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Wednesday, 18 December, 2024
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आरएसएस ने कहा-बंगाल हिंसा सुनियोजित साजिश, पुलिस-प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया

आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने यह कहते हुए टीएमसी सरकार से राज्य में कानून-व्यवस्था कायम करने को कहा है कि आम लोगों के बीच दहशत का माहौल है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की ‘बेहद कड़े’ शब्दों में आलोचना की है और कहा है कि असामाजिक तत्वों की मदद से यह सुनियोजित साजिश रची गई थी.

आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि 2 मई को नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद हुई हिंसा न केवल ‘अत्यधिक निंदनीय है, बल्कि यह सुनियोजित साजिश भी लगती है.’

आरएसएस नेता ने आरोप लगाया कि राज्य मशीनरी की भूमिका ‘पूरी तरह लचर’ थी और हिंसा के दौरान वह पूरी तरह ‘मूकदर्शक’ बनी रही.

उन्होंने कहा, ‘न तो ऐसा लग रहा था कि दंगाइयों को किसी बात का डर है और न ही राज्य पुलिस और प्रशासन की तरफ से हिंसा को नियंत्रित करने की कोई पहल की गई.’

होसबोले ने फिर से चुनी गई तृणमूल कांग्रेस सरकार से कहा कि हिंसा पर काबू पाकर कानून-व्यवस्था को बहाल करे और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करे. उन्होंने कहा कि आम लोगों के बीच दहशत का माहौल बना हुआ है.

उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से भी राज्य में शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा.

उन्होंने कहा, ‘जो कोई भी पार्टी सत्ता में हो सत्तारूढ़ प्रशासन की पहली और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कानून- व्यवस्था कायम रखकर समाज में शांति और सुरक्षा का माहौल स्थापित करने, जिससे असामाजिक तत्वों के मन में कानून का भय पैदा हो, और हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों को दंडित करने की होती है. चुनावी जीत तो राजनीतिक दलों की होती है, लेकिन निर्वाचित सरकार पूरे समाज के प्रति जवाबदेह होती है.’

होसबोले ने कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल की नवनिर्वाचित सरकार से मांग करते हैं कि वह अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के तौर पर हिंसा पर तुरंत काबू पाकर प्रभावी ढंग से कानून-व्यवस्था कायम करे जिससे दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो सके और उन्हें बिना किसी देरी गिरफ्तार किया जा सके. हिंसा प्रभावित लोगों के मन में सुरक्षा और विश्वास की भावना बढ़ाई जाए और उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं.

उन्होंने कहा, ‘हम केंद्र सरकार से भी पश्चिम बंगाल में शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक और हरसंभव कदम उठाने का भी आग्रह करते हैं और यह सुनिश्चित करने को कहते हैं कि राज्य सरकार इस दिशा में काम करे.’


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‘सुनियोजित साजिश’

होसबोले के अनुसार, लोकतंत्र में चुनाव की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है और बंगाल के पूरे समाज ने ‘पूरी जोरदारी से इसमें हिस्सा लिया.’

उन्होंने कहा, ‘यह एकदम स्वाभाविक है कि भावनाओं में बहकर विरोधी पक्ष कभी-कभी आरोप और प्रत्यारोप लगाने में सीमाएं पार कर जाते हैं. हालांकि, हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि चुनाव लड़ने वाले सभी दल हमारे देश के ही हैं और चुनाव में भाग लेने वाले सभी लोग—उम्मीदवार, उनके समर्थक, मतदाता—देश के नागरिक हैं.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन राज्य में चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद हिंसा फैलना न केवल निंदनीय है बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा भी लगता है.’

आरएसएस नेता ने इसके लिए ‘असामाजिक’ तत्वों को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने महिलाओं के साथ ‘बर्बर और घृणित’ तरीके से दुर्व्यवहार किया.

होसबोले ने कहा, ‘हिंसा की वीभत्स घटनाओं में सक्रिय असामाजिक तत्वों ने महिलाओं के साथ बर्बर और घृणित तरीके से दुर्व्यवहार किया, निर्दोष लोगों को बेरहमी से मार डाला और घरों में आग लगा दी, दुकानों और मॉल को जबरन लूटा गया, लगातार हिंसा का नतीजा यह हुआ कि हजारों लोग, जिनमें बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग शामिल हैं, बेघर हो गए और उन्हें अपनी जान और सम्मान बचाने के लिए अन्य जगहों पर शरण लेनी पड़ी.’

उन्होंने कहा, ‘कूचबिहार से सुंदरवन तक हर जगह पर लोगों के बीच व्यापक भय का माहौल है.’

होसबोले ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ‘राय है कि चुनाव नतीजों के बाद की यह हिंसा सह-अस्तित्व की भारतीय परंपरा और सभी की राय का सम्मान करने की भावना के खिलाफ है, इसके अलावा यह लोकतंत्र और संविधान में निहित समतामूलक समाज की अवधारणा के भी विपरीत है.’

उन्होंने ‘बुद्धिजीवियों, सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व’ से अपील की कि वे संकट की इस घड़ी में समाज के पीड़ित वर्गों के साथ खड़े होने और भरोसे की भावना बढ़ाने में भूमिका निभाएं, हिंसा की एक सुर में निंदा करें और शांति, सद्भावना और सौहार्दपूर्ण माहौल कायम करने में मदद करें.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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