चंडीगढ़: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई में सिद्धू अपनी एक बड़ी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें वो अपने आपको न केवल पार्टी चीफ बल्कि संभावित सीएम के तौर पर चमका रहे हैं.
सिद्धू, जो टीवी पर क्रिकेट कॉमेंटेटर और कॉमेडी शो के जज के तौर पर एक कामयाब पारी खेल चुके हैं, अपना शोमैन कौशल दिखाते हुए खुद को एक गंभीर, स्वतंत्र, ईमानदार और सहसी राजनेता के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इतना ही काफी नहीं है. अमरिंदर सिंह पर हमले करने के लिए वो सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर रहे हैं और लगातार वीडियोज़ और ट्वीट्स पोस्ट कर रहे हैं. दिलचस्प ये है कि उनके सोशल मीडिया प्रचार के निशाने पर विपक्षी नेता नहीं बल्कि अमरिंदर रहते हैं.
सिद्धू की सोशल मीडिया टीम चौबीसों घंटे काम करती है और उनकी बैठकों तथा भाषणों की फेसबुक पोस्ट तथा यूट्यूब वीडियोज़ शेयर करती रहती है.
इनका ज़ोर केवल इस पर नहीं होता कि सिद्धू क्या कहते हैं, बल्कि दिखावे पर भी होता है- स्वागत करती भीड़ और पार्टी के लोग, चाय के लिए किसी ढाबे पर रुकना या किसी गुरुद्वारे का अनियोजित दौरा. उनके साथ चलने वाली सोशल मीडिया टीम, हर हरकत को कैमरे में कैद करती रहती है.
Connecting with my Soul … Meeting with Trade & Industrial Association of Amritsar | 26 August, 2021 pic.twitter.com/L73w20HzI1
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 1, 2021
उनके कपड़े एहतियात से चुने जाते हैं और वीडियोज़ को फिल्मों की तरह शूट किया जाता है. ऊपर से तस्वीरें लेने के लिए ड्रोन कैमरे इस्तेमाल किए जाते हैं और कई अपने कैमरामैन उन्हें चलते हुए मुस्कुराते हुए, हाथ मिलाते और बात करते हुए कैमरों में कैद करते रहते हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी पोस्ट, उन्हें एक राजनेता के तौर पर चमकाने के लिए की जाती हैं.
चंडीगढ़ स्थित एक राजनीतिक विज्ञान एक्सपर्ट डॉ कंवलप्रीत कौर का कहना है, ‘इन वीडियोज़ पर सॉफ्ट या उत्तेजक संगीत लगाया जाता है, जिनका उद्देश्य एक बड़ी छवि पेश करना है, एक महान राजनेता जो पंजाब को बचाएगा. छवि-निर्माण की इस पूरी योजना का लक्ष्य बिल्कुल साफ है- समर्थकों को उनके अंदर पंजाब का अगला मुख्यमंत्री दिखना चाहिए’.
संचार विशेषज्ञों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष बनने से पहले और बनने के बाद सिद्धू के छवि निर्माण के तरीके में काफी बदलाव आया है.
वरिष्ठ पत्रकार सरबजीत पंधेर का कहना है, ‘सिद्धू का ज़ोर ये दिखाने पर रहता था कि वो अकेले व्यक्ति हैं जो पंजाब के कल्याण के लिए खड़े हैं. लेकिन उनका अंदाज़ हमेशा थका हुआ सा रहा है. उनके तकरीबन तमाम वीडियोज़, चाहे वो गुरू ग्रंथ साहब के अपवित्रीकरण की बात करते हों या किसानों के विरोध की, उन्हीं सुने-सुनाए उर्दू शेरों, नकली आक्रामकता, अनावश्यक भड़कीलापन और बमुश्किल छिपी महत्वाकांक्षा से भरे होते हैं. उनका पूरा प्रदर्शन इतना लिखा-लिखाया रहता है कि सिद्धू अपने आपको एक ऐसे राजनेता के तौर पर पेश नहीं कर सकते, जो लोगों की नब्ज़ को समझ सकता हो’.
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सोशल मीडिया पर मौजूदगी, अमरिंदर पर हमले
जुलाई 2019 में अमरिंदर सिंह मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर खुद से डेढ़ साल से अधिक के निर्वासन के बाद सिद्धू पिछले साल सोशल मीडिया पर फिर सामने आए और ‘जित्तेगा पंजाब’ नाम से एक यूट्यूब चैनल लॉन्च किया. चैनल पर अपने पहले वीडियो में सिद्धू ने कहा कि वो ‘आत्मविश्लेषण के दौर’ से बाहर आ गए हैं और उन्होंने वादा किया कि वो पंजाब के लोगों को उनकी ताकत वापस दिलाएंगे.
चैनल का उद्देश्य अपने आपको पंजाब सियासत की एक स्वतंत्र आवाज़ के तौर पर चमकाना था. उनके पिछले ज़्यादातर वीडियोज़ ‘सिद्धू का रुख’ शीर्षक से होते थे, जिनमें वो अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखते थे.
सिद्धू ने अपने पुराने दोस्त धनवंत सिंह के बेटे, स्मित की अगुवाई में एक टीम बनाई, जो धुरू से पूर्व विधायक हैं. सुमित को यूट्यूब चैनल का ‘मुख्य प्रशासक’ बनाया गया. उसके बाद से स्मित सिद्धू के सोशल मीडिया प्रचार और इंटरव्यूज़ का काम देख रहे हैं.
सोशल मीडिया एसपर्ट्स का कहना है कि प्रेस के साथ सिद्धू के रिश्ते में भी काफी बदलाव आया है.
सिद्धू अब आमने-सामने के सवालों से भी बचने लगे हैं. एक बड़े अंग्रेज़ी अखबार के साथ एक इंटरव्यू में उनकी टीम ने पूरा वीडियो रिकॉर्ड किया लेकिन उसके कुछ हिस्से ही सिद्धू के सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए.
चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ कम्यूनिकेशन स्टडीज़ की प्रोफेसर, (डॉ) अर्चना आर सिंह का कहना है, ‘सोशल मीडिया प्रचार में ज़्यादातर आत्म-भाषण ही होता है, सूचना का एक तरफा प्रवाह जिसमें आप जो कुछ भी दिखाना चाहते हैं, उसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए आगे बढ़ाते हैं. साथ ही, सोशल मीडिया पर पेश की गई चीज़ों को विस्तार देने के लिए पारंपरिक मीडिया का सहारा लेना पड़ता है. इसलिए ये आपके दर्शकों के साथ कोई सीधा संपर्क, या एक बार की बातचीत नहीं होती. दूसरे, सोशल मीडिया दर्शकों के एक बहुत छोटे हिस्से तक पहुंचता है, भले ही ऐसा लग सकता हो कि बहुत बड़ी फॉलोइंग के साथ, आप हर किसी तक पहुंच रहे हैं’.
फेसबुक और यूट्यूब के अलावा, जहां सिद्धू के क्रमश: 16.6 लाख और 1.05 लाख फॉलोअर्स हैं, उनके ट्वीट्स भी सुर्खियां बनती हैं, खासकर जब वो अमरिंदर पर हमले करते हैं.
सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के इंटरव्यूज़ के कई वीडियो ट्वीट किए हैं और सीएम पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने 2017 के चुनावा वायदे पूरे नहीं किए हैं.
Congress Party stands by its resolve to give Domestic Power at 3 Rs per unit and Industrial Power at 5 Rs per unit through annulment of PPAs, along with the already provided Subsidy for over 10,000 Crores to Farmers and SC, BC, BPL families… This promise too must be fulfilled !! pic.twitter.com/kg5c7A0Lcu
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) August 26, 2021
Nefarious intentions are evident, No High Court stopped you in 4-1/2 yrs ! When DGP/CPS appointments are set aside, orders are challenged in Higher Courts in matter of hours. Now, first you attack the High Court, than from backdoor accept same orders to deflect People’s attention pic.twitter.com/H7fWSLVk41
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) May 10, 2021
उनकी सोशल मीडिया टीम जवाबी हमलों का भी जवाब देती है, ताकि सुनिश्चित हो जाए कि आखिरी बात सिद्धू की ही रहे.
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