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Friday, 22 November, 2024
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शराबबंदी 2.0? इलाके में हुआ शराब का व्यापार तो बिहार में 10 साल के लिए नप जाएंगे SHO और चौकीदार

चालीस से अधिक लोगों की जहरीली शराब का पीने के कारण हुई मौत और विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मंगलवार को राज्य के शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ एक लंबी समीक्षा बैठक की.

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पटना: नकली एवं जहरीली शराब के सेवन से चालीस से अधिक लोगों की मौत के लिए विपक्ष की जबरदस्त आलोचना झेल रही नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में शराबबंदी को और कड़ा करने का फैसला किया है. साथ ही, इसे कड़ाई से लागू करने तथा खुफिया जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी राज्य पुलिस पर आ गई है.

अब, स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) अथवा थाना प्रभारी – वह पुलिसकर्मी जिसे थाने की रखवाली करने का काम सौंपा गया है – और चौकीदार द्वारा की गई किसी भी तरह की ढिलाई के लिए उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

मंगलवार को मुख्यमंत्री की राज्य के शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ सात घंटे तक चली मैराथन समीक्षा बैठक से निकला संदेश काफी सरल था: अवैध शराब के धंधे में संलिप्त सरकारी अधिकारियों से पूरी सख्ती से निपटा जाएगा.

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुख्यमंत्री ने कई कड़े निर्देश दिए. जैसे कि उन सीमावर्ती क्षेत्रों के मार्गों की पहचान करना जहां से शराब पुरे बिहार में फैलाई जाती है, खुफिया-जानकारी के एकत्रीकरण को मजबूत करना, और फिर उन पुलिस स्टेशनों की पहचान करना जहां अब तक शराबबंदी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है.’

इस बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस. सिंघल ने कहा कि इस के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अब थानों के प्रभारी अधिकारियों और चौकीदारों पर होगी.

सिंघल ने बताया कि ‘यदि पटना से आने वाली कोई केंद्रीय टीम किसी स्थानीय पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र से शराब बरामद करती है, तो वहां के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया जाएगा और उसे अगले 10 वर्षों तक किसी भी पुलिस स्टेशन (थाने) में तैनात नहीं किया जाएगा. इसके अलावा अगर वह अवैध शराब के धंधे में सांठगांठ करते पाया जाता है तो उसे सेवा से भी बर्खास्त कर दिया जाएगा.‘

उन्होंने आगे कहा कि अवैध शराब व्यापार और इस तरह के अन्य कृत्यों की सूचना नहीं देने के लिए स्थानीय चौकीदार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. उनका कहना था कि, ‘स्थानीय पुलिस अधिकारियों को खुफिया जानकारी जुटाने में चौकीदारों के साथ समन्वय करने के लिए कहा गया है.’

इस साल चार जिलों – मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज और वैशाली – में देशी शराब से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.


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विपक्ष ने नीतीश की समीक्षा बैठकों पर उठाए सवाल

मुख्यमंत्री द्वारा समीक्षा बैठक किये जाने के बाद, विपक्षी नेताओं ने इस तरह के कदमों के प्रति अपनी असहमति दिखाई.

बैठक से ठीक पहले, विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश से कई सवाल पूछे, जिसमें उन्होंने पिछली समीक्षा बैठकों, जिन्हें मुख्यमंत्री नियमित रूप से करते रहते हैं, के बाद उठाए गए कदमों का विवरण मांगा.

तेजस्वी ने अपने एक बयान में कहा, ‘अगर मुख्यमंत्री के निर्देश पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मुख्यमंत्री की विफलता है.’ उन्होंने कहा, ‘आपने कानून के उल्लंघन के लिए पिछड़े तबके के लाखों लोगों को तो जेल में डाल दिया है, लेकिन कृपया जेल में डाले गए शराब माफियाओं की संख्या भी गिनाएं,’ उन्होंने यह भी पूछा कि उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया है?’

उन्होंने दावा किया कि शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में निलंबित किए गए करीब 80 प्रतिशत पुलिस कांस्टेबलों को दुबारा बहाल कर दिया गया है.

यादव ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जैसे नीतीश के सहयोगियों ने भी बिहार में शराबबंदी लागू करने के तरीके की आलोचना की है. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य ही शराब के कारोबार में शामिल हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी ऐसी समीक्षा बैठकों की उपयोगिता पर सवाल उठाया है .

इस कदम के बारे में संदेह की स्थिति

बिहार ने 2016 में शराबबंदी लागू की थी. फिर भी, बिहार आबकारी विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी-अक्टूबर की अवधि में, शराब कानून के उल्लंघन से संबंधित लगभग 50,000 नए मामले दर्ज किए गए हैं.

इसी समय अवधि में अवैध शराब ले जाने के आरोप में 1,200 वाहनों को जब्त किया गया है और साथ ही करीब 38 लाख लीटर अवैध शराब भी जब्त की गई है

पिछले साल, 2019-20 के लिए जारी की गई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 की रिपोर्ट ने संकेत दिया था कि बिहार की 15.5 प्रतिशत पुरुष आबादी शराब का सेवन करती है.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह कतई आश्चर्यजनक नहीं है कि नीतीश के शराब के सूखे वाले कानूनों का हर कोई मजाक उड़ाता है.’

मंगलवार को घोषित किए गए कदम भी इस बारे में किसी तरह का विश्वास जगाने में विफल रहे हैं.

एक सेवानिवृत्त डीजीपी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, ‘किसी पुलिस अधिकारी के ऊपर 10 साल के प्रतिबंध का प्रस्ताव 2017 में ही पेश किया गया था और इसके तहत 11 प्रभारी अधिकारीयों (ऑफिसर इंचार्ज – ओआईसी) को निलंबित भी कर दिया गया था.’

उन्होंने कहा, ‘उन सभी को अदालत के आदेश पर दुबारा बहाल कर दिया गया था. चौकीदार के भी निष्प्रभावी रहने की ही संभावना है. चौकीदार आमतौर पर गांव का ही स्थानीय निवासी होता है और उसके द्वारा अपने ही ग्रामीणों के बारे में जानकारी देकर अपनी जान जोखिम में डालने की कुछ ख़ास संभावना नहीं है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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