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Saturday, 20 April, 2024
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‘सिंघम’ अन्नामलाई—एक आईपीएस अफसर, इंजीनियर और एमबीए जिसने आतंक से लड़ने के लिए इस्लाम को पढ़ा

कर्नाटक कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी अन्नामलाई कुप्पुस्वामी मंगलवार को दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गए. वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो उन्हें प्रेरित करती है.

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बेंगलुरु/दिल्ली: पिछले साल नौकरी से इस्तीफा देने वाले और मंगलवार को राजनीति में कदम रखने वाले 2011 बैच के एक आईपीएस अधिकारी अन्नामलाई कुप्पुस्वामी के लिए भाजपा ‘एकदम फिट’ पार्टी है.

राष्ट्रीय महासचिव पी. मुरलीधर राव और तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष एल. मुरुगन की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होने के कुछ घंटे बाद ही अन्नामलाई ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विनम्र शुरुआत के साथ आगे बढ़े हैं और मैं उनके जीवन से बेहद प्रभावित हूं. भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मुझे प्रेरित करती है.’

पार्टी में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मैं मोदीजी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. उनको देखकर मुझे लगता है कि कोई भी सामान्य व्यक्ति शीर्ष पर पहुंचने और अपनी मंजिल हासिल करने की आकांक्षा कर सकता है, और उसके किसी वंश विशेष से होने की जरूरत नहीं है.’

आईआईएम-लखनऊ से एमबीए के साथ-साथ एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट अन्नामलाई किसी समय उद्यमी बनने के बारे सोचते थे, लेकिन ‘लोगों से जुड़े रहने के लिए’ सिविल सेवाओं में कैरियर बनाने की खातिर उन्होंने इस सपने को दरकिनार कर दिया. और लोगों से जुड़ने का काम उन्होंने किया भी.

उन्होंने आठ साल के करियर में अपनी पुलिसिंग स्टाइल के कारण ‘सिंघम अन्ना’ के तौर पर पहचान बनाई है. ‘सिंघम’ का अर्थ होता है शेर, और यह 2011 में इसी नाम से आई फिल्म में अजय देवगन के निभाए किरदार और सुपरकॉप के बीच एक समानता दिखाने की कोशिश है. और ‘अन्ना’ भाई के लिए एक सम्मानसूचक शब्द के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

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चाहे गुटखा बिक्री पर के खिलाफ कार्रवाई और मादक द्रव्यों के खिलाफ अभियान चलाने की बात हो, या एक बलात्कार पीड़िता की दुखी मां के प्रति सहानुभूति भरा रुख अपनाना, अन्नामलाई ने अपनी कार्यशैली से तमाम प्रशंसक बनाएं हैं. इसके अलावा एक सशक्त सार्वजनिक छवि को भी वह अपने नए कैरियर में एक पूंजी के तौर पर लेकर आए हैं.


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‘सिंघम अन्ना’

अन्नामलाई 2011 में पुलिस सेवा में शामिल हुए और उनकी पहली पोस्टिंग कर्नाटक के करकला में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई. यहां, उन्होंने नशीली दवाओं के इस्तेमाल और तंबाकू की बिक्री के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया, शराब की कई अवैध दुकानें बंद कराईं.

उन्होंने नशीले पदार्थों की लत के खिलाफ कॉलेजों में सेमिनार आयोजित किए, और कंम्प्लेन बॉक्स लगवाए जहां छात्र अपना नाम गुप्त रखते हुए अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी दे सकते थे.

जनवरी 2015 से अगस्त 2016 के बीच वह उडुपी जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में तैनात रहे. इस दौरान ही उन्होंने पहली बार हत्या के किसी मामले की जांच की, जिसमें एक 17 वर्षीय छात्रा की हत्या से पहले हमलावरों ने उसके साथ बलात्कार किया था.

अन्नामलाई ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि किशोरी की दुखी मां ने सीधे उनकी आंखों में देखकर पूछा था कि क्या वह उसकी बेटी को वापस ला सकते हैं.

उन्होंने आगे बताया, ‘मैं यह सुनकर दंग रह गया था.’ उन्होंने उसकी मां से कहा कि न केवल दोषियों को सजा दिलाएंगे, बल्कि यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी बेटी की यादें बनी रहें. 19 साल की उम्र वाले दोनों कथित अपराधियों को दो दिनों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया था, और अन्नामलाई ने पीड़िता के नाम पर 10,000 रुपये की छात्रवृत्ति शुरू कराई, जो हर साल उस लड़की को दी जाती है जो बिंदूर तालुका में दसवीं कक्षा में टॉप करती है.

उडुपी में ही रहते हुए अन्नामलाई एक बार एक प्रोविजन स्टोर गए और सिगरेट, गुटखा और बीड़ी मांगी. जब दुकानदार ने उन्हें सामान दिया, तो अन्नामलाई ने जनरल स्टोर में इन चीजों की बिक्री प्रतिबंधित होने के बावजूद इन्हें बेचने के लिए तुरंत उस पर 30,000 रुपये का जुर्माना ठोक दिया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने उसे चेतावनी दी… आज इस राशि का भुगतान करों या नहीं तो कल एक लाख का भुगतान करने को तैयार रहो.’

उडुपी, जहां भटकल का घर है, और जिस जगह को इस्लामी कट्टरपंथ और इंडियन मुजाहिदीन संगठन की जड़े जमने के लिए जाना जाता है, में उनके कार्यकाल ने ही अन्नामलाई को इस्लाम में गहरी दिलचस्पी जगाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने यह समझने के लिए इस धर्म के अध्ययन का फैसला किया कि ‘कैसे धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या के कारण कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है.’

अन्नामलाई ने कहा, ‘मैंने मजहबी उलेमा की मदद से कुरान और हदीस का अध्ययन किया. मैंने दर्शन को समझने की कोशिश की. इसने मुझे इंडियन मुजाहिदीन, सिमी और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों का मानस समझने में मदद की, जिसने भटकल-कुंडापुरा क्षेत्र के चारों ओर अपना नेटवर्क फैला रखा है.’

अगला स्थानांतरण उन्हें अक्टूबर 2018 तक के लिए चिकमंगलुरु ले गया.

2017 में इस क्षेत्र ने उस समय सांप्रदायिक तनाव और दंगों की घटनाएं झेलीं जब कुछ लोगों दत्तात्रेय बाबाबूदन स्वामी दरगाह को क्षतिग्रस्त कर दिया था. पुलिस अधीक्षक के रूप में अन्नामलाई ने तनाव घटाने के लिए कई बैठकें आयोजित कीं.

2019 में वह उस समय पुलिस उपायुक्त, बेंगलुरु दक्षिण के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे, जब उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया.

अपने इस्तीफे में अन्नामलाई ने कहा कि यह कोई अचानक लिया गया निर्णय नहीं था, बल्कि एक अच्छी तरह सोच-समझकर लिया गया फैसला है जिसकी वजह 2018 की कैलाश मानसरोवर यात्रा में निहित है. एक सम्मानित वरिष्ठ की मृत्यु ने मन में कहीं बहुत गहरे तक असर किया था.

उन्होंने उस समय ही दिप्रिंट को बताया था, ‘कैलाश मानसरोवर की मेरी यात्रा ने मुझे आत्मविश्वासी बना दिया. दिसंबर 2018 में 47 वर्षीय आईपीएस अधिकारी मधुकर शेट्टी की मृत्यु ने मुझे अपने जीवन में झांककर देखने को प्रेरित किया.’


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‘प्रशंसकों का क्षण’

अन्नामलाई के बारे में बात करते हुए उन्हें सहकर्मियों के चेहरे पर चमक आ जाती है, जैसा आईपीएस अधिकारी राहुल कुमार शाहपुरवाड़ बताते हैं कि साथियों के बीच उनकी छवि एक स्टार की है. शाहपुरवाड़ ने बताया कि जब अन्नामलाई ने अपने इस्तीफे की घोषणा की तो ‘कई सहयोगियों ने उनके साथ सेल्फी लेनी शुरू कर दी.’

उन्होंने बताया, ‘यह हम सब लोगों के लिए एक फैन मोमेंट था.’

उन्होंने बताया कि अन्नामलाई के प्रभाव का सही अंदाजा तो उन्हें तब लगा जब उनके क्षेत्राधिकार वाले इलाके हासन के एक शिकायतकर्ता ने अपने मामले की जांच का नेतृत्व उन्हें (अन्नामलाई को) सौंपने को कहा. जबकि अन्नामलाई पड़ोसी जिले चिकमंगलुर में पुलिस अधीक्षक थे.

शाहपुरवाड़ ने कहा, ‘ वैसे मुझे थोड़ा बुरा लगा क्योंकि यह मेरा अधिकार क्षेत्र था, लेकिन अन्नामलाई सर के लिए इज्जत और बढ़ गई, जिनका प्रभाव अधिकार क्षेत्र से परे था.’

उन्होंने बताया कि जब उन्हें अन्नामलाई और चार अन्य अधिकारियों के साथ बेंगलुरु स्थानांतरित किया गया, तो सुर्खियां बनीं, ‘अन्नामलाई और पांच अन्य का स्थानांतरण. यह बताता है कि वह क्या हैं.’

अन्नामलाई के सीनियर भी उनकी काफी प्रशंसा करते हैं. मौजूदा समय में बेंगलुरु शहर (ईस्ट डिवीजन) के अतिरिक्त आयुक्त के तौर पर कार्यरत एस मुरुगन ने कहा कि अन्नामलाई को ‘तीन एच’ के लिए जाना जाता है—ऑनेस्टी (ईमानदारी), ह्यूमनेस (मानवता) और हार्डवर्क (कड़ी मेहनत).


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‘तमिलनाडु में भाजपा की राष्ट्रवादी भावना के वाहक’

अन्नामलाई, जो कर्नाटक कैडर के तौर पर आईपीएस में शामिल हुए थे, तमिलनाडु के मूल निवासी हैं. भाजपा में उनकी इंट्री 2021 की गर्मियों में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से लगभग एक साल पहले हुई है—जो राज्य में दो राजनीतिक दिग्गजों अन्नाद्रमुक जयललिता और डीएमके नेता एम. करुणानिधि की मृत्यु के बाद होने वाला पहला चुनाव है.

भाजपा तमिलनाडु में एक छोटे खिलाड़ी के तौर पर राज्य में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन कर रही है.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, या फिर पार्टी के अंदर ऐसी ही किसी बड़ी जिम्मेदारी को संभालेंगे, अन्नामलाई ने कहा कि वह भाजपा में ‘एक वफादार सैनिक’ के रूप में शामिल हुए हैं और ‘पार्टी की राष्ट्रवादी भावना को तमिलनाडु तक पहुंचाने’ के लिए काम करेंगे.

मंगलवार को दिल्ली में पार्टी में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने मोदी को एक सच्चा नेता बताने के लिए प्राचीन तमिल सूत्र तिरुक्कुरल का जिक्र किया.

उन्होंने कहा, मैं एक ऐसी जगह से आता हूं जो ऐतिहासिक है और इस खूबसूरत तिरुक्कुरल में उन गुणों के बारे में बताया गया है जो एक राजा और एक प्रशासक के पास होने चाहिए. यह निर्भयता की बात करता है, यह साहस की बात करता है, यह एक उदार हृदय की बात करता है, यह ज्ञान की बात करता है. मैं इन चारों गुणों को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भाजपा के सभी प्रतिष्ठित लोगों में पाता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने फैसला किया है कि मुझे उस आंदोलन को मजबूत करना चाहिए जो पार्टी का आधार है….तमिलनाडु में उस राष्ट्रवादी भावना को जगाना. मैं एक वफादार सिपाही के तौर पर तमिलनाडु और भारत में इसे आगे बढ़ाने के लिए अपना पूरा समय और ताकत झोंककर अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश करूंगा… भाजपा में शामिल होना मेरा सौभाग्य है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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