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Friday, 10 May, 2024
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‘मेरी लड़ने की 1 % भी इच्छा नहीं’, विजयवर्गीय बोले- मैं बड़ा नेता हूं, हाथ जोड़े कहां यहां वहां घूमूंगा

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की दूसरी सूची ने कुछ नेताओं को परेशान कर दिया है. सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला टिकट कटने से नाराज हैं.

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भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची ने पार्टी में हलचल पैदा कर दी है. राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव लड़ने की अनिच्छा के साथ सार्वजनिक रूप से कहा, “अब बड़े नेता हो गए हैं, हाथ-वाथ जोड़ने कहां जाएंगे.”

इस बीच, सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला ने टिकट दिए जाने से इनकार किए जाने पर नाराजगी जताई है और उनकी जगह सीधी की सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारने के अपनी पार्टी के फैसले पर सवाल उठाया है. उनका दावा है कि पाठक का सीधी निर्वाचन क्षेत्र में कोई आधार नहीं है और उन्होंने 100 रुपये का भी काम नहीं किया है. शुक्ला जुलाई में एक बड़े विवाद घिर गए थे जब एक वीडियो क्लिप वायरल हो गई थी, जिसमें उनके सहयोगी प्रवेश शुक्ला एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब कर रहे थे.

भाजपा द्वारा उन्हें इंदौर-1 सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद, विजयवर्गीय ने मंगलवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहा, “मेरी लड़ने की 1 प्रतिशत भी इच्छा नहीं है.”

भाजपा ने सोमवार रात 39 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची घोषित की थी, जो मुख्य रूप से उन सीटों पर थी जो 2018 के विधानसभा चुनावों में हार गई थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य में 18 वर्षों तक शासन करने के बाद, पार्टी ने अपने राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय – जो मालवा क्षेत्र के एक प्रभावशाली नेता हैं – को इंदौर-1 से और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, एक मजबूत ठाकुर चेहरे हैं उन्हें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में दिमनी से मैदान में उतारा है.

खाद्य प्रसंस्करण और जल शक्ति राज्य मंत्री (MoS) प्रह्लाद सिंह पटेल, एक प्रमुख ओबीसी नेता, बुंदेलखण्ड क्षेत्र के नरसिंहपुर से चुनाव लड़ेंगे, और इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते – भाजपा का सबसे मजबूत आदिवासी चेहरा – मंडला जिला के निवास जो महाकोशल क्षेत्र में आता है से चुनाव लड़ेंगे.

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सूची में चार अन्य लोकसभा सांसद भी शामिल हैं. पूर्व राज्य भाजपा प्रमुख राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से टिकट दिया गया है, रीति पाठक को सीधी से जबकि उदय प्रताप सिंह को नरसिंहपुर के गाडरवारा से टिकट दिया गया है.

सोमवार रात सूची सामने आते ही विजयवर्गीय ने आश्चर्य जताया. एक दिन बाद उन्होंने कहा कि उनकी चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है.


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‘नेतृत्व को जांच करनी चाहिए कि उन्हें गलत फीडबैक किसने दिया’

भाजपा नेता ने मंगलवार को इंदौर में पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से बात करते हुए कहा, “मैं अंदर से खुश नहीं हूं, क्योंकि मेरे लड़ने की इच्छा ही नहीं है. 1 प्रतिशत भी इच्छा नहीं है. चुनाव लड़ने की एक मानसिकता होती है. अब बड़े नेता हो गए हैं हाथ वाथ जोड़ने कहां जाएंगे. तो भाषण देना और निकल जाना यही सोचा था.

उन्होंने कहा: “हमने तो योजना भी बनाई थी कि रोज़ 8 सभा करनी है शुद्ध चुनाव है. पर आप जो सोचते हैं वो होता कहां है, जो ऊपर वाला चाहता है वही होता है.

हालांकि, मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, विजयवर्गीय ने कहा कि यह सभी नेताओं को जमीन पर लाने की गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति थी और उन्होंने दावा किया कि यह कांग्रेस द्वारा बनाई गई कहानी जिसमें वो कह रहे हैं कि वो जीत रहे हैं को तोड़ देगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से लाभ मिलेगा और पार्टी मध्य प्रदेश में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने की ओर बढ़ रही है.

हालांकि, वह अपने बेटे आकाश को टिकट नहीं मिलने की संभावना से नाखुश दिखे. “किसी को ठीक से चलना आना चाहिए क्योंकि बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जो किसी को भी कभी भी दौड़ा सकती है. मैं बहुत संशय में था और जानता था कि पार्टी मुझे और आकाश दोनों को टिकट नहीं देगी. जब आकाश ने अपनी मेहनत से शहर में अपनी जगह बनाई है तो मैं चुनाव क्यों लड़ूं? मेरी वजह से उनकी राजनीति पर असर नहीं पड़ना चाहिए. एक पिता के तौर पर मेरे मन में यही चल रहा था, लेकिन आख़िरकार पार्टी का आदेश ही अंतिम होता है.”

इस बीच, बुधवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, सीधी से चार बार के मौजूदा विधायक केदारनाथ शुक्ला ने उनकी जगह रीति पाठक को मैदान में उतारने के फैसले पर सवाल उठाया: “वह न केवल हार जाएंगी बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हो जाएगी. हाईकमान को इस बात की जांच करनी चाहिए कि सीधी से उम्मीदवार के रूप में उनका नाम प्रस्तावित करते समय उन्हें गलत फीडबैक किसने दिया.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह प्रवेश शुक्ला (पेशाब करने) की घटना थी जिसके कारण भाजपा आलाकमान ने फैसला लिया, केदारनाथ ने कहा, “कोई मेरी पीठ पीछे क्या करता है, इसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है? अब अगर राहुल गांधी दिन-रात अडाणी-अडाणी चिल्लाते हैं, तो क्या इसका नरेंद्र मोदी पर कोई असर पड़ता है?’

केदारनाथ शुक्ला की टिप्पणी पर रीति पाठक ने दिप्रिंट से कहा, “उन्होंने मेरी नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व की योग्यता पर सवाल उठाया है. देश को चलाने वाले लोग विधानसभा के टिकट को लेकर गलत हो सकते हैं? क्या वह यही कहना चाह रहे हैं?”

रीति पाठक को सीधी से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद, भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश मिश्रा, जो जनसंघ के दिनों से भाजपा के साथ थे और एक बार जिला अध्यक्ष रह चुके हैं, ने भी पार्टी सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया.

राजेश मिश्रा के इस्तीफे पर टिप्पणी करते हुए, केदारनाथ शुक्ला ने कहा, “यह राजेश मिश्रा और उनके परिवार ने ही प्रवेश शुक्ला के पेशाब का वीडियो इस उम्मीद से प्रसारित किया था कि इससे मेरा टिकट कट जाएगा और मेरी जगह उन्हें टिकट दे दिया जाएगा. लेकिन रीति पाठक को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और अब उनके बेटे की नजर कांग्रेस से टिकट पर है.’

हालांकि, राजेश मिश्रा के बेटे अनूप ने पहले दिप्रिंट से बात करते हुए इन सभी आरोपों से इनकार किया था.

शुक्ला ने यह भी दावा किया कि उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है और वह 2 अक्टूबर तक अपना अंतिम निर्णय घोषित करेंगे.

(अनुवाद: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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