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Monday, 23 December, 2024
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राज्य सभा ने मंत्रियों एवं सांसदों के वेतन, भत्ते में कटौती संबंधी विधेयकों को मंजूरी दी लेकिन एमपीलैड पर दो राय

राज्यसभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन, भत्ते में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत की कटौती करने के प्रावधान वाले विधेयकों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी.

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नई दिल्ली: राज्यसभा ने मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक और सांसदों के वेतन, भत्ते में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत की कटौती करने के प्रावधान वाले विधेयकों को शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा.

उच्च सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों से संबंधित संशोधन विधेयक 2020 और संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी. यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है.

इसके माध्यम से सांसदों के वेतन में 30% की कटौती के लिए संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 और मंत्रियों के सत्कार भत्ते में कटौती के लिए मंत्रियों का वेतन और भत्ते अधिनियम, 1952 में संशोधन किया गया है.


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सांसद निधि के निलंबन पर हो पुनर्विचार

राज्यसभा में इन विधेयकों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए.

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं. यह कदम उनमें से एक है.

उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है.

कुछ सदस्यों द्वारा नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दे उठाने का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि 2019 के चुनाव में इसके बारे में कई दलों एवं लोगों ने मिथ्यारोप किया था और कुछ लोग उच्चतम न्यायालय भी गए थे . लेकिन देश की जनता ने हमें जबर्दस्त जनादेश दिया .

सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिये निलंबित किया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिये कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी.

उन्होंने कहा, ‘यह अस्थायी है. ’

दरअसल, कांग्रेस, राकांपा, आम आदमी पार्टी सहित अधिकतकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सांसद निधि को बहाल करने की मांग की थी .

वहीं, गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 के समय में आम लो, रेहड़ी पटरी वाले, श्रमिक आदि प्रभावित हुए हैं . ऐसे में हम सांसदों एवं मंत्रियों को आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए .

चर्चा के दौरान कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यहां 70 प्रतिशत सांसद सिर्फ तनख्वाह पर गुजारा करते हैं लेकिन छोटी सी तनख्वाह से गरीबों और देश के लिये योगदान करने को वे तत्पर हैं . उन्होंने कहा कि लेकिन सांसद निधि हमारा पैसा नहीं है, यह गरीबों का पैसा है . पहले तो इसे दो साल के लिये निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था, निलंबन एक साल के लिये करते. और इसमें भी आधा पैसा यानी 2. 5 करोड़ रूपये की कटौती करते .

कांग्रेस सदस्य राजीव सातव ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव का समर्थन करती है लेकिन सरकार को विकास कार्य के लिए महत्वपूर्ण अहम ‘एमपीलैड’ को बंद नहीं करना चाहिए. उन्होंने सरकार से मांग की कि उसे पीएम केयर्स फंड का हिसाब लोगों को देना चाहिए.

दोनों विधेयकों पर एक साथ हुयी संक्षिप्त चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के श्वेत मलिक ने कहा कि कोरोनावायरस वैश्विक महामारी है और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सांसदों व मंत्रियों को नमन करना चाहते हैं जो सबसे पहले अपने वेतन में कटौती के लिए तैयार हुए. उन्होंने कहा कि शुरूआत घर से ही होनी चाहिए. इसके बाद ही सांसद आम लोगों को प्रोत्साहित कर सकेंगे.

विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महामारी के दौर में हर मुख्यमंत्री से बातचीत की और उनसे सहमति ली. उन्होंने कहा कि हर मुख्यमंत्री को लॉकडाउन संबंधी दिशानिर्देशों में जरूरी बदलाव करने की अनुमति दी गयी.

उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा तैयार करने की ओर ध्यान नहीं दिया जिस वजह से देश में वेंटिलेटर बनाने की पर्याप्त सुविधा नहीं विकसित हुयी.

मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनता को कोरोना वायरस से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू किया.

तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि बेहतर होता कि सरकार विभिन्न दलों के नेताओं के साथ बैठक कर कोई फैसला करती. उन्होंने कहा कि सांसदों के वेतन और भत्तों में कटौती से जितनी राशि मिलती, उससे अधिक राशि जुटाने का सुझाव मिल जाता.

त्रिवेदी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार को ही सब करना है और इसका मकसद श्रेय लेना है. उन्होंने कहा कि संसद कोई कंपनी नहीं है और सभी सांसद सेवक हैं. उन्होंने दावा किया कि संसद की विश्वसनीयता खतरे में है. तृणमूल सदस्य ने कहा कि देश गहरे संकट से गुजर रहा है और इस समय सत्ता पक्ष और विपक्ष नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश को अभी दिशा दिखाए जाने की जरूरत है.

कहीं बटे तो कहीं एकजुट नजर आए सांसद

बीजद के प्रसन्न आचार्य ने दोनों विधेयकों का समर्थन करते हुए एमपीलैड (सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि) खत्म नहीं करने की मांग की. उन्होंने कहा कि उस राशि को हम कोरोनावायरस के खिलाफ ही खर्च करेंगे.

सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद ने भी दोनों विधेयकों का स्वागत करते हुए एमपीलैड राशि खत्म नहीं करने की मांग की. द्रमुक के पी विल्सन ने आरोप लगाया कि सरकार इन दो विधेयकों के जरिए समय बर्बाद कर रही है. उन्होंने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से जितनी बचत होगी, दोनों सदनों में इस पर चर्चा में उससे ज्यादा राशि खर्च हो जाएगी.

जद (यू) के आरसीपी सिंह ने कहा कि आपदा से मुकाबला करने के लिए पर्याप्त राशि की खातिर एक अलग कोष पर विभिन्न दलों को विचार करना चाहिए.

राजद के मनोज झा ने कहा कि सेंट्रल विस्टा इस समय के लिए उपयुक्त नहीं है. हमें अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी. उन्होंने महिमामंडन करने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगाने की भी मांग की.

सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यहां 70 प्रतिशत सांसद सिर्फ तनख्वाह पर गुजारा करते हैं लेकिन छोटी सी तनख्वाह से गरीबों और देश के लिये योगदान करने को वे तत्पर हैं .

उन्होंने कहा कि लेकिन सांसद निधि हमारा पैसा नहीं है, यह गरीबों का पैसा है . पहले तो इसे दो साल के लिये निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था, निलंबन एक साल के लिये करते. और इसमें भी, आधा पैसा यानी 2. 5 करोड़ रूपये की कटौती करते तो अच्छा होता.

दोनों विधेयकों पर हुयी संक्षिप्त चर्चा में अन्नाद्रमुक के ए विजयकुमार, वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी, माकपा के के सोमाप्रसाद, तेदेपा के के रवींद्र कुमार, आप के नारायण दास गुप्ता, राकांपा की फौजिया खान, बसपा के वीर सिंह, पीडीपी के नजीर अहमद लवाय, टीआरएस के केशव राव, भाजपा के राकेश सिन्हा ने भी भाग लिया.


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