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Friday, 10 May, 2024
होमराजनीतिबिहार चुनावकांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा- बीजेपी चाहती है कि ‘चिराग’ उसका घर रोशन करे, लेकिन जेडी(यू) का जला दे

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा- बीजेपी चाहती है कि ‘चिराग’ उसका घर रोशन करे, लेकिन जेडी(यू) का जला दे

दिप्रिंट को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में, कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, बीजेपी-जेडी(यू) के ‘ठग-बंधन’ को लेकर, उस पर तीखा प्रहार करते हैं, और कहते हैं कि ‘चाणक्य की धरती’ सभी जनमत सर्वेक्षणों को ग़लत साबित करेगी.

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नई दिल्ली: बीजेपी, एक ओर तो ये चाहती है कि चिराग पासवान, उसके सहयोगी जनता दल (युनाइटेड) का घर जला दें, और दूसरी ओर ये चाहती है, कि असदुद्दीन ओवैसी धर्म निर्पेक्ष वोटों में सेंध लगाएं- तीन चरणों के बिहार विधान सभा चुनाव शुरू होने से तीन दिन पहले, ऐसा कहना है कांग्रेस पार्टी के शक्ति सिंह गोविल का.

सोमवार को दिप्रिंट को दिए एक ख़ास ज़ूम इंटरव्यू में, कांग्रेस के बिहार प्रभारी ने बीजेपी की अगुवाई वाले, नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की ये कहते हुए तीखी आलोचना की, कि ये ‘गठबंधन’ नहीं बल्कि एक ‘ठग बंधन’ है.

गोहिल ने कहा ‘बीजेपी के एक हाथ में चिराग है, जिससे वो अपना घर रोशन करना चाहती है, जेडी(यू) का घर जलाना चाहती है, और साथ ही चिराग (पासवान) को भी ख़त्म करना चाहती है’.

गोहिल, पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) द्वारा, जेडी(यू) की लगातार आलोचना के साथ ही, बार बार बीजेपी की हिमायत की ओर इशारा कर रहे थे. पासवान, जो अक्तूबर के शुरू में एनडीए से बाहर आ गए थे, एलजेपी समर्थकों से अनुरोध कर रहे हैं, कि जहां-जहां पर उनकी पार्टी मैदान में नहीं है, वहां वो बीजेपी को वोट दें. लेकिन वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं, जो इस बार भी बीजेपी-जेडी(यू) के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं.

गोहिल ने कहा, ‘अगर चिराग एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, तो पीएम मोदी उन्हें हटा क्यों नहीं देते, उनसे दूसरी क्यों नहीं बनाते? अगर आप सही हैं, तो चिराग को पूरी तरह बाहर कर दीजिए, लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे’.

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चिराग ने पिछले हफ्ते कहा था, कि वो नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’ हैं, और प्रधानमंत्री उनके दिल में रहते हैं.

गोहिल ने कहा, ‘पर बीजेपी उसी हनुमान की पूंछ में आग लगाकर, किसका घर फूंकना चाहती है? ये जनता है, सब जानती है’.

गोहिल ने बिहार चुनाव लड़ने और सेकुलर वोट काटने के लिए, ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख, असदुद्दीन ओवैसी की भी तीखी आलोचना की.

गोहिल ने कहा, ‘बीजेपी के दूसरे हाथ में ओवैसी रूपी पेट्रोल पंप है…जो सेकुलर लीडर को बीजेपी ख़त्म नहीं कर सकती, उसे ओवैसी ख़त्म कर देता है’.

उन्होंने महाराष्ट्र कांग्रेस नेता मोहम्मद आरिफ नसीम ख़ान की मिसाल दी, जो 2019 के प्रदेश चुनावों में एक सीट पर शिवसेना से हार गए.

गोहिल ने दावा किया, ‘नसीम ख़ान एक अच्छे उम्मीदवार थे, और बीजेपी जानती थी कि वो उन्हें हरा नहीं पाएगी. लेकिन ओवैसी को खड़ा करवाकर, उसने नसीम की हार पक्की करा दी’.

बिहार में मतदान 28 अक्तूबर से शुरू होगा, जबकि मतों की गिनती का काम 10 नवंबर को तय है.


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‘राहुल ने चीन की बात की, क्योंकि वो मुद्दा बिहार की भावनाओं से जुड़ा है’

विपक्षी महागठबंधन के बिहारी नेता, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, अभी तक ये कह रहे थे, कि उनकी रणनीति राज्य के स्थानीय मुद्दों पर फोकस करना है, ना कि चीन से तनाव जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर. ये इसके बावजूद था कि एनडीए ने कई मौक़ों पर, भारत-चीन गतिरोध की बात उठाई थी.

पिछले हफ्ते एक चुनावी रैली में, पीएम ने ‘बिहार के सुपुत्रों’ -बिहार रेजिमेंट के सैनिकों- को श्रद्धांजलि पेश की, जो जून में गलवान घाटी की झड़प में मारे गए थे.

गोहिल ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था, कोरोनावायरस, या प्रवासी संकट की बात करके, वो बार बार राज्य के मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते हैं, लेकिन बिहार के लोग स्मार्ट हैं, वो उनकी बातों में नहीं आएंगे’.

लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी पहली रैली में, इस रणनीति को तोड़ दिया, जो मोदी की रैली दिन ही हुई थी. उन्होंने सैनिकों की मौत पर मोदी से सवाल किए. ये पूछे जाने पर कि राहुल गांधी ने चीन को प्रचार का मुद्दा क्यों बनाया, गोहिल ने कहा कि ये मामला ‘बिल्कुल राज्य का विषय है’.

‘उन्होंने किसी और चीज़ पर नहीं, बस बिहार रेजिमेंट के मारे गए सैनिकों पर बात की. ये एक ऐसा विषय है जो बिहार के लोगों के दिल के क़रीब है’.

गोविल ने कहा,‘जब सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, तो पीएम मोदी ने एक ऐसा बयान दिया, जिससे चीन की ही मदद हुई. उन्होंने कहा कि भारत के भीतर कोई चीनी सैनिक नहीं हैं. ज़ाहिर है, ये एक ऐसा बयान है, जिसने बिहार के लोगों को आहत किया है, इसलिए इसपर बात होनी चाहिए’.

‘चाणक्य की धरती ने पहले भी सभी जनमत सर्वेक्षणों को ग़लत साबित किया है’

सभी प्रमुख ओपीनियन पोल्स ने बिहार चुनावों में, एनडीए की बढ़त की भविष्यवाणी की है, लेकिन ने कहा कि ऐसे पोल ‘चाणक्य की धरती पर ग़लत साबित हुए हैं’.

‘2015 के बिहार चुनावों में, सभी ओपीनियन पोल्स ने भविष्यवाणी की थी, कि एनडीए को दो तिहाई बहुमत मिलेगा. अस्ली नतीजे बिल्कुल अलग थे. ये चाणक्य की धरती है…सभी जनमत सर्वेक्षण फिर से ग़लत साबित होंगे’.

10 अक्तूबर से 17 अक्तूबर के बीच किए गए, लोकनीति-सीएसडीएस ओपीनियन पोल में भविष्यवाणी की गई, कि वोटों के बंटवारे में एनडीए को, महागठबंधन पर 6 प्रतिशत की बढ़त रहेगी- 38 प्रतिशत बनाम 32 प्रतिशत.

एबीपी ओपीनियन पोल ने महागंठबंधन में, आरजेडी को 56-64 सीटें दीं, जबकि कांग्रेस के 12-20 सीटें जीतने की बात कही गई.

गोहिल ने इस धारणा को ख़ारिज किया कि कांग्रेस, महागठबंधन के कुल वोट शेयर को गिरवा सकती है, लेकिन उन्होंने ये ज़रूर माना, कि कांग्रेस को वो सीटें नहीं मिलीं, जो वो चाहती थी.

गोहिल का कहना था, ‘ये सही है कि हमें वो सभी सीटें नहीं मिलीं, जो हम चाहते थे. लेकिन ये दिलों का मिलन है, दलों का मिलन नहीं. यही वजह है कि अपनी पसंद की सभी सीटें न मिलने के बावजूद, मुझे यक़ीन है कि महागठबंधन अच्छा प्रदर्शन करेगा’.

सभी जनमत सर्वेक्षणों ने बिहार में, एक मज़बूत नीतीश-विरोधी लहर की भविष्यवाणी की है, लेकिन कांग्रेस शायद उस लहर पर सवार नहीं हो पाएगी, चूंकि 243 सदस्यीय विधान सभा में, जिन सीटों पर कांग्रेस लड़ रही है, उनमें से आधी से अधिक (37) पर उसका मुक़ाबला, जेडी(यू) से न होकर बीजेपी से है.

इसके जवाब में गोहिल ने कहा कि ‘लोग जेडी(यू)-बीजेपी के गठबंधन को अच्छे से समझते हैं’.


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मुसलमानों, दलितों और ऊंची जातियों का प्रतिनिधित्व

कांग्रेस के टिकट वितरण के पीछे की सोच पर बात करते हुए गोहिल ने कहा, कि पार्टी ने एक ‘संतुलन बनाने’ की कोशिश की है.

कांग्रेस जिन 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसमें से 12 पर उसने मुसलमान उम्मीदवार खड़े किए हैं, जो कि विधानसभा चुनाव लड़ रहीं सभी पार्टियों के बीच, मुसलमान उम्मीदवारों का सबसे अधिक (17) प्रतिशत है. मुसलमान बिहार की कुल आबादी का क़रीब 17 प्रतिशत हैं, और एक मज़बूत वोट बैंक हैं.

इसके अलावा, पार्टी ने 14 दलित, 9 अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी), और 33 ऊंची जातियों के उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.

गोहिल ने कहा,‘ये बात याद रखनी चाहिए, कि हम एक गठबंधन के तौर पर लड़ रहे हैं. इसलिए हमें कुछ सीटें ऐसी मिलीं जहां सोशल इंजीनियरिंग बहुत मुश्किल थी, लेकिन सभी पांच पार्टियां एक साथ बैठीं, और ये तय किया कि 243 उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए, कुल मिलाकर हम एक संतुलन सुनिश्चित कर सकते हैं’.

गोहिल ने कहा, ‘हमने ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है, कि पिछड़े, अति पिछड़े (ईबीसी) वर्ग, दलित, मुसलमान, सभी को कुछ प्रतिनिधित्व मिल जाए. हमने ये देखने की भी कोशिश की है, कि युवा उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में हों’.

पार्टी ने, हालांकि, केवल दो ईबीसी प्रत्याशी खड़े किए हैं.

‘राहुल गांधी मोदी नहीं हैं, उनमें नैतिकता है’

गोविल ने गठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार, सहयोगी आरजेडी लीडर तेजस्वी यादव की ख़ुद को, ‘बिहार के बेटे’ के तौर पर स्थापित करने की सराहना की.

गोहिल ने कहा, ‘आरजेडी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है. तेजस्वी यादव उसका मुख्यमंत्री-चेहरा हैं, और हम उनका सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा है कि वो किसी धर्म या जाति को नहीं देखेंगे, बल्कि हर किसी के नेता होंगे’.

गोहिल ने आगे कहा कि महागठबंधन ने सिर्फ ‘किए जाने योग्य’ बातें की हैं, जुमलेबाज़ी नहीं की है.

2015 में तब के बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की उस टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए, जो उन्होंने विदेशों से मिले काले धन से, हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए डालने के, पीएम मोदी के वादे पर की थी, गोहिल ने कहा, ‘बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, कि चुनावी वादे जुमलों की तरह होते हैं, लेकिन हम इस पर विश्वास नहीं रखते. हमने रोज़गार के वादे किए जो मुमकिन हैं’.

इस सवाल पर कि क्या ये चुनाव राहुल गांधी के लिए बहुत अहम हैं, क्योंकि वो पार्टी के स्टार प्रचारक है, गोहिल ने कहा कि राहुल ‘हमेशा पार्टी के लीडर रहेंगे’.

गोहिल ने कहा, ‘मोदी और नैतिकता विपरीत दिशा में चलते हैं. राहुल जी में नैतिकता है, वो ऐसी बात नहीं कहेंगे जो उनका अभिप्राय नहीं है. वो नहीं कहेंगे कि कोरोना 21 दिन में चला जाएगा, और फिर कुछ नहीं करेंगे, या दो करोड़ रोज़गार का वादा करेंगे, और कुछ नहीं करेंगे’.

‘वो पहले भी थे और आगे भी, हमेशा हमारे लीडर रहेंगे’.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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