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Saturday, 4 May, 2024
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कर्नाटक में उथल-पुथल जारी, गोवा में 10 विधायक भाजपा में शामिल

शुक्रवार से शुरू होने वाले विधानसभा के 10 दिवसीय मानसून सत्र से पहले तीन-चार और कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे की संभावना है.

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नई दिल्ली/बेंगलुरू/गोवा: कांग्रेस पार्टी की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. कर्नाटक में पार्टी विधायकों की बगावत अभी थमी नहीं थी कि गोवा के दस विधायकों ने अचानक पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया है. भाजपा में शामिल होने जा रहे विधायक आज पार्टी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में सदस्यता ग्रहण करेंगे. गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि पार्टी में शामिल हो रहे विधायकों का मैं स्वागत करता हूं उन्होंने पार्टी और मुझे मजबूत बनाने में योगदान देंगे जिसका मैं स्वागत करता हूं.

नहीं थम रहा विधायकों के इस्तीफे का सिलसिला, कुमारस्वामी ने बुलाई बैठक

वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक के मुख्यमंत्री सीएम कुमारस्वामी ने गुरुवार को विधान सभा भवन में कैबिनेट बैठक बुलाई है. बुधवार देर रात सीएम ऑफिस की ओर से कहा गया कि मंत्रियों ने अपने-अपने पार्टी अध्यक्ष को इस्तीफा दिया है, सीएम को नहीं. गौरतलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस के विधायकों का इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है.  सियासी संकट के बीच हाल ही में मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था.कर्नाटक में शनिवार से जारी सियासी उठापटक बुधवार को और तेज हो गई, जब कांग्रेस और जद(एस) के बागी विधायक विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए.

विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्यपाल वजुभाई वाला से आग्रह किया कि वह एच. डी. कुमारस्वामी सरकार को शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दें. इस बीच, कर्नाटक कांग्रेस के दो और विधायकों, एम. टी. बी. नागराज और डी. सुधाकर ने बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब एक जुलाई से इस्तीफा सौंपने वाले पार्टी के विधायकों की संख्या 13 हो गई है. अगर ये सभी इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाते हैं, तो विधानसभा में अध्यक्ष सहित पार्टी की ताकत 79 से घटकर महज 66 रह जाएगी.

तीन-चार विधायक और दे सकते हैं इस्तीफा

सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार से शुरू होने वाले विधानसभा के 10 दिवसीय मॉनसून सत्र से पहले तीन-चार और कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे की संभावना है.

कर्नाटक में अपनी सरकार को बचाने के लिए बेताब कांग्रेस ने संसद में हंगामा किया और बेंगलुरू की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और के. सी. वेणुगोपाल को विरोध मार्च निकालते हुए कई पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में ले लिया गया.

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मुंबई में भी हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला, जहां डी. के. शिवकुमार सहित कई कांग्रेसी नेताओं को एक होटल के बाहर हिरासत में ले लिया गया. ये नेता बागी विधायकों को मनाने पहुंचे थे. सरकार की मुसीबत उस समय और भी बढ़ गई, जब एक क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी के विधायक सहित एक निर्दलीय विधायक ने भी इस्तीफा दे दिया और सत्ताधारी गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया.

केपीजेपी विधायक और निर्दलीय विधायक द्वारा इस्तीफा देने के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन की संयुक्त ताकत बहुमत से कम हो गई है. सभी इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं, तो विधानसभा की ताकत 209 रह जाएगी और बहुमत का नया आंकड़ा 105 हो जाएगा.

हालांकि, अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. जिन 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उन्होंने अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत से तत्काल सुनवाई की मांग की है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, विद्रोही विधायकों ने आरोप लगाया है कि विधानसभा अध्यक्ष अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं कर रहे हैं और जानबूझकर विधानसभा से उनके इस्तीफे की स्वीकृति में देरी कर रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने रोहतगी को याचिका पर सुनवाई पर आश्वासन तो दिया, मगर इसके लिए बाद में तारीख रखने की बात कही. शीर्ष अदालत की ओर से गुरुवार को मामले की सुनवाई होने की संभावना है.

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मुख्यमंत्री अल्पमत में हैं और विश्वास मत हासिल करने से इंकार कर रहे हैं. याचिकाकर्ताओं ने संविधान में प्रदत्त लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने असाधारण अधिकार को क्रियान्वित करने की मांग की.

याचिकाकर्ताओं का कहना है, “विधायिका का कोई भी निर्वाचित सदस्य अपनी अंतरात्मा की आवाज या अन्य जरूरी परिस्थितियों के आधार पर अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने का हकदार है.”

गोवा में चरमराई कांग्रेस की हालत 10 विधायक भाजपा में शामिल

गोवा में बुधवार को एक बहुत बड़े राजनैतिक घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस में जबर्दस्त सेंध लगाते हुए उसे दो फाड़ कर दिया और नेता विपक्ष चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में कांग्रेस के दस विधायकों को अपने में शामिल कर लिया. कांग्रेस के राज्य में 15 विधायक थे. अब पांच बचे हैं.

कावलेकर ने पार्टी की राज्य इकाई में टूट के लिए गोवा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद और विपक्षी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं होने को जिम्मेदार बताया.

इस हतप्रभ कर देने वाले घटनाक्रम के बाद अब राज्य विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 17 से बढ़कर 27 हो गई है.

जो दस विधायक कांग्रेस से अलग हुए हैं उनमें चंद्रकांत कावलेकर, इसीडोर फर्नाडिस, फ्रांसिस सिलवेरा, फिलिप नेरी रोड्रिगेज, जेनिफर एवं अतानासियो मोनसेराते, अंतोनियो फर्नाडिस, नीलकंठ हालारंकर, कलाफासियो डॉयस और विल्फ्रेड डी सा शामिल हैं.

कांग्रेस के पास अब पांच विधायक बचे हैं. इनमें दिगंबर कामत, लुजिन्हो फलेरियो, रवि नाइक, प्रताप सिंह राणे (यह सभी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं) और अलेक्सो रेजिनाल्डो शामिल हैं.

कांग्रेस से अलग हुए विधायकों के इस समूह के भाजपा में शामिल होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार को देर शाम मुहर लगा दी.

इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस के दस विधायकों ने, जो कांग्रेस विधायक दल का दो तिहाई हिस्सा हैं, नेता विपक्ष चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में अपनी पार्टी को छोड़ दिया और आज (बुधवार को) अपना विलय भाजपा में कर दिया. भाजपा विधायकों की संख्या अब 17 से बढ़कर 27 हो गई है.’

सावंत ने बताया कि इस विलय को पार्टी हाईकमान की स्वीकृति हासिल है. कावलेकर ने भी राज्य विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से बात की. उन्होंने कहा कि इस फैसले की एक वजह पार्टी के राज्य के नेताओं के बीच के मतभेद भी हैं जिसकी वजह से राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने की स्थिति में नहीं आ सकी.

यह पूछने पर कि क्या यह अजीब नहीं है कि नेता विपक्ष सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो जाए, कावलेकर ने कहा, ‘नेता विपक्ष होने के साथ साथ, मैं एक क्षेत्र का विधायक भी हूं और यह मेरा दायित्व है कि मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र की देखभाल करूं.’

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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