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Thursday, 28 March, 2024
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बंगाल विधानसभा में CBI और ED के खिलाफ प्रस्ताव पारित, TMC नेताओं को ‘चुन चुन कर निशाना’ बनाने का मढ़ा आरोप

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि 'चिटफंड घोटालों में कई भाजपा नेताओं के नाम शामिल होने के बावजूद, जांच एजेंसियां इस मामले के एक पक्ष की अनदेखी और दुसरे पक्ष की जांच कर रही हैं.'

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा अन्य केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पहली राज्य विधायिका बन गई. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वे (जांच एजेंसियां) राज्य में सत्तारूढ़ दल के नेताओं को ‘चुनिंदा रूप से निशाना’ बना ‘डर का माहौल पैदा’ कर रहीं हैं.

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ईडी और सीबीआई तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं के खिलाफ कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कर रहे हैं.

पिछले दो महीनों के दौरान पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और अब टीएमसी से निलंबित हो चुके नेता पार्थ चटर्जी को एक कथित स्कूल सेवा भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया है; और साथ ही, तृणमूल के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को भी कथित पशु तस्करी जांच के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

इस प्रस्ताव को टीएमसी विधायक निर्मल घोष और तापस रॉय ने ‘नियम 169’ के तहत राज्य विधानसभा के पटल पर रखा. प्रस्ताव में कहा गया है, ‘केंद्रीय एजेंसियां चुनिंदा रूप से पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को निशाना बना रही हैं और डर का माहौल पैदा कर रही हैं.’

इस प्रस्ताव में पिछले साल सीबीआई द्वारा राज्य में हुए साल 2021 के विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद पहले से चल आ रहे नारदा घोटाले की जांच के सिलसिले में तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी की गिरफ्तारी पर भी प्रकाश डाला गया है. इन दोनों को विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति, जो कि आदर्श रूप में हमेशा ली जाती है, के बिना गिरफ्तार किया गया था.

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प्रस्ताव में आगे कहा गया है, ‘चिटफंड घोटालों में कई भाजपा नेताओं के नामों के शामिल होने बावजूद, जांच एजेंसियां इस मामले के सिर्फ एक पक्ष की अनदेखी और दूसरे की जांच कर रही हैं.’

इसमें यह भी कहा गया है कि संघीय एजेंसियां ’लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को गिराने और नफरत की राजनीति करने की बड़ी साजिश’ का हिस्सा बन गई हैं.

एजेंसियों के खिलाफ पहला प्रस्ताव नहीं

यह पहली बार नहीं है जब पश्चिम बंगाल सरकार ने संघीय एजेंसियों के खिलाफ कोई प्रस्ताव पेश किया है. नवंबर 2021 में, राज्य सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि के खिलाफ भी एक प्रस्ताव पारित किया था.

ईडी ने कथित कोयला तस्करी घोटाले के सिलसिले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी, अभिषेक की पत्नी रुजीरा बनर्जी, उनकी भाभी मेनका गंभीर, पश्चिम बंगाल के कानून मंत्री मलॉय घटक और राज्य में तैनात कई आईपीएस अधिकारियों से भी पूछताछ की थी.

इस बीच, विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने इस प्रस्ताव का मजाक उड़ाते हुआ कहा कि इसका कोई वैध स्थिति (लोकस स्टेन्डी) नहीं है.

भाजपा नेता अधिकारी ने विधानसभा के बाहर उपस्थित मीडिया से कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कुछ हफ्ते पहले ही ईडी के पक्ष में एक स्पष्ट फैसला सुनाया है. इसलिए नियम 169 के तहत लाया गया यह प्रस्ताव बिल्कुल व्यर्थ का है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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