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस संसदीय पार्टी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष ने कहा था कि खड़गे को ये सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी कि सदन के भीतर जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हो रही हो, उनके ऊपर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां एकमत हों.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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