लखनऊ: भाजपा ने गुलाम अली खटाना को जम्मू-कश्मीर के पहले गुज्जर (जिन्हें उत्तर प्रदेश में गुर्जर कहा जाता है) को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है और इसने यूपी के पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लिए रविवार को लखनऊ में आयोजित एक आउटरीच प्रोग्राम (पहुंच बनाने के कार्यक्रम) में उन्हें ही इस अभियान का चेहरा बनाया.
यह कदम राज्य के नगरपालिका चुनावों, जिनके दिसंबर में होने की संभावना है, और 2024 के आम चुनावों से पहले उठाया गया है.
‘पसमांदा’ शब्द – जिसका फ़ारसी अर्थ ‘जो पीछे छूट गया हो’ है- अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले मुसलमानों को संदर्भित करता है, जिसमें इस समुदाय के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े सदस्य शामिल हैं. पसमांदा कथित तौर पर भारत की मुस्लिम आबादी में 80-85 प्रतिशत का हिस्सा रखते हैं, और उत्तर प्रदेश की मुस्लिम आबादी में भी इनका अच्छा-खासा हिस्सा है.
रविवार के कार्यक्रम में, जो यूपी में ‘पसमांदाओं के लिए इसका पहली बार घोषित रूप से किया गया था, भाजपा ने इस समुदाय के सदस्यों से चुनाव में उसे वोट देकर पार्टी की सरकारों द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के लाभ के रूप में उनके द्वारा हासिल किए गए एहसानों को ‘चुकाने’ के लिए कहा.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भी इस तरह के आयोजन हो चुके हैं, लेकिन पार्टी ने उनके शीर्षक में ‘पसमांदा’ शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं किया. भाजपा पिछले कुछ महीनों में कई राज्यों में इस समुदाय के लिए इस तरह के आउटरीच कार्यक्रम आयोजित कर रही है.
यह दावा करते हुए कि विपक्षी दल मुसलमानों को ‘वोट बैंक और बैठकों में शोपीस (सजावटी सामान) के तौर पर मानते हैं, भाजपा ने पसमांदा समुदाय से ‘एक ऐसी पार्टी का समर्थन करने के लिए कहा जो उनका विकास सुनिश्चित करेगी’.
‘पसमांदा बुद्धिजीवी सम्मेलन’ नाम के इस कार्यक्रम, जिसमें इस समुदाय के प्रमुख सदस्य और यूपी भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला प्रमुख शामिल हुए थे, को संबोधित करते हुए जम्मू के निवासी खटाना ने उन्हें ‘आत्म-सम्मान की भावना पैदा करने’ के लिए भी कहा.
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पिछले महीने ही राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए खटाना ने कहा, ‘अल्पसंख्यक, दलित और पिछड़े समुदायों को आत्म-सम्मान की भावना पैदा करनी चाहिए. वे (विपक्षी दल) हमें (पिछड़े मुसलमानों को) बस एक शोपीस मानते हैं.’
उन्होंने इस साल कुछ समय पहले हैदराबाद में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पसमांदा मुसलमानों के उल्लेख का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘वे राजनीतिक दल जो 70 वर्षों तक सत्ता में रहे, मुसलमानों को सिर्फ वोटबैंक और बैठकों में शामिल होने वाले शोपीस समझती हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि देश के अल्पसंख्यक मुस्लिम, दलित और पिछड़े (समुदाय) मोदी जी के नेतृत्व में विश्वास करते हैं.‘
यह कहते हुए कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कदम के मुस्लिम विरोधी होने के बारे में विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप सरासर गलत हैं, खटाना ने दावा किया कि इस पूर्व राज्य, और अब एक केंद्र शासित प्रदेश की पिछली सरकारों ने यदि इस अनुच्छेद में संशोधन नहीं किया तो यह उनके केवल अपने फायदे के लिए था, न कि गरीबों और पिछड़ा वर्ग के पक्ष में.
खटाना ने कहा, ‘लेकिन जब मोदी जी सत्ता में आए, तो उन्होंने विधानसभा में नौ सीटें पसमांदा समुदाय के लिए आरक्षित की.‘ यहां उनका आशय विधानसभा सीटों के परिसीमन के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण से था.
उन्होंने आगे कहा: ‘क्या कांग्रेस और उससे निकलने वाली पार्टियों, जो खुद को समाजवाद के संरक्षक कहते हैं, को जम्मू-कश्मीर में पसमांदा मुसलमानों दिखाई नहीं दिए. मोदी सरकार के तहत प्रखंड विकास परिषदों, जिला विकास परिषदों और पंचायतों में राजनीतिक आरक्षण दिया गया है. बहुत जल्द, हम जम्मू-कश्मीर में ओबीसी मुसलमानों को आरक्षण देने जा रहे हैं.‘
साल 1981 में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली तत्कालीन नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य में अन्य सामाजिक जातियों (अदर सोशल कास्ट्स) के लिए 2 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया था. अप्रैल 2020 में इसे बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया गया.
इस केंद्र शासित प्रदेश में आरक्षण की स्थिति के बारे में बात करते हुए, खटाना ने दिप्रिंट को बताया, ‘आरक्षण का बड़ा हिस्सा रेजीडेंट ऑफ़ बैकवर्ड एरिया या आरबीए (पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों) के लिए था. बाद में, पीडीपी के साथ हमारी सरकार (जो एक गठबंधन के रूप में 2015 और 2018 के बीच चली थी) में हमने पहाड़ी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया. अब, जम्मू-कश्मीर में, ओबीसी समुदायों द्वारा (27 प्रतिशत) आरक्षण के लिए मांग की जा रही है, इन चीजों में वक्त लगेगा.’
यह कहते हुए कि इस्लाम और मुसलमानों को (भाजपा शासन के तहत) कोई खतरा नहीं है, उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपने ‘बड़े भाइओं (हिंदुओं)’ के साथ शांति से रहने और अपना विकास सुनिश्चित करने का आह्वान किया.
इस बैठक को यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी संबोधित किया, जिन्होंने आरोप लगाया कि अन्य राजनीतिक दलों ने इस समुदाय (पसमांदा) को तेज पत्ता के जैसे इस्तेमाल किया है, जिसे बिरयानी बनाते समय स्वाद लाने के लिए डाला जाता है, लेकिन बाद में इसे बाहर निकाल दिया जाता है.
यह कहते हुए किआजादी के बाद, से उन्हें (पसमांदा को) तेज पत्ते के रूप में इस्तेमाल किया गया और उनके वोट हासिल करने के बाद हाशिये पर फेंक दिया गया, उन्होंने कहा, ‘वैसा ही हाल इन राजनीतिक दलों ने आपका किया है.’
‘भाजपा शासन में न कोई दंगा हुआ और न ही इसके आरोप में कोई मुस्लिम जेल में है.’
यूपी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने मुस्लिम ‘लाभार्थियों’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वे (भाजपा को) अपना वोट देकर ‘एहसान चुकाएं’.
उन्होंने कहा, ‘जहां भी भाजपा के उम्मीदवार मैदान में हों, आपको उन्हें अपना वोट देकर एहसान चुकाना होगा. खुद्दार बनना है. अच्छाई का बदला अच्छाई से चुकाना चाहिए. अगर किसी ने कोई एहसान किया है, अगर किसी ने आपके बारे में सोचा है, तो आप भी उसके बारे में सोचें, यही हर मुस्लिम का लक्ष्य और इरादा होना चाहिए.‘
यह दावा करते हुए कि दंगों के सिलसिले में कोई मुसलमान फिलहाल जेल में नहीं है, अली ने श्रोताओं से पूछा: ‘आप उस विचारधारा का बोझ कब तक ढोएंगे जो दंगों के नाम पर आपका क़त्ल करवा कर अपनी सरकारें बनाती थीं? भाजपा के शासन में कोई दंगा नहीं हुआ, कोई बहन-बेटी विधवा नहीं हुई, कोई भाई दंगों के सिलसिले में जेल में नहीं है. समाजवादी पार्टी (सपा) मुसलमानों को मुसलमानों से लड़ने के लिए उकसाती थी. शिया मुसलमान सुन्नियों से लड़ते रहते थे.’
भाजपा नेता ने दावा किया कि जहां 20 लाख मुसलमानों को मोदी सरकार की आवास योजना (किफायती आवास के लिए) से लाभ हुआ है, वहीं एक लाख से अधिक को आयुष्मान कार्ड (चिकित्सा लाभ के लिए) मिले हैं, 40 लाख को बिजली के कनेक्शन मिले हैं और मोदी-योगी शासन में (केंद्र में और यूपी में) कुल मिलाकर 4.5 करोड़ पसमांदा लाभार्थी हैं.‘
उन्होंने कहा, ‘अभी तक आपका 90 फीसदी वोट सपा को जाता था और सिर्फ 8 फीसदी ही भाजपा को जाता था, लेकिन सरकारी योजनाओं में आपको 30 फीसदी की भागीदारी मिल रही है. 18 फीसदी की आबादी के लिए भाजपा ने सरकारी योजनाओं में 30 फीसदी की भागीदारी सुनिश्चित की है. पहले समाजवादी सरकार में इसी 18 फीसदी आबादी को सिर्फ 9 फीसदी की भागीदारी मिलती थी.’
उन्होंने अल्पसंख्यक मोर्चा के सभी जिलाध्यक्षों से पसमांदा समुदाय के बीच जा कर उन्हें इस बात से अवगत कराने का आह्वान किया कि जो मांग वे अन्य दलों के साथ उठाते थे, उन्हें मोदी-योगी पूरा कर रहे हैं.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव साबिर अली ने कहा कि यह इस समुदाय की जिम्मेदारी है कि जो उनके बारे में सोच रहा है, उसके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलें.
साबिर ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साल 2018 में दिए गए एक भाषण का जिक्र करते हुए कहा, ‘किसी भी पीएम ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बात का उल्लेख नहीं किया है कि हमारे देश के मुसलमान कभी भी देश की पीठ में छुरा घोंप नहीं सकते और कहा कि वह चाहते हैं कि उनके एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर हो.’
लोकसभा, नगर निगम चुनाव की तैयारियां
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के नेताओं के अनुसार, पसमांदा समुदाय के लिए भाजपा की अपील 2024 के चुनावों से पहली की गई है क्योंकि उसकी नजरें उत्तर प्रदेश की बड़ी मुस्लिम आबादी वाली 20 प्रतिशत लोकसभा सीटों पर टिकी है.
रविवार की बैठक को संबोधित करते हुए, यूपी में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि अल्पसंख्यक मोर्चा नगरपालिका चुनावों में पार्टी के टिकट वितरण में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा.
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के एक जिलाध्यक्ष ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य भाजपा द्वारा भरोसेमंद अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के नाम मांगे गए हैं और उन्हें भेज दिया गया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदायों के उम्मीदवारों को दिए जाने वाले टिकटों के प्रतिशत पर कोई फैसला किया है, यूपी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख कुंवर बासित अली ने दिप्रिंट को बताया कि वे उन सभी सीटों पर लड़ेंगे जहां मुसलमान जीत सकते हैं और जहां भी वे एक निर्णायक फैक्टर हैं.
उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनावों के नजरिये से पसमांदा समुदाय यूपी की 20 प्रतिशत सीटों पर मतदाताओं का एक बड़ा प्रतिशत बनाता है और हमने इनमें से प्रत्येक सीट में 100 लाभार्थियों तक पहुंचना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘पश्चिमी यूपी में, मेरठ, शामली, बिजनौर और कैराना जैसे जिलों में मुस्लिम, गुर्जर एक बड़ा वोट बैंक हैं. वे कई लोकसभा सीटों पर प्रभावी हैं. मेरठ में भी खटाना की मौजूदगी के साथ इसी तरह की बैठक की मांग की जा रही है.’
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