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Tuesday, 9 December, 2025
होमराजनीति'नागरिकता मिलने के बाद ही उन्होंने वोट दिया': प्रियंका ने कोर्ट के नोटिस के बाद सोनिया का किया बचाव

‘नागरिकता मिलने के बाद ही उन्होंने वोट दिया’: प्रियंका ने कोर्ट के नोटिस के बाद सोनिया का किया बचाव

अब मामला 6 जनवरी के लिए सूचीबद्ध है, जब सेशंस कोर्ट मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायत को प्रारंभिक स्तर पर खारिज करने के आदेश को चुनौती देने की सुनवाई जारी रखेगा.

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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने मंगलवार को अपनी मां सोनिया गांधी पर लगे उन आरोपों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया है कि नागरिकता मिलने से पहले ही उनका नाम वोटर लिस्ट में था. प्रियंका गांधी ने इसे “पूरी तरह झूठ” बताया.

यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने तभी वोट डाला जब वह नागरिक बनीं.

प्रियंका गांधी ने कहा, “क्या उनके पास कोई सबूत है? यह पूरा झूठ है. उन्होंने तभी वोट डाला जब वह भारत की नागरिक बनीं. मुझे समझ नहीं आता कि वे उनके पीछे क्यों पड़े हैं, जबकि वह 80 साल की होने वाली हैं. उन्होंने पूरा जीवन देश की सेवा में लगा दिया. अब उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें ऐसे आरोपों से दूर रखना चाहिए.”

मंगलवार को राउज़ एवेन्यू स्थित सेशंस कोर्ट ने 1980-81 की मतदाता सूची में सोनिया गांधी के नाम की कथित गलत प्रविष्टि को लेकर मजिस्ट्रेट के सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली रिविजन याचिका पर सुनवाई करते हुए सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया.

सेशंस जज विशाल गोगने ने रिविजनिस्ट की ओर से प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद यह निर्देश दिया.

रिविजनिस्ट विकास त्रिपाठी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने दलील दी कि रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से यह मामला दोबारा विचार योग्य है क्योंकि इससे स्पष्ट होता है कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिक बनने से पहले ही मतदाता सूची में दर्ज किया गया था.

उन्होंने कहा कि “कुछ दस्तावेज़ों को जाली या गलत तरीके से तैयार किया गया होगा ताकि 1980 की वोटर लिस्ट में नाम डाला जा सके”. उन्होंने कहा कि बाद में उनका नाम हटाया गया और फिर 1983 में दोबारा शामिल किया गया, वह भी जनवरी 1983 में दाखिल आवेदन के आधार पर, और ये दोनों घटनाएं उनके नागरिक बनने से पहले हुईं.

नारंग ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सिर्फ भारतीय नागरिक को ही मतदाता सूची में दर्ज किया जा सकता है और इसलिए ये प्रविष्टियां न्यायिक जांच का विषय हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि प्रारंभिक शिकायत एक लेख में प्रकाशित वोटर लिस्ट की क्लिपिंग्स पर आधारित थी, लेकिन अब रिविजनिस्ट ने चुनाव आयोग से प्रमाणित प्रतियां हासिल कर ली हैं जो रिकॉर्ड में शामिल कर दी गई हैं.

दलीलें सुनने के बाद जज गोगने ने दोनों पक्षों, जिनमें सोनिया गांधी भी शामिल हैं, को नोटिस जारी किया.

राज्य की ओर से अभियोजक ने नोटिस स्वीकार किया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि रिविजन में उठाए गए मुद्दों की पूरी जांच के लिए ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (TCR) मंगाया जाए.

अब मामला 6 जनवरी के लिए सूचीबद्ध है, जब सेशंस कोर्ट मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायत को प्रारंभिक स्तर पर खारिज करने के आदेश को चुनौती देने की सुनवाई जारी रखेगा.

यह रिविजन याचिका अधिवक्ता विकास त्रिपाठी द्वारा दायर शिकायत से उत्पन्न हुई है, जिसे मजिस्ट्रेट ने प्रारंभिक स्तर पर ही यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें कानूनी आधार नहीं है और यह केवल 1980 के वोटर रिकॉर्ड की अप्रमाणित फोटोकॉपी पर आधारित है. मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा था कि नागरिकता और वोटर लिस्ट से जुड़े प्रश्न पूरी तरह केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और इन्हें किसी आपराधिक शिकायत के माध्यम से तय नहीं किया जा सकता.


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