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Monday, 4 November, 2024
होमराजनीतिएक और ठाकरे मैदान में: राज ठाकरे ने महाराष्ट्र निगम चुनाव 2022 के लिए बेटे अमित को किया तैयार

एक और ठाकरे मैदान में: राज ठाकरे ने महाराष्ट्र निगम चुनाव 2022 के लिए बेटे अमित को किया तैयार

जनवरी 2020 में आधिकारिक तौर पर राजनीति में शामिल हुए अमित ठाकरे पहले ही नासिक के दो दौरे कर चुके हैं और वहां मनसे पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर चुके हैं.

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मुंबई: अगले साल के शुरू में जब महाराष्ट्र में 10 नगर निगमों के चुनाव होंगे, तो ठाकरे वंश का एक और नेता, एक प्रमुख चेहरा बनकर उभर सकता है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

और ये सबसे नया चेहरा हो सकता है राज ठाकरे का बेटा अमित ठाकरे, जिसे पार्टी के अंदर 2022 के नगर निकाय चुनावों की प्रशासनिक ज़िम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार किया जा रहा है. शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनका बेटा आदित्य, और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे, निश्चित ही ठाकरे वंश के ज़्यादा प्रमुख चेहरे हैं.

एमएनएस प्रमुख ने, जो उद्धव के विरक्त चचेरे भाई हैं, अमित को अनाधिकारिक तौर पर पार्टी की चुनावी तैयारियों का ज़िम्मा लेने, और नासिक में प्रचार करने के लिए कहा है.

एमएनएस के लिए 10 स्थानीय निकायों में, मुम्बई के बाद नासिक के निगम चुनाव सबसे अहम हैं, वो शहर जहां पार्टी का जन्म हुआ था.

नासिक वो अकेला शहर है जहां पार्टी 2006 में स्थापित हुई थी, अकेले दम पर स्थानीय निकाय में सत्ता हासिल करने में कामयाब हो पाई है. पार्टी ने नासिक नगर निगम के 2012 के निकाय चुनावों में जीत हासिल की, लेकिन 2017 में उसने बीजेपी के हाथों सत्ता गंवा दी.

एमएनएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘2019 के विधान सभा चुनावों में अमित ठाकरे ने पार्टी के प्रचार में मदद की थी, लेकिन इस बार 2022 के निकाय चुनावों के लिए, एमएनएस की प्रशासनिक तैयारियों में भी वो एक बड़ी भूमिका निभाएंगे. राज साहेब ने उन्हें अनाधिकारिक तौर पर, नासिक में एमएनएस के प्रचार का ज़िम्मा लेने के लिए कहा है’.

नासिक के अलावा, मुम्बई, पुणे, पिम्परी चिंचवाड़, ठाणे, उल्हासनगर, नागपुर, अमरावती, अकोला, और सोलापुर नगर निकायों के चुनाव 2022 के शुरू में होने हैं.


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अमित ठाकरे का नासिक दौरा

उन्तीस वर्षीय अमित अभी तक दो बार नासिक का दौरा कर चुके हैं- एक पिछले सप्ताह दो दिन के लिए, और दूसरा इस हफ्ते. जूनियर ठाकरे नासिक में एमएनएस पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं, जिनमें पार्टी की छात्र विंग और शहर की अन्य संबंद्ध इकाइयों के सदस्य भी शामिल होते हैं.

एक दूसरे एमएनएस नेता ने कहा, ‘2017 चुनावों से पहले नासिक में हमारे प्रशासनिक ठिकाने से, बहुत से लोग हमें छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. लेकिन शहर में कार्यकर्त्ताओं का हमारा आधार बरक़रार है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘बहुत से लोग जो हमें छोड़ गए थे, अब वापस आना चाहते हैं. संगठन को मज़बूत करने और विभिन्न वॉर्डों से संभावित उम्मीदवार खोजने के लिए, अमित हर बूथ पर बैठकें कर रहे हैं’.

अमित के नेतृत्व में पार्टी प्रचार की ऐसी योजना बना रही है, जिसमें एमएनएस के पांच साल के शासन की, बीजेपी के पांच सालों से तुलना की जाएगी.

एमएनएस नेताओं का कहना है, कि ख़ासकर एमएनएस की छात्र विंग के अध्यक्ष आदित्य शिरोदकर के, इसी महीने शिवसेना में शामिल हो जाने के बाद, राज ठाकरे इस इकाई की कमान भी अमित को सौंप सकते हैं.

राज ठाकरे भी इसी तरह के तीन-दिवसीय दौरे पर पुणे में हैं, जहां वो पार्टी वर्कर्स और कार्यकर्त्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं.


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अमित ठाकरे का सियासी सफर

अमित को बीच बीच में एमएनएस के लिए प्रचार करते देखा गया है, लेकिन औपचारिक तौर पर वो मुख्यधारी की राजनीति में 23 जनवरी 2020 को ही दाख़िल हुए, जो शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की 94वीं जयंती थी.

राज ठाकरे 2005 में शिवसेना से बाहर आ गए थे, जब उनके चाचा बाल ठाकरे ने राज की बजाय, अपने लो-प्रोफाइल बेटे उद्धव ठाकरे को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया था.

2020 में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) कैबिनेट के कामकाज पर नज़र रखने के लिए, एमएनएस ने एक छाया कैबिनेट गठित करने का निर्णय किया था, जिसमें इसके हर नेता को एक विभाग पर नज़र रखने को कहा गया था. अमित को पर्यटन और शहरी विकास के विभाग दिए गए थे. सरकार में, पर्यटन विभाग सीएम के बेटे आदित्य ठाकरे के पास है. विश्लेषकों ने इसे दो ठाकरे भाईयों को सीधे, एक दूसरे के सामने खड़ा करने के क़दम के तौर पर देखा था.

लेकिन छाया कैबिनेट का एमएनएस का विचार अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर सका. एक भी बैठक नहीं हुई और नेताओं ने इस प्रोजेक्ट के शुरू न हो पाने का सारा दोष, कोविड-19 महामारी के सर पर मढ़ दिया.

लेकिन, एमएनएस में औपचारिक रूप से शामिल किए जाने, और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में नेता के तौर पर नियुक्त किए जाने के बावजूद, अमित राजनीति में बहुत अधिक मुखर नहीं रहे हैं, और सार्वजनिक चकाचौंध से दूर ही रहे हैं.

औपचारिक तौर पर राजनीति शुरू करने के बाद से, उन्होंने बीच बीच में अपने चाचा सीएम ठाकरे को ऐसे मुद्दों पर पत्र लिखे हैं, जैसे वैक्सीन्स की भारी क़िल्लत के समय पत्रकारों को, टीकाकरण के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करना, और महामारी के बीच निजी स्कूलों से, उनकी फीस के बारे में बातचीत शुरू करना.

समय समय पर उन्होंने सार्वजनिक बयान देकर, वेतन में कटौती के खिलाफ बंधुआ डॉक्टरों और नर्सों के विरोध, या अपनी मांगों के लिए सरकारी स्कूल अध्यापकों के विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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