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Sunday, 22 December, 2024
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‘राजनीतिक बदला’, शरद पवार के पोते ने उनकी कंपनी के खिलाफ हुई कार्रवाई के लिए शिंदे सरकार की आलोचना की

एनसीपी विधायक रोहित पवार चीनी, चावल, इथेनॉल के निर्यातक और घरेलू आपूर्तिकर्ता बारामती एग्रो के सीईओ हैं. महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कथित तौर पर उनकी एक इकाई को बंद करने का नोटिस दिया है.

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मुंबई: महाराष्ट्र सरकार की एक इकाई ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक शरद पवार के पोते रोहित पवार के स्वामित्व और नेतृत्व वाले कृषि व्यवसाय समूह बारामती एग्रो लिमिटेड के खिलाफ गुरुवार सुबह 2 बजे कथित तौर पर कार्रवाई की. रोहित ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें राजनीतिक तौर पर निशाना बनाया जा रहा है.

अहमदनगर जिले के कर्जत जामखेड विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोहित ने यह नहीं बताया कि कथित कार्रवाई किस लिए थी या किस विभाग ने इसे शुरू किया था. उन्होंने यह भी नहीं बताया कि कंपनी के खिलाफ क्या कथित कार्रवाई की गई.

हालांकि, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के एक नेता, जो रोहित के करीबी माने जाते हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि यह कार्रवाई “महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) द्वारा की गई थी”, जिसने कथित तौर पर बारामती एग्रो यूनिट को 72 घंटे में बंद करने का नोटिस दिया है.

एमपीसीबी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले राज्य पर्यावरण विभाग के अंतर्गत आता है.

सरकार की ओर से कथित कार्रवाई की कोई पुष्टि नहीं की गई है.

रोहित चीनी, चावल और इथेनॉल के निर्यातक और घरेलू आपूर्तिकर्ता बारामती एग्रो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं.

इस साल जुलाई में एनसीपी में विभाजन के बाद – जब शरद के भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व में पार्टी के अधिकांश विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने के लिए शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के खिलाफ विद्रोह कर अलग हो गए थे. जिसके बाद रोहित की शरद पवार खेमे के भीतर उनकी शक्ति बढ़ी है.

उनके समर्थक रोहित को महाराष्ट्र का “भावी सीएम” बताते हुए पोस्टर भी लगा रहे हैं.

रोहित ने आरोप लगाया है कि बारामती एग्रो के खिलाफ “कार्रवाई” सत्तारूढ़ दलों के “दो वरिष्ठ नेताओं” के इशारे पर की गई थी, हालांकि उन्होंने किसी का नाम लेने से इनकार कर दिया.

रोहित ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “राज्य के दो बड़े नेताओं के अनुरोध पर, आज सुबह दो बजे राज्य सरकार के एक सरकारी विभाग द्वारा मेरी कंपनी के एक विभाग के खिलाफ कार्रवाई की गई. मेरे बोलने के कारण मुझे परेशानी में डालने की कोशिश की जा रही है. लेकिन मुश्किलें आने से संघर्ष नहीं रुकता….”

उन्होंने कहा, ‘नफरत की यह राजनीति आज की पीढ़ी के लिए उपयुक्त नहीं है. मेरी कंपनी के कर्मचारियों और मेरे परिवार को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम सच्चाई के साथ हैं और यह कार्रवाई केवल राजनीतिक बदला लेने के लिए है.

दिप्रिंट ने फोन और टेक्स्ट संदेश के जरिए टिप्पणी के लिए रोहित से संपर्क किया है. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी. दिप्रिंट ने फोन और टेक्स्ट संदेश पर टिप्पणी के लिए राज्य पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीण दराडे से भी संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशन के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलते ही लेख को अपडेट कर दिया जाएगा.

हालांकि, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के प्रवक्ता महेश तापसे ने एक बयान में कहा, “शिंदे सरकार रोहित पवार से डरती है क्योंकि वह पूरे महाराष्ट्र में राष्ट्रीय नेता शरद पवार के प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष आदर्शों का उत्साहपूर्वक समर्थन करते हैं… रोहित के खिलाफ हालिया कार्रवाई पवार का व्यवसाय अपनी सरकार की गिरती लोकप्रियता पर भाजपा की बढ़ती चिंता का संकेत है.

इस बीच, शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना के प्रवक्ता शीतल म्हात्रे ने दिप्रिंट से कहा कि विपक्षी नेताओं द्वारा उनके द्वारा कथित गलत कामों के खिलाफ कार्रवाई को सत्तारूढ़ दलों की राजनीतिक साजिश के रूप में बात करना अनुचित है.

म्हात्रे ने कहा, “अगर कुछ गलत है, और सरकार ने इसके खिलाफ कार्रवाई की है, तो समस्या क्या है? ऐसा सिर्फ रोहित पवार के साथ नहीं है, शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता भी यह दावा करके लोगों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके द्वारा की गई अनियमितताओं की जांच सिर्फ उन्हें राजनीतिक रूप से निशाना बनाने के लिए है. ”

उन्होंने कहा, “अगर किसी को लगता है कि कोई कार्रवाई अनुचित है, तो वे अदालत में जाकर लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं.”


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बारामती एग्रो के खिलाफ पिछली कार्रवाई

रोहित का पहले भी शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के साथ मतभेद रहा है.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था, पिछले साल, भाजपा एमएलसी राम शिंदे, जो कर्जत जामखेड से 2019 का विधानसभा चुनाव रोहित से हार गए हैं, ने राज्य चीनी आयुक्त से शिकायत की थी कि बारामती एग्रो ने राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन करते हुए 10 अक्टूबर को चीनी पेराई शुरू कर दी थी.

शिंदे की शिकायत के अनुसार, राज्य कैबिनेट ने सितंबर 2022 में फैसला किया था कि 2022-23 के लिए चीनी पेराई सीजन 15 अक्टूबर से शुरू होगा और सरकार इस समयसीमा का पालन नहीं करने वाली फैक्टरियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करेगी.

बारामती एग्रो के कार्यकारी निदेशक सुभाष गुलावे ने बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर शिकायत के आधार पर कंपनी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की.

गुलावे ने दावा किया कि चीनी आयुक्त ने बारामती एग्रो के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक विशेष लेखा परीक्षक नियुक्त किया था और उन्हें कोई अनियमितता नहीं मिली.

उनकी याचिका के अनुसार, इस ऑडिटर को निलंबित कर दिया गया और उसके स्थान पर एक नए को नियुक्त किया गया. उन्होंने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट कंपनी के साथ साझा नहीं की गई थी, जिसे इस साल मार्च में कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद ही इसकी सामग्री के बारे में पता चला.

जुलाई में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एफआईआर के आधार पर आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

(अनुवाद/ पूजा मेहरोत्रा)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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