नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में गोवा कांग्रेस के 10 विधायकों के भाजपा में शामिल होने से स्थानीय भाजपा ईकाई में बवाल खड़ा हो गया है. गोवा भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल पूर्व स्पीकर और मनोहर पर्रिकर सरकार में मंत्री रहे राजेन्द्र आर्लेकर ने इस कदम का खुलकर विरोध करते हुए कहा है कि बाबुश मोनसेराते (अतानासियो मोनसेराते) और विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर जैसे विवादित और भष्ट्र नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर पार्टी ने मनोहर पर्रिकर की विरासत को खत्म कर दिया है.
आर्लेकर के मुताबिक विवादित कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में शामिल करने पर पार्टी कोर कमेटी में कोई विचार नहीं हुआ और बिना किसी को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को गुमराह कर इन कांग्रेसी विधायकों को बीजेपी में शामिल कराया गया है .
क्यों है बाबुश मोनसेराते और कावलेकर के भाजपा में शामिल करने पर विवाद
कभी मनोहर पर्रिकर की सरकार गिराने वाले बाबुश को गोवा की सत्तता के गलियारो में पैसा और शराब में डूबी राजनीति का पोस्टरब्याय कहा जाता है. मोनसेराते के ऊपर पॉक्सो एक्ट के तहत एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार और उसे बंदी बनाकर क़ैद में रखने के गंभीर आरोप अभी भी चल रहे हैं. 2016 के एक केस में गोवा की एक लड़की ने बाबुश पर 50 लाख रुपये में उसे ख़रीदकर लगातार कई दिनों तक बलात्कार करने और बंदी बनाकर रखने के गंभीर आरोप लगाए थे. विधायक मोनसेराते को इसके लिए 8 दिन जेल में भी रहना पडा था. मोनसेराते ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को हटाने के लिए गोवा सेशन कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने इन आरोपों को जांच पूरा होने तक हटाने से इंकार कर दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की आसमयिक मौत के बाद भाजपा ने मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल को टिकट न देकर उनके सहयोगी रहे सिद्धार्थ कुनकोलियेकर को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन पर्रिकर के विरोधी बाबुश ने 25 साल से पर्रिकर के पास रही इस सीट से सिद्धार्थ को हराकर पणजी सीट हथिया ली थी. पर्रिकर की मौत के बाद हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री प्रमोद सांवंत ने इसे मुख्य चुनावी मुद्दा बनाते हुए कहा था कि मोनसेराते अगर जीत गए तो गोवा में कोई लड़की सुरक्षित नहीं रहेगी. मई में हुए उपचुनाव में भाजपा ने बलात्कार के आरोपी बाबुश से ‘गोवा को बचाओ’ नाम का हाई वोल्टेज कैंपेन भी चलाया था .
मटका किंग बनेगें उपमुख्यमंत्री ?
राज्य में विपक्ष के नेता कांग्रेसी विधायक चंद्रकांत बाबू कावलेकर को गोवा की राजनीति में ‘मटका किंग’ के नाम से जाना जाता है. 2017 में भाजपा सरकार के रहते गोवा पुलिस ने उनके घर पर छापा मारकर अवैध गैमब्लिंग कूपन बरामद किए थे. ‘मटका किंग’ के नाम से मशहूर कावलेकर का पूरे कोंकण इलाके में ‘जुआ’ का अवैध कारोबार है. कावलेकर के ऊपर जमीन हड़पने और केरल में अवैध संपत्ति बनाने के भी आरोप भाजपा लगाती रही है.
विवादित कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में शामिल करने के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और पार्टी हाईकमान के फैसले की आलोचना पर्रिकर के बेटे विपल्व पार्रिकर ने भी की है. विपल्व के मुताबिक उनके पिता की राजनीति का अब गोवा में अंत हो गया है. वैसे तो पार्रिकर के मूल्यों का अंत उनकी मौत के साथ हो गया था. विपल्व पार्रिकर के मुताबिक कांग्रेस के कूड़ा- कचरा को भाजपा में लाने से भाजपा का चरित्र बदल गया है .
भाजपा संगठन मंत्री पर सवाल
गोवा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक इन विधायकों को पार्टी में शामिल करने के पीछे राज्य के संगठन मंत्री सतीश का हाथ है. उनके मुताबिक दलबदल के इस खेल में पैसा का बड़ा रोल है. संगठन मंत्री सतीश के ऊपर दो साल पहले लगे भष्ट्राचार के आरोपों के बाद आरएसएस ने उन्हें गोवा से हटाकर मुंबई के थाणे में संगठन का काम देखने को कहा था लेकिन सतीश की संगठन मंत्री के रूप में वापसी भाजपा राज्य ईकाई में असंतोष की एक बड़ी वजह मानी जा रही है .
विजय देसाई से छुट्टी पाने के लिए भाजपा ने उठाया यह कदम
भाजपा सूत्रों के मुताबिक गोवा में उपमुख्यमंत्री विजय सरदेसाई की 3 विधायकों वाली पार्टी पर सरकार चलाने के लिए अपनी निर्भरता को खत्म करना चाहती थी. 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा अपने सहयोगियों के साथ 17 विधायकों की संख्या बल पर सरकार चला रही थी लेकिन कांग्रेस के 15 में से 10 विधायकों के भाजपा में शामिल होने से सरकार का संख्या बल 27 पहुंच गया है और सरकार अब आराम से अपना कार्यकाल पूरा कर सकती है.
गोवा जैसे छोटे राज्य में पहले से ही दो उपमुख्यमंत्री है अब नए दलबदल के बाद होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में ‘मटका किंग’ कहे जाने वाले बाबू केवलकर को शपथ दिलाकर गोवा तीन उपमुख्यमंत्री के साथ शासन करने वाला पहला राज्य बन जाएगा.