नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के सत्ता की बागडोर एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के हाथों में आ गई है. रात नौ बजे एक सादे सामारोह में राज्यपाल लालजी टंडन ने शिवराज सिंह चौहान को राज्य के मुख्यमंत्री की शपथ दिलवाई. एक साल तीन महीने और छह दिन बाद एकबार फिर राज्य की कमान शिवराज सिंह चौहान के हाथों में है. देशभर में कोरोनावायरस की महामारी को देखते हुए शिवराज का शपथ ग्रहण समारोह सिर्फ 6 मिनट तक चला. शपथ ग्रहण के बाद सीएम शिवराज ने ट्वीट कर कहा, ‘सबसे पहली प्राथमिकता कोविड-19 से मुक़ाबला है.बाक़ी सब बाद में…’
सोमवार शाम को विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुना. विधायक दल की बैठक में भाजपा ने महासचिव अरुण सिंह और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को ऑब्जर्वर नियुक्त किया था. दोनों नेता दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक से जुड़े थे. वहीं भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने भी विधानसभा में भी नेता प्रतिपक्ष के पद से भी इस्तीफा दे दिया है.
भोपाल के भाजपा कार्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल के नेता के रुप में प्रस्तावित किया. इसके बाद एक-एक कर विधायकों ने शिवराज सिंह के नाम का समर्थन किया. इसके बाद उन्हें नेता चुन लिया गया.
आप की शुभकामनाओं के लिए हृदय की गहराइयों से धन्यवाद।
मेरी सबसे पहली प्राथमिकता #COVIDー19 से मुक़ाबला है।
बाक़ी सब बाद में…
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 23, 2020
शपथ ग्रहण के बाद सीधे जाऊंगा मंत्रालय: शिवराज
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा, मेरे लिए आज बहुत भावुक पल है. मैं एक कार्यकर्ता के रुप में सालों से कार्य करता रहा हूं. यह इसी पार्टी में हो सकता है कि एक साधारण कार्यकर्ता को एक बड़ा कार्य करने का मौका मिले.प्रदेश के विकास में कोई कसर नहीं छोडूंगा. जाने वाली सरकार सबकुछ तबाक करके गई है.अब हम जन कल्याण का नया इतिहास रचेंगे.
बैठक में कोरोना वायरस को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जश्न मनाने का समय नहीं है. हमे कोरोना के संकट का मुकाबला करना है.
चौहान ने कहा, कोरोना से लड़ने की योजना बनाने के लिए मैं शपथ ग्रहण के बाद वल्लभ भवन मंत्रालय जाऊंगा. हमें इस महामारी से निपटना है.
कांग्रेस सरकार के जनहितैषी कामों को आगे बढ़ाए नई सरकार: कमलनाथ
शपथ ग्रहण के बाद पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान के शपथ लेने पर मै उन्हें बधाई देता हूं.साथ ही उम्मीद करता है कि कांग्रेस सरकार द्वारा विगत 15 माह में शुरू किए गए जनहितैषी कार्यों, निर्णयों व योजनाओं को प्रदेश हित में वे आगे बढ़ाएंगे.’
उन्होंने कहा,’आज से हम सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वहन कर नई सरकार के जनहितैषी कार्यों व निर्णयों में पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे व सरकार के हर कार्य व निर्णय पर निगाह भी रखेंगे.’
कमलनाथ ने कहा,’प्रदेश हित , जनहित , किसान हित के लिये शुरू की गई हमारी किसी भी योजना व निर्णय को राजनैतिक दुर्भावना से यदि रोका गया तो हम उसे सहन नहीं करेंगे व जनता के साथ मिलकर उचित फ़ोरम पर उसका विरोध भी करेंगे.’
चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज
भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्यप्रदेश राज्य की कमान संभाली.पहली बार 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश को राज्य के सीएम बने थे. इसके बाद वे 12 दिसंबर 2008 में सीएम बने थे. वहीं तीसरी बार शिवराज ने 8 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश के सियासी ड्रामे के वो सात किरदार जिन्होंने सत्ता के लिए खेला शह और मात का खेल
शिवराज के चौबी बार सीएम बनने पर मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका होगा कि कोई व्यक्ति कोई चौथी बार राज्य के सीएम पद की शपथ लेगा. शिवराज के पहले अर्जुनसिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन- तीन बार सीएम रह चुके हैं.
भाजपा ने साधा जातिगत समीकरण
भाजपा आलाकमान के सामने शिवराज के नाम सहमति की एक वजह जातिगत समीकरण भी रहा. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव दोनों ही ब्राह्मण है. इसलिए सामान्य वर्ग के सीएम पद के लिए संभावित उम्मीदवार नरोत्तम मिश्रा और नरेंद्र सिंह तोमर पर नाम मुश्किल ही था. शिवराज सिंह ओबीसी वर्ग से आते है. ऐसे में जातिगत समीकरण से शिवराज की राह फिर से आसान कर दी.
मध्यप्रदेश में मामा के नाम से लोकप्रिय है शिवराज
शिवराज सिंह की लोकप्रियता इस कदर है कि उन्हें राज्य की जनता मामा कहकर बुलाती है. वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव भी शिवराज के नेतृत्व में ही लड़ा गया था. लेकिन पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन वोट का प्रतिशत में कमी नहीं आई थी.
पहली परीक्षा फ्लोर टेस्ट और उपचुनाव में जीत हासिल करना
मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद सबसे पहले शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा में बहुमत परीक्षण से गुजरना पड़ेगा. मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटे है. दो विधायकों के निधन के चलते दो सीटे खाली हो गई है. वहीं सिंधिया के समर्थक 22 विधायक और मंत्री के इस्तीफे के बाद अब 24 सीटें खाली हो गई है. इन सभी 24 सीटों पर छह माह के भीतर आम चुनाव होंगे. इस पर भाजपा को ज्यादा सीटें हासिल करना बड़ी चुनौती होगी.
वर्तमान में भाजपा के पास 106 विधायक है. अगर 4 निर्दलीय विधायक भी भाजपा को समर्थन देते हैं तो भाजपा का आंकड़ा 110 हो जाएगा. इस स्थिति में 24 सीटों पर उपचुनाव होने से भाजपा को बहुमत के लिए 7 और सीटों की जरुरत होगी. अगर निर्दलीय विधायक भाजपा का साथ नहीं देते है तो उपचुनाव में पार्टी को कम से कम 9 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी.
कमलनाथ सरकार के सिर्फ 15 महीने में गिर जाने की एक वजह शिवराज की लोकप्रियता भी रही है. मध्य प्रदेश में आने वाले उपचुनाव में शिवराज से बड़ा भाजपा के पास कोई अन्य चेहरा नहीं है.
सिंधिया ने बिगाड़ा कमलनाथ का खेल
राज्य की कमलनाथ सरकार उस समय संकट में आ गई थी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस ने पार्टी छोड़ दी. वहीं सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री भी बेंगलुरु चले गए थे. सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छा गए थे.
यह भी पढ़ें: फ्लोर टेस्ट से पहले कमलनाथ का इस्तीफा, बोले- एक महाराजा और उनके 22 साथियों ने मिलकर रची साजिश
इसके बाद भाजपा कमलनाथ सरकार के बहुमत साबित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करें. कोर्ट के आदेश के बाद स्पीकर ने सभी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिया था. वहीं राज्य विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले ही कमलनाथ ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.
किसान पुत्र से सीएम तक ऐसा रहा सफर
भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान एक किसान परिवार आते है.उनका जन्म 5 मार्च 1959 में सिहोर जिले के जैत गांव में हुआ. शिवराज ने 1992 में साधना सिंह से शादी की. उनके कार्तिकेय सिंह चौहान और कुणाल सिंह चौहान बेटे है.
शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के बरकतुल्ला विश्वविद्यालय से दर्शशास्त्र में गोल्ड मेडल हासिल किया था. वे छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे है. वे महज 13 साल की उम्र से ही संघ से जुड़ गए थे. 1977 में आरएसएस से जुड़े और सक्रियता के साथ संगठन में काम किया. लंबे समय तक उन्होंने एबीपीवी के लिए काम भी किया. पहली बार 1990 में सिहोर जिले की बुधनी सीट से विधायक चुने गए.
पांच बार लोकसभा सांसद रहे है. वे लोकसभा में कई महत्वपूर्ण समितियों में भी रहे है. वहीं 2000 से 2003 तक भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे है. फिल्हाल वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है.
आंकड़े गलत है भाजपा के पास 104 विधायक है पहले 106 थे २ की मृत्यु हो गई उन पर भी उपचुनाव होना है