scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीतिपंजाब में लागत बचाने के लिए आप सरकार बड़े किसानों को बिजली सब्सिडी से बाहर करने पर कर रही विचार

पंजाब में लागत बचाने के लिए आप सरकार बड़े किसानों को बिजली सब्सिडी से बाहर करने पर कर रही विचार

हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा पूरा करने के लिए अब भगवंत मान सरकार कुछ फंड जुटाने के तरीकों पर विचार कर रही है.

Text Size:

चंडीगढ़: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब की नई आम आदमी पार्टी सरकार राज्य के बड़े किसानों को अपनी बिजली सब्सिडी योजना से बाहर करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि राज्य सरकार बड़े किसानों को इस योजना से बाहर रखने के मानदंड पर विचार करने और यह तय करने के लिए कि जोत की जमीन के आधार पर कौन किसान बड़े किसान की श्रेणी में आ सकते हैं, एक कमेटी गठित करने का मन बना रही है.

पंजाब में आम आदमी पार्टी हर घर को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के अपने चुनावी वादे को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. अधिकारी ने कहा कि पार्टी अब इस बात पर विचार कर रही है कि इस योजना को कैसे बेहतर तरीके से लागू किया जाए और सब्सिडी देने के वादे को पूरा करने के लिए कैसे फंड जुटाया जाए.

300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा राज्य के सब्सिडी बिल में कम से कम 5,000 करोड़ रुपये का इजाफा कर सकता है.

पंजाब पर कुल 2.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 2020-21 के दौरान राज्य का कुल बिजली सब्सिडी बिल 10,668 करोड़ रुपये का है. इसमें 7,180 करोड़ रुपये किसानों को दी गई बिजली के एवज में दिए गए हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘इस समय कृषि में बिजली सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना जरूरी है.’

सरकारी अनुमान बताते हैं कि 31 मार्च 2022 तक पंजाब में 80 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता, 11.50 लाख कमर्शियल उपभोक्ता, 1.50 लाख औद्योगिक उपभोक्ता और 14 लाख कृषि उपभोक्ता थे. इस समय किसानों के लिए बिजली पूरी तरह से मुफ्त है.

पंजाब के बड़े किसान

एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि पंजाब में जमीन का मालिकाना हक रखने वाले 11 लाख किसान, खेतों में सिंचाई के लिए लगभग 14 लाख ट्यूबवेल का इस्तेमाल करते हैं. इसमें से लगभग 1.6 लाख किसानों के पास 2.5 एकड़ से कम जमीन है. उन्हें सीमांत किसानों के रूप में वर्गीकृत किया गया है. लगभग 2.1 लाख के पास 2.5 से 5 एकड़ (छोटे किसान) और 3.7 लाख के पास 5 से 10 एकड़ (अर्ध-मध्यम किसान) के बीच कृषि योग्य जमीन है.

मोटे तौर पर देखा जाए तो 3.1 लाख किसानों के पास 10 से 25 एकड़ जमीन है और उन्हें मध्यम किसानों के रूप में वर्गीकृत किया गया है. सबसे बड़ी जोत की जमीन – 25 एकड़ से अधिक – 60,000 बड़े किसानों के पास है.

दूसरे अधिकारी ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा पंजाब सरकार को प्रस्तुत की गई 2020 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि कैसे राज्य का सालाना कुल बिजली सब्सिडी का लगभग 56 प्रतिशत उन किसानों को चला जाता है, जिनके पास 10 एकड़ से ज्यादा जोत की जमीन है.

अधिकारी ने कहा कि पंजाब का बिजली बिल सब्सिडी 2019-20 में 6,060 करोड़ रुपये था. मध्यम और बड़े किसानों – यानी 10 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों का उस बिल में 3,407 करोड़ रुपये का योगदान था.

2018 में, पंजाब राज्य किसान और कृषि श्रमिक आयोग ने एक नीति का मसौदा तैयार किया, जिसमें 10 एकड़ से ज्यादा भूमि रखने वाले किसानों के लिए बिजली सब्सिडी योजना को वापस लेने की सिफारिश की गई थी.

यह मुद्दा राज्य में राजनीतिक रूप से कितना संवेदनशील हैं, ये देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह रिपोर्ट को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया था. गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 1997-98 में सभी किसानों के लिए मुफ्त बिजली की घोषणा की थी.

पटियाला में पंजाबी विश्वविद्यालय में पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख आर.एस. घुमन ने कहा कि यह समय योजना पर एक बार फिर से विचार करने का है.

उन्होंने कहा, ‘इस बाबत किए गए कई अध्ययन वर्षों से इसकी सिफारिश करते आ रहे हैं’ वह आगे कहते हैं, ‘जिन किसानों के पास 10 एकड़ से ज्यादा खेती की जमीन है, उनसे मुफ्त बिजली या बिजली सब्सिडी योजना को वापस लेने से सरकार को हर साल लगभग 2,500-3,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: मंदिर और कला प्रदर्शकों को बाहर रखने की संस्कृति- येसुदास से लेकर इस मुस्लिम डांसर की ये है कहानी


 

share & View comments