नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को अपनी पार्टी समेत 19 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ डिजिटल बैठक की और उनका आह्वान किया कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट हों और देश के संवैधानिक प्रावधानों एवं स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में विश्वास रखने वाली सरकार के गठन के लिए अपनी विवशताओं से ऊपर उठें.
उन्होंने यह भी कहा कि इस समय विपक्षी दलों की एकजुटता राष्ट्रहित की मांग है और कांग्रेस अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखेगी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी विपक्षी दलों का आह्वान किया कि देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि सोनिया द्वारा बुलाई गई इस डिजिटल बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक नेता एम. के. स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन शामिल हुए.
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में समाजवादी पार्टी शामिल नहीं हुई, हालांकि पहले इसके शामिल होने की संभावना थी. सपा के इस बैठक से अनुपस्थित रहने के कारणों के बारे में फिलहाल पता नहीं चल पाया है.
इस बैठक में भाकपा, माकपा, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, राजद, एआईयूडीएफ, वीसीके, जनता दल (एस), राष्ट्रीय लोक दल, लोकतांत्रिक जनता दल, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम) और आईयूएमएल के नेता भी शामिल हुए.
सोनिया ने कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों के नेताओं की डिजिटल बैठक में संसद के हालिया मानसून सत्र के दौरान दिखी विपक्षी एकजुटता का उल्लेख किया और कहा, ‘मुझे भरोसा है कि यह विपक्षी एकजुटता संसद के आगे के सत्रों में भी बनी रहेगी, परंतु व्यापक राजनीतिक लड़ाई संसद से बाहर लड़ी जानी है.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘निश्चित तौर पर (हमारा) लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है. हमें देश को एक ऐसी सरकार देने के उद्देश्य के साथ व्यवस्थित ढंग से योजना बनाने की शुरुआत करनी है जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों और संविधान के सिद्धांतों एवं प्रावधानों में विश्वास करती हो.’
उन्होंने विपक्षी दलों का आह्वान किया, ‘यह एक चुनौती है, लेकिन हम साथ मिलकर इससे पार पा सकते हैं और अवश्य पाएंगे क्योंकि मिलकर काम करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. हम सभी की अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन अब समय आ गया है जब राष्ट्र हित यह मांग करता है कि हम इन विवशताओं से ऊपर उठें.’
सोनिया ने कहा, ‘देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ अपने व्यक्तिगत और सामूहिक संकल्प पर फिर जोर देने का सबसे उचित अवसर है. मैं यह कहूंगी कि कांग्रेस की तरफ से कोई कमी नहीं रहेगी.’
बैठक में भाग लेने वाले राकांपा प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट किया, ‘सोनिया गांधी जी की पहल पर आज समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठक संपन्न हुई. वर्चुअल रूप से आयोजित की गई इस बैठक में सम्मिलित होकर अपने विचार व्यक्त किए.’
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान सरकार इन सभी मुद्दों को हल करने में विफल रही है. जो लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं, जो लोग हमारे देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं, उन्हें एक साथ आना चाहिए, ऐसा मेरा आह्वान है.’
पवार ने कहा, ‘एक समयबद्ध कार्यक्रम को सामूहिक रूप से शुरू करने की आवश्यकता है. मैं ये सुझाव देता हूं कि इन सभी मुद्दों से एक साथ निपटने के बजाय, हमें प्राथमिकता तय कर के सामूहिक रूप से इन मुद्दों को सुलझाने के लिए और अपने देश को एक अच्छा वर्तमान और भविष्य देने के लिए कार्य करना चाहिए.’
विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के वास्ते एकजुट होने के लिए प्रयासरत हैं ताकि अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से कड़ी चुनौती पेश की जा सके.
हाल ही में संपन्न हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी विवाद, किसान आंदोलन और महंगाई के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता देखने को मिली थी. इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद के केंद्रबिंदु में नजर आए थे.
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