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Friday, 3 May, 2024
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‘तीर-कमान’ भले न हो, 3 नवंबर के उपचुनाव के लिए ‘ठाकरे ब्रांड सहानुभूति’ से लैस है शिवसेना

उद्धव के विश्वासपात्रों को लगता है कि वे अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव में बिना पार्टी चिन्ह के भी जीत सकते हैं. वैकल्पिक चुनाव चिन्ह के विकल्प पर चर्चा के बाद फैसला किया जाएगा.

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मुंबई: चुनाव आयोग द्वारा शनिवार को शिवसेना के ‘तीर-कमान’ चिह्न को सील करने के कुछ ही समय बाद उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद सहयोगी मिलिंद नार्वेकर ने एक खतरनाक बाघ की तस्वीर ट्वीट की और इसे कैप्शन दिया: ‘आमचे चिन्हा श्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे.

आगामी 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव, पार्टी में विभाजन के बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना के लिए पहली बड़ी परीक्षा होगी. नेता ‘ठाकरे ब्रांड’ और जनता की सहानुभूति पर भरोसा कर रहे हैं.

शिवसेना एमएलसी मनीषा कायंडे ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस चुनाव के लिए हमने भले ही चुनाव चिन्ह खो दिया हो, लेकिन सभी प्रचार सामग्री, होर्डिंग्स और पोस्टरों में हमारे पास उद्धवजी का चेहरा होगा, ‘ठाकरे ब्रांड’ होगा. वे इसे हमसे छीन नहीं ले सकते.’

कायंडे ने कहा, ‘चुनाव आयोग का आदेश मैच फिक्सिंग जैसा था… हमारे लिए भारी सहानुभूति की लहर है. इसे सिर्फ वोटों में बदलना है.’

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चुनाव आयोग ने शनिवार को एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए ‘तीर-कमान’ के प्रतीक को फ्रीज कर दिया गया था. उद्धव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के ये दोनों गुट अंधेरी पूर्व उपचुनाव का हवाला देते हुए इसे अपनाने के लिए लड़ रहे थे.

अंधेरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र में शिवसेना के विधायक रमेश लटके का जून में पार्टी के विभाजन से पहले दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. इसके बाद से यह सीट खाली है.

उद्धव गुट ने उनकी पत्नी रुतुजा लटके को मैदान में उतारा है. उन्हें पूर्व महा विकास अघाड़ी गठबंधन सहयोगियों, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त है.

वह भारतीय जनता पार्टी के मुर्जी पटेल से भिड़ेंगी, जो एकनाथ शिंदे के शिवसेना धड़े के सत्तारूढ़ गठबंधन का चेहरा है.

उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के आदेश पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के साथ एक तस्वीर साझा की है. उसमें कैप्शन लिखा है, ‘जिनकुन दखवनराच (हम निश्चित रूप से जीतेंगे).’


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‘बस नाम ही काफ़ी है’

शिवसेना विधायक राजन साल्वी ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना के साथ हैं और कोंकण में राजापुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कहा कि आम शिवसैनिक के लिए तीर-कमान का चिह्न अहम था, लेकिन पार्टी इसके बिना चुनाव जीत सकती है.

साल्वी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ग्राम पंचायत चुनाव में कोई चुनाव चिह्न नहीं होता. हमारे पास सिर्फ शिवसेना समर्थित पैनल और प्रचार सामग्री है जिसमें उद्धवसाहेब, आदित्यसाहेब, बालासाहेब के नाम और चेहरे शामिल हैं. ग्रामीण मतदाता अभी भी जानता है कि यह शिवसेना है. कोंकण में हमने ऐसे कई ग्राम पंचायत चुनाव जीते हैं. शहरी उपचुनाव में अनुभव अलग नहीं होगा’

रविवार की सुबह साल्वी ने उद्धव ठाकरे के साथ शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की तस्वीर के सामने खड़े होकर अपनी एक तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा, ‘बस नाम ही काफ़ी है.’

साल्वी ने कहा, ‘इस उपचुनाव में लड़ाई भाजपा के खिलाफ है. सभी जानते हैं कि चुनाव आयोग का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण रहा. ठाकरे परिवार, शिवसेना और रमेश लटके के लिए मतदाताओं के बीच भारी सहानुभूति है, जो यह सब शुरू होने से पहले ही गुजर गए.’

शिवसेना नेताओं में हड़कंप

उद्धव ठाकरे ने पार्टी के लिए अगले कदम और संभावित प्रतीकों को तय करने के लिए रविवार दोपहर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई.

शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘किसी स्तर पर उद्धवसाहेब इसकी उम्मीद कर रहे थे. उन्होंने दो महीने पहले हमें बताया था कि उन्होंने एक वैकल्पिक प्रतीक के बारे में सोचा है.’

शिवसेना नेता अनिल देसाई ने कहा, ‘मुंबई और महाराष्ट्र से शिवसेना के सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारी इस बैठक में शामिल होंगे और वैकल्पिक चुनाव चिन्ह के विकल्प पर चर्चा के बाद फैसला किया जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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