नई दिल्ली: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की इस टिप्पणी की निंदा की है कि वे स्वर्ण मंदिर से ‘गुरबाणी’ के मुफ्त प्रसारण अधिकारों के लिए सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करेंगे और कहा कि राज्य में आप सरकार इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है और इस तरह के बदलाव करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है.
धामी ने कहा, “इसमें पंजाब सरकार किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर सकती. उनके पास अधिकार नहीं है… वे इसका राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. मैं भगवंत मान से ऐसा कुछ नहीं करने का आग्रह करता हूं.”
उन्होंने कहा, “यह राजनीतिक कारणों से, राजनीतिक पूंजी के लिए किया जा रहा है.”
धामी ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अधिनियम में बदलाव केवल संसद द्वारा किया जा सकता है और प्रस्तावित बदलाव से संबंधित प्रस्ताव एसजीपीसी द्वारा पारित किया जाता है.
उन्होंने कहा, “वे दिल्ली में बैठे अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए एक धार्मिक मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं. इसे एसजीपीसी बनाम सरकार मत बनाओ. हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि हस्तक्षेप न करें अन्यथा परिणाम के लिए वे जिम्मेदार होंगे… यदि कभी किसी ने थोड़ा सा भी हस्तक्षेप किया है तो उन्हें इसके लिए पछताना पड़ा है.”
धामी ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री को राज्य के विकास के बारे में चिंतित होना चाहिए क्योंकि इस मामले में एसजीपीसी निर्णय लेने में सक्षम है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करेगी, ताकि अमृतसर में हरमंदिर साहिब से गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त किया जा सके और किसी निविदा की आवश्यकता नहीं होगी.
मान ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, “भगवान के आशीर्वाद से, हम कल एक ऐतिहासिक निर्णय लेने जा रहे हैं. सभी भक्तों की मांग के अनुसार, हम सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में एक नया खंड जोड़ रहे हैं कि हरिमंदर साहिब से गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त होगा…कोई टेंडर की जरूरत नहीं है..कल कैबिनेट में..20 जून को विधानसभा में यह प्रस्ताव आएगा.”
शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह के बदलाव नहीं कर सकती. शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री दलजीत चीमा ने कहा कि यह कदम असंवैधानिक है.
दलजीत चीमा ने ट्वीट कर कहा, “माननीय मुख्यमंत्री जी आपका यह कृत्य असंवैधानिक और सिख समुदाय की धार्मिक गतिविधियों में सीधा हस्तक्षेप है. सिख गुरुद्वारा अधिनियम संसद के अधीन है. सिख समुदाय ने संसद के इस अधिनियम के तहत गुरु घर के संबंध में निर्णय लेने के लिए मतदान कर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का चुनाव किया है.”
कांग्रेस नेता सुखपाल खैरा ने एक ट्वीट में कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है, पंजाब सरकार मौजूदा सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 को केंद्रीय अधिनियम के रूप में संशोधित नहीं कर सकती है.
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