नई दिल्ली: कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि उन्हें फैसले लेने की आजादी दी जाए, नहीं तो वह मुंहतोड़ जवाब देंगे.
दूसरी तरफ, कांग्रेस का कहना है कि पार्टी की राज्य इकाइयों के प्रमुख कांग्रेस के मापदंडों और संविधान के दायरे में रहकर फैसले करने के लिए स्वतंत्र हैं.
इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि अगर राज्य इकाई के प्रमुख फैसले नहीं करेंगे तो कौन करेगा.
सिद्धू ने पहले कहा कि कांग्रेस आलाकमान को उन्हें फैसले करने की आजादी देनी चाहिए और वह सुनिश्चित करेंगे कि कांग्रेस राज्य की सत्ता में अगले 20 साल बनी रहे. उनका कहना है कि उन्होंने इसको लेकर रूपरेखा तैयार की है.
उन्होंने अमृतसर में एक सभा में कहा, ‘पार्टी आलाकमान को निर्णय लेने की आजादी देनी चाहिए, अन्यथा मुंहतोड़ जवाब मिलेगा.’
उनकी इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर रावत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं देखूंगा कि सिद्धू ने किस संदर्भ में यह टिप्पणी की है. वह पंजाब कांग्रेस के सम्मानीय अध्यक्ष हैं. अगर प्रदेश अध्यक्ष फैसले नहीं करेंगे तो कौन करेगा.’
सिद्धू के सलाहकार मलविंदर माली की जम्मू-कश्मीर से जुड़ी विवादित पोस्ट पर रावत ने कहा कि माली ने कहा है कि उन्होंने निजी हैसियत से यह बोला था और इस टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया है, ऐसे में यह मामला खत्म हो गया है.
रावत ने एक सवाल के जवाब में भी यह कहा कि माली को हटाने के बारे में फैसला सिद्धू को करना है कि क्योंकि यह नियुक्ति कांग्रेस की ओर से नहीं की गई है.
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘कोई भी व्यक्ति जो जम्मू-कश्मीर और दूसरे संवेदनशील मुद्दों पर कोई ऐसा बयान देता है जिससे देश के लोगों की संवेदनाओं को चोट पहुंचती है तो हम उसकी निंदा करते हैं. सिद्धू के सलाहकार ने जो कहा है कि उसका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है.’
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