नई दिल्ली: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि असम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ उठने वाली आवाजों के चलते पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री से 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने घर को संभालने के लिए कहा है. असम में प्रदेश बीजेपी के कई नेता सीएम हिमंत से नाराज चल रहे हैं.
असम में लोकसभा की 14 सीटें हैं और अब आम चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है. इसलिए यह पार्टी के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. मुख्यमंत्री सरमा- जो गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं- को अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. वरिष्ठ बीजेपी नेताओं का कहना है कि सरमा की कार्यशैली और बाकी नेताओं को उचित स्थान नहीं मिलने के चलते पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में काफी नाराजगी देखी जा रही है.
सूत्रों ने कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने असम यूनिट से कई शिकायतें मिलने के बाद सीएम सरमा और पार्टी के अन्य वरिष्ठ सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से पीड़ित नेताओं की बात सुनने का निर्देश दिया है.
इसी क्रम में बीजेपी के असम प्रभारी बैजयंत जय पांडा ने 29 अगस्त को गुवाहाटी में कुछ असंतुष्ट नेताओं के साथ कई बैठकें कीं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि उससे एक दिन पहले, कोर ग्रुप ने पार्टी को परेशान करने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक की थी और फैसला किया था कि असंतुष्ट नेताओं को मनाने के लिए इस सप्ताह एक ‘संपर्क अभियान’ शुरू किया जाएगा.
असम बीजेपी कोर ग्रुप के एक सदस्य ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि नए लोग पार्टी की मूल विचारधारा के बारे में गंभीर नहीं हैं. हालांकि, वे गलत महसूस करते हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम और अन्य से इस पर ध्यान देने को कहा है. हर कोई टिकट के पीछे नहीं है लेकिन उन्हें सम्मान देने की जरूरत है. यह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है जिसने राज्य में पार्टी को सफल बनाया है.”
राज्य इकाई के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है, यह पिछले महीने स्पष्ट हो गया जब नलबाड़ी के पूर्व विधायक अशोक सरमा ने असम में मीडिया से कहा कि पार्टी को “एक नये नेता द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है” और आरोप लगाया कि 2015 में पार्टी में शामिल हुए कुछ लोग साजिश रच रहे हैं. उन्होंने आरोप लगयाा कि पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को भगाने की कोशिश की जा रही है.
हिमंत बिस्वा सरमा ने तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार छोड़ दी थी और 2015 में पार्टी के नौ विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे.
अशोक सरमा ने यह भी कहा कि कांग्रेस को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले अब बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ साजिश रच रहे हैं.
पिछले महीने, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेन गोहेन ने भी नागांव निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन मुद्दे पर मुख्यमंत्री सरमा पर हमला किया था.
फिर, पिछले महीने बीजेपी के किसान मोर्चा महासचिव इंद्राणी तहबिलदार की कथित आत्महत्या ने पार्टी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी पैदा कर दी क्योंकि इसने ‘नौकरियों के बदले नकदी’ घोटाले का भंडाफोड़ कर दिया और पार्टी से जुड़े पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. पिछले सोमवार को बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था.
इस मामले में पूर्व मंत्री सिद्धार्थ भट्टाचार्य का नाम सामने आने के बाद उन्होंने प्रदेश पार्टी अध्यक्ष भाबेश कलिता को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई है. कलिता ने कथित तौर पर पार्टी महासचिव से आरोपों की जांच करने को कहा है.
भट्टाचार्य ने लिखा, “मैं पार्टी के शुरुआती बुरे दिनों से लेकर आज तक निस्वार्थ भाव से पार्टी की सेवा कर रहा हूं, लेकिन पिछले कुछ सालों में मैंने देखा है कि हमें कोई बड़ी जिम्मेदारियां नहीं दी गई हैं. यह दुखद है कि मेरे जैसे वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ पार्टी के भीतर कई साजिशें की जा रही हैं. यह निर्दयी कार्य बीजेपी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग द्वारा किया गया है जो पार्टी की विचारधारा और नीतियों से जुड़े नहीं हैं.”
दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा, “पार्टी के भीतर काफी सुधार की जरूरत है, जो मैंने अपने पत्र में कहा है.”
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता कवीन्द्र पुरकायस्थ ने दिप्रिंट को बताया कि वह हर दिन चल रहे इस अंदरूनी कलह के बारे में सुनकर काफी “दुखी” हैं. उन्होंने कहा कि “इससे पार्टी की छवि खराब होती है. कोई भी फैसला सामूहिक रूप से लिया जाना चाहिए, जैसे हम अटलजी बिहारी वाजपेयी के दिनों में किया करते थे.”
पार्टी को किस समस्या से जूझना पड़ रहा है, इस पर राज्य इकाई के एक पूर्व प्रमुख ने दिप्रिंट से कहा, “समस्या एक पूरा पावर दे देने से है. इसके चलते पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और महासचिव जैसे पद हाशिए पर चले गए हैं. पहले ये दोनों पार्टी की आंख और कान थे. ये नेताओं की बातें सुनते थे. अब हर सीएम दिल्ली मॉडल अपनाना चाहता है (जहां कथित तौर पर सत्ता सिर्फ पीएम मोदी और शाह के पास है). ये अपने प्रतिद्वंद्वियों को टारगेट करते हैं और किसी भी प्रकार के निर्णय में दूसरों को शामिल नहीं करते हैं. किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में दूसरे नेताओं को भी शामिल किया जाना चाहिए.”
यह भी पढ़ें: जब एक अपहरण कांड में अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार करने गई पुलिस उसे पीटने के लिए जूते, बेल्ट उतार दी थी
बीजेपी की छवि पर लगा आघात
हालांकि सरमा ने कोर ग्रुप की बैठक में तहसीलदार की ‘आत्महत्या’ की निष्पक्ष जांच और पार्टी में शामिल किए गए नेताओं कr जांच के लिए एक बेहतर तंत्र बनाने का आश्वासन जरूर दिया होगा, लेकिन पार्टी के कई नेता अभी भी नाराज हैं और इसको लेकर मुखर हैं.
जब गोहेन ने पिछले महीने खाद्य आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, तो उन्होंने दावा किया कि पार्टी ने उनके साथ “विश्वासघात” किया. उन्होंने कहा कि वह इस बात से आहत हैं कि उनकी चिंताओं, जिस पर उन्होंने सरमा के साथ कई बार चर्चा की, “पर कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला”. सरमा को लिखे एक पत्र में, जिसे मीडिया में काफी तेजी से शेयर किया गया था, उन्होंने लिखा: “मुझे लगता है कि मैं पार्टी में अपमानित महसूस कर रहा हूं. मेरे जैसे कई वरिष्ठ नेताओं की बात पार्टी में नहीं सुनी गई. वास्तविक चिंता यह है कि पुराने नेताओं की बात नहीं सुनी नहीं जा रही है.”
गोहेन ने 25 अगस्त को दिल्ली में गृह मंत्री से मुलाकात की और अपने नागांव निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन का मुद्दा उठाया. उन्होंने बीजेपी नेतृत्व को बताया कि परिसीमन के बाद यह निर्वाचन क्षेत्र बीजेपी के लिए जीतना मुश्किल हो गया है. नागांव सीट मूल असमिया लोगों के प्रभुत्व वाले नौ विधानसभा क्षेत्र शामिल थे. परिसीमन के बाद इनमें से चार को काजीरंगा लोकसभा सीट के अंतर्गत डाल दिया गया है.
उन्होंने सरमा के मंत्री जयंत मल्लबारुआ द्वारा कथित तौर पर उन पर निशाना साधते हुए की गई टिप्पणी के बारे में भी बात की. मल्लाबारुआ ने पिछले महीने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि राजेन गोहेन जैसे वरिष्ठ नेताओं को अब रिटायर हो जाना चाहिए और अपने पोते-पोतियों के साथ खेलना चाहिए. बाद में उन्होंने फेसबुक पर फिर लिखा कि उनकी टिप्पणियां केवल एक व्यक्ति के लिए थीं.
दिप्रिंट से बात करते हुए, गोहेन ने कहा, “मैंने गृह मंत्री को स्थिति से अवगत कराया है. उन्होंने सारी बाते धैर्यपूर्वक सुनी. मुझे पार्टी नेतृत्व पर भरोसा है लेकिन एक व्यक्ति को सत्ता दिए जाने से असम बीजेपी में असंतुलन पैदा हो गया है.”
मोरीगांव से बीजेपी विधायक रमाकांत देवरी ने कहा, “बीजेपी किसी की निजी संपत्ति नहीं है. यह दुखद है कि गोहेन जैसे वरिष्ठ नेता को अपमानित किया गया है. इससे पार्टी पर असर पड़ेगा.”
गोहेन के आरोपों को खारिज करते हुए, मल्लाबारुआ ने परिसीमन प्रक्रिया को कम करने की मांग करते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा किया गया था. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “जहां तक वरिष्ठ नेताओं का सवाल है, हर कोई लोगों के लिए काम कर रहा है, वरिष्ठों के अनादर का कोई सवाल ही नहीं है.”
(संपादन: ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: जातीय नफरत या गैंगवार? जाटों द्वारा दलित युवकों को कार से कुचलने के बाद राजस्थान में माहौल गर्म हो गया है