नई दिल्ली: राजस्थान में पार्टी के भीतर असंतोष खत्म करने के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों पर नकेल कसने का फैसला किया है, जो स्थानीय नेतृत्व के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.
भाजपा की राजस्थान इकाई ने इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री और राजे के करीबी माने जाने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता रोहिताश्व शर्मा को नोटिस थमाने के साथ की है.
शर्मा राज्य इकाई के आलोचक रहे हैं और उन्होंने ही कहा था कि कोई अन्य नेता राजे के कद की बराबरी नहीं कर सकता.
24 जून को जारी किए गए नोटिस में भाजपा ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि शर्मा ने राज्य इकाई पर आराम से बैठे रहकर राजनीति करने और गांवों का दौरा तक न करने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि विधानसभा उपचुनावों में हार की यही वजह रही है, जिनके नतीजे मई में घोषित किए गए थे. इसमें सहदा और सुजानगढ़ में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि राजसमंद में भाजपा अपना कब्जा बनाए रखने में सफल रही थी.
नोटिस में लिखा है, ‘आपने आरोप लगाया है कि जिस तरह केंद्र में विपक्ष के तौर पर कांग्रेस नाकाम साबित हुई है, उसी तरह की स्थिति राजस्थान में भाजपा की हो गई है.’
शर्मा को नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है, ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने दिप्रिंट से बातचीत में इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ‘उनसे जवाब मांगने के लिए एक नोटिस जारी किया गया है.’
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‘कुछ गलत नहीं किया’
रोहिताश्व शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि वह ‘कुछ राजनीतिक नेताओं के साथ परामर्श करने’ के बाद अपना जवाब भेज देंगे.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मुझे एक नोटिस जारी किया और चूंकि यह महासचिव की ओर से था, जिसमें राज्य अध्यक्ष का कोई उल्लेख नहीं था, मैंने इसे बकवास माना. हालांकि, बाद में जब मैंने प्रदेश अध्यक्ष पूनियाजी की एक मीडिया बाइट देखी, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें मुझे जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के बारे में पता है. इसके बाद मैंने अपना रुख स्पष्ट करने का फैसला किया और कुछ नेताओं से सलाह मशविरा करने के बाद अपना जवाब भेज दूंगा.’
रोहिताश्व शर्मा ने अपने बयान का बचाव भी किया.
उन्होंने कहा, ‘यह मुद्दा अब खुलकर सामने आ गया है. वे मुझ पर अनुशासनहीनता और केंद्रीय नेताओं के खिलाफ बयानबाजी करने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि सब कुछ एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान सबके सामने कहा गया था. इसके बाद उन्होंने उस बैठक का ऑडियो लीक कर दिया. मैंने अपने जिले का मुद्दा उठाया था और कहा था कि जब लोग कोविड और ऑक्सीजन की कमी के कारण मर रहे थे, दोनों केंद्रीय नेताओं—गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल—ने जिले का दौरा तक नहीं किया था.
शर्मा ने यह भी कहा कि वह तो केवल अपनी चिंता ‘सही मंच’ पर रख रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘जहां तक वसुंधरा राजे के बारे में मेरे बयान का सवाल है, मैं अब भी इस पर कायम हूं. वह दो बार मुख्यमंत्री रही हैं और अगर भाजपा अपने जमीनी नेताओं को खत्म करती है तो उसका भविष्य अच्छा नहीं हो सकता. राज्य के नेताओं की कद्र करनी चाहिए और उन्हें आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. हमने देखा कि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में क्या हुआ. पश्चिम बंगाल में हमारे पास राज्य का कोई नेता नहीं था और इसलिए हम हार गए. राजस्थान में राजे ही एकमात्र ऐसी नेता हैं जो पार्टी को जीत की राह पर ले जा सकती हैं.’
राजस्थान में बढ़ता असंतोष
राजस्थान भाजपा के भीतर असंतोष पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ा है.
राज्य इकाई के कई लोग यह दावा करते रहे हैं कि राजे एक ‘समानांतर व्यवस्था’ चलाने की कोशिश कर रही हैं, जिसमें सारा ध्यान सिर्फ उन पर दिया जा रहा है, न कि पार्टी पर.
राजे ने खुद पार्टी की अधिकांश बैठकों में हिस्सा लेना बंद कर दिया है और पार्टी की राज्य इकाई की तरफ से आयोजित कार्यक्रमों आदि में भी शामिल नहीं होती हैं.
जनवरी में उनके समर्थकों ने ‘वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान’ का गठन किया था, और मांग की थी कि राजे को 2023 के चुनावों के लिए पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक यह पहला मौका नहीं है जब राजे ने खुद को स्पॉटलाइट में लाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मार्च में अपने जन्मदिन के मौके पर राजे ने अपनी पूरी ‘ताकत का प्रदर्शन’ करते हुए एक धार्मिक यात्रा की थी.
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