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Saturday, 4 May, 2024
होमदेशपंजाब के इस आईपीएस अफसर से सीखो, बोर्ड परीक्षा में 67% अंक का मतलब दुनिया खत्म हो जाना नहीं

पंजाब के इस आईपीएस अफसर से सीखो, बोर्ड परीक्षा में 67% अंक का मतलब दुनिया खत्म हो जाना नहीं

राजस्थान के आदित्य ने कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया, लेकिन 2017 में अपने चौथे प्रयास में केवल यूपीएससी में सफल हो पाए. वह अब संगरूर में असिस्टेंट एसपी हैं.

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चंडीगढ़: अपनी बोर्ड परीक्षाओं में जिन छात्रों ने शीर्ष अंक हासिल किए हैं वे बेहद उत्साहित है, उनके चेहरे पूरे मीडिया और सोशल मीडिया पर छाए हैं. लेकिन उनका क्या जो बहुत ज्यादा अंक हासिल नहीं कर पाए. क्या उन्हें निराश होकर अपना मुंह लटका लेना चाहिए?

यही वह सवाल है जिसका आदित्य, यही उनका पूरा नाम है, ने उस समय सामना किया जब 2009 में राजस्थान बोर्ड परीक्षा में उसे 67 प्रतिशत अंक मिले थे. वह एक सिविल सेवक बनने का सपना देखते बड़ा हुआ था और ये अंक उसके लिए रास्ते बंद होने का संकेत दे रहे थे.

आठ साल बाद, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा प्रक्रिया में सफलता हासिल की, और अगले वर्ष पंजाब कैडर के एक आईपीएस अधिकारी बन गए. वह वर्तमान में संगरूर में असिस्टेंट पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं, और हैदराबाद में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं.

आदित्य ने अपनी बोर्ड परीक्षाओं से लेकर यूपीएससी में अपने अंतिम चयन तक की शानदार यात्रा की कहानी सुनाई. इस दौरान, वह बिना कोई सफलता हासिल किए दो दर्जन से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुए, और यूपीएससी परीक्षा चौथे प्रयास में क्लियर कर पाए.

28 वर्षीय अफसर दिप्रिंट को बताया कि कड़ी मेहनत, दृढ़ता, धैर्य, ‘और एक बहुत मोटी चमड़ी होना है’ उनकी सफलता का मंत्र है,

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उन्होंने बताया. ‘मैंने हार नहीं मानी. हालांकि, यह कहने में आसान लग सकता है लेकिन लगातार विफलता झेलना काफी कठिन होता है. जब कोई मध्यमवर्गीय परिवार से हो जिसका एकमात्र निवेश आपकी शिक्षा और बहुत सारी उम्मीदें होती हैं, तो दबाव और भी बढ़ जाता है.

तमाम असफलताओं के बाद सफलता

आदित्य ने सबसे पहले एक इंजीनियर बनने की कोशिश की थी, लेकिन प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर सके. आईपीएस अफसर ने बताया, ‘इसके बाद मेरे पिता ने मुझे सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए प्रेरित किया. उन्होंने भी यूपीएससी परीक्षा में कोशिश की थी लेकिन उसमें सफल नहीं हो पाए. लेकिन उनके कई दोस्तों ने इसे क्लियर किया था, और वे मेरे प्रेरणास्रोत बन गए.’

उन्होंने बताया, ‘मेरे माता-पिता दोनों सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं और हम राजस्थान के एक गांव में रहते हैं. कक्षा 8 तक, मैंने गांव के स्कूल में ही पढ़ाई की, जिसके बाद मैं भदरा स्थित जिला मुख्यालय (हनुमानगढ़) स्कूल चला गया. मैंने यहीं से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की. मैं क्षेत्रीय या हिंदी माध्यम में पढ़ाई कर रहा था.

उन्होंने बताया, ‘हमारे पास अपनी कोई जमीन या कोई व्यवसाय नहीं है. हमारे लिए तो पढ़ाई ही सब कुछ है, और यही सफलता की एकमात्र सीढ़ी है. एक बार जब यह बात समझ गया तो मुझे पता है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से नौकरी की तलाश करनी होगी. मैंने अपनी सारी पढ़ाई हिंदी माध्यम से की है और परीक्षा की तैयारी भी हिंदी में ही की थी. 2013 में अपनी सिविल सेवा की तैयारियों के उद्देश्य से दिल्ली जाने के लिए जाने के लिए मैंने पहली बार अपना गांव छोड़ा था.’

आदित्य पहली बार 2014 में सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए, लेकिन प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाए. फिर अगले साल, वह प्रीलिम्स और मेन को क्लियर करने में कामयाब रहे, लेकिन इंटरव्यू में आकर सफलता नहीं मिली.

उन्होंने बताया, ‘2016 में मैं इसमें फिर शामिल हुआ, लेकिन 2015 की अपनी उपलब्धियों से इतना अधिक आत्मविश्वास से भरा था कि बुरी तरह से नाकाम हो गया और यहां तक कि मेन्स भी क्लियर नहीं कर पाया. यह एक बड़ा सबक है जो मैंने अपने जीवन में सीखा. किसी भी चीज को हल्के में न लें. मैंने फिर से तैयारी की और 2017 में अंतत: कामयाबी हासिल करके ही दम लिया.’

उन्होंने आगे बताया, ‘इस दौरान मैंने कई अन्य परीक्षाओं में भी हाथ आजमाया, जिनमें कुछ मुझे एक स्कूल शिक्षक या एक बैंकर या एक एक्साइज इंस्पेक्टर बना सकती थीं. मैंने राजस्थान सिविल सेवाओं के लिए भी प्रयास किया और दो बार इंटरव्यू के स्तर तक पहुंचा लेकिन आखिर में नाकाम रहा. आज, मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मैं उन परीक्षाओं को क्लियर नहीं कर पाया था.’

समाजिक दबाव

आदित्य ने उस दबाव के बारे में भी बताया जो किसी व्यक्ति पर सामाजिक स्तर पर पड़ता है.

आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘इस तथ्य के अलावा कि किसी को लंबे समय तक पढ़ाई करते रहना पड़ता है, सामाजिक दबाव भी बहुत ज्यादा होता है. जो भी लोग आपके परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों को जानते हैं, वे इस पर नजर रखते हैं कि आप क्या कर रहे हैं. अगर आप सही दिशा में चल रहे हैं तो सब ठीक है. लेकिन जैसे ही कोई असफल होता है, उसे उसकी सबसे बड़ी विफलता के रूप में सामने रख दिया जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘जब मैं यूपीएससी मेन्स क्लियर नहीं कर पाया था, तो मुझे इतनी ज्यादा सलाह मिलने लगी कि मैंने आखिरकार अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को ही बंद कर दिया और तय किया कि किसी को यह नहीं बताऊंगा कि मैं दोबारा परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं. मेरे माता-पिता ही ऐसे थे जो हर कदम पर मेरे साथ खड़े थे और उन्होंने इन सामाजिक दबावों को मेरे पास भी नहीं फटकने दिया.’

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3 टिप्पणी

  1. sir aapko rajasthan cadre milna chaheya tha kyoki aapna etna hard work kiya hai aur 4th attempt mai clear kiya hai upsc aur aap IPS ban gae .but no matter punjab is also aa good cadre ?welcome to punjab police .sir my aim is to meet u in future ?❤.

    • Sir mehnat ke bal par apne apna spna pura kiya congrats ye sch h ki dikkate bhut aati h kyoki kuch bada krne k liye hme physically or mently bhut strong hona padhta h but sbse jaruri h har n manna apne sai kha kehna asan h par umid m age bade rhna hi ek upsc aspirant k laksh hota h

  2. Sir mehnat ke bal par apne apna spna pura kiya congrats ye sch h ki dikkate bhut aati h kyoki kuch bada krne k liye hme physically or mently bhut strong hona padhta h but sbse jaruri h har n manna apne sai kha kehna asan h par umid m age bade rhna hi ek upsc aspirant k laksh hota h

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