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Monday, 4 November, 2024
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राहुल गांधी के निष्कासन पर जर्मनी दे रहा भारत को सलाह, बोला- उम्मीद है लोकतांत्रिक तरीके से होगा फैसला

जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने भारतीय विपक्षी राजनेता राहुल गांधी के खिलाफ किये गए फैसले के साथ-साथ उनकी सदस्यता जाने के मामले पर भी ध्यान दिया है.

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नई दिल्ली: राहुल गांधी की सदस्यता जाने के मामले में जर्मनी ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संसद से निलंबन के फैसले का हमने संज्ञान लिया है.

बयान में जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने भारतीय विपक्षी राजनेता राहुल गांधी के खिलाफ किये गए फैसले के साथ-साथ उनकी सदस्यता जाने के मामले पर भी ध्यान दिया है.

जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हमारी जानकारी के अनुसार, गांधी इस फैसले को चुनौती देते हुए अपनी अपील दर्ज करा सकते हैं.”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा, “हमें उम्मीद है कि राहुल गांधी के मामले पर न्यायिक स्वतंत्रता और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों के मानक लागू होंगे.”

जर्मन विदेश मंत्रालय के इस बयान के बाद कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने जर्मन विदेश मंत्रालय का धन्यवाद करते हुए एक ट्वीट किया.

दिग्विजय ने कहा, “राहुल गांधी परेशान करके भारत में लोकतंत्र से समझौता किया जा रहा है, इस पर ध्यान देने के लिए जर्मन विदेश मंत्रालय और रिचर्ड वॉकर का धन्यवाद.”

बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि अमेरिका भारतीय अदालतों में राहुल गांधी के मामले को देख रहा है.

कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा सदस्य होने के लिए अयोग्य करार दिए गए हैं. मोदी सरनेम को लेकर 23 मार्च को आए आदेश के बाद उनकी सदस्यता गई थी.

लोकसभा सचिवालय के अनुसार 23 मार्च को उनके खिलाफ आए आदेश के तुरंत बाद से ही उन्हें अयोग्य करार दिया गया है. सूरत की एक अदालत ने एक दिन पहले ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी.

सचिवालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 102(1)(ई) और रीप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट, 1951 की धारा 8 के तहत उन्हें अयोग्य करार दिया गया है.

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल ने मोदी सरनेम को लेकर विवादित बयान दिया था, जिसके 4 साल बाद सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को मानहानि केस में दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके तुरंत बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी.


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