scorecardresearch
Friday, 26 July, 2024
होमराजनीतिकिसी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं? आप यक़ीन नहीं करेंगे कि आपको शराब छोड़ने जैसा क्या-क्या करना होगा

किसी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं? आप यक़ीन नहीं करेंगे कि आपको शराब छोड़ने जैसा क्या-क्या करना होगा

कांग्रेस और बीजेपी चाहती हैं कि उनके आवेदक बहुत से संकल्प लें, जबकि कम्यूनिस्ट पार्टियों की एक लंबी और जटिल प्रक्रिया होती है. SP, NCP, तृणमूल में शामिल होना कहीं ज़्यादा आसान है.

Text Size:

नई दिल्ली: एक पखवाड़े पहले प्रदेश कांग्रेस प्रमुखों की एक बैठक में, राहुल गांधी के इस सवाल पर कि यहां कौन कौन पीने वाला है, बहुत से चेहरे शर्म से लाल हो गए थे. ये राहुल के पुराने रुख़ के अनुरूप ही था- कि किसी पीने वाले को सदस्यता से मना करना- एक शर्त जो कांग्रेस के संविधान में आज़ादी के पहले से चली आ रही है- अव्यवहारिक और पुरानी है. जैसा कि कांग्रेस में होता है, 1 नवंबर से जब पार्टी ने अपना सदस्यता अभियान शुरू किया, तो इस मुद्दे पर फैसला अधर में छोड़ दिया गया.

तो अगर आप महत्वाकांक्षी राजनेता हैं, और कभी कभी बेकस (यूनानी मदिरा देवता) और उसके दोस्तों की सोहबत पसंद करते हैं, तो इस समय कांग्रेस पार्टी आपके लिए नहीं है. ना ही लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) है. इन दोनों राजनीतिक दलों ने अपने सदस्यता उपनियमों में शर्त रखी है, कि उनकी सदस्यता के लिए आपको शराब से बचना होगा. संयोग से जो लोग आरजेडी की सदस्यता पाना चाहते हैं, उन्हें शराब बंदी का भी समर्थन करना चाहिए, भले ही पार्टी बिहार में इस क़ानून की समीक्षा की मांग करती आ रही है.

दिप्रिंट विभिन्न पार्टियों के संविधानों पर एक नज़र डालता है, ये देखने के लिए वो कौन से संकल्प, शर्तें, और दूसरी आवश्यकताएं हैं, जिन्हें किसी भी महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ को, उनकी सदस्यता लेने के लिए पूरा करना होगा.

संकल्पों और ज़िम्मेदारियों की भरमार

ऐसा लगता है कि शामिल होने के लिए सबसे आसान पार्टियां हैं एसपी, बीएसपी, एआईएमआईएम, एनसीपी, और तृणमूल कांग्रेस, और सबसे जटिल हैं सीपीआई और सीपीआई (एम).

सभी पार्टियों की सदस्यता के लिए एक सामान्य शर्त ये है, कि आवेदक की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए. आरजेडी एकमात्र पार्टी है जहां न्यूनतम आयु 15 वर्ष है. सभी पार्टियों की एक और आम शर्त ये है, कि आवेदक को किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं होना चाहिए (या, एसपी के मामले में सांप्रदायिक पार्टी).

वाम दलों की सदस्यता के लिए दो सदस्यों को, पार्टी बेंच से आवेदक की सिफारिश करनी होगी, जिसके बाद आवेदन को एक उच्च समिति के पास भेजा जाता है. उसके बाद आवेदक को एक ‘उम्मीदवार सदस्य’ के तौर पर ट्रायल अवधि से गुज़रना होगा, जो सीपीआई(एम) के लिए एक वर्ष, और सीपीआई के लिए छह महीने होगी, जिस दौरान उन्हें पार्टी के संविधान, मूल्यों, और नीतियों पर ‘प्राथमिक शिक्षा’ दी जाती है. साल पूरा होने पर सीपीआई(एम) कमेटी तय करती है, कि क्या वो व्यक्ति तैयार है और पार्टी का सदस्य होने के योग्य है. सीपीआई के मामले में, अगर पार्टी आवेदक की प्रगति से संतुष्ट नहीं है, तो प्राथमिक शिक्षा की अवधि, और छह महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है.

अगर सीपीआई(एम) में शामिल होना कुछ कम कठिन है, तो सभी सदस्यों को संकल्प लेना होता है, कि वो साम्यवाद के सिद्धांतों पर पूरा उतरने का प्रयास करेंगे, और निस्वार्थ भाव से श्रमजीवी वर्ग, मेहनतकश जनता, और देश की सेवा करेंगे, और पार्टी तथा लोगों के हितों को, अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखेंगे.

कांग्रेस तथा बीजेपी में शामिल होने की प्रक्रिया कहीं ज़्यादा सरल है, लेकिन वो अपने उम्मीदवार सदस्यों से बहुत सारी ज़िम्मेदारियों की अपेक्षा रखती हैं. शराब तथा नशीले पदार्थों से दूर रहने की प्रतिबद्धता के आलावा, कांग्रेस के संविधान में सदस्यता के लिए आठ और शर्तें हैं. आवेदक को ‘प्रमाणित खादी का आदी बुनकर’ होना अनिवार्य है, उसे धर्म और जाति के भेदभाव के बिना एकीकृत समाज में विश्वास रखना होगा, शारीरिक श्रम समेत किसी भी कार्य को अंजाम देना होगा, उसके पास सीलिंग क़ानून के अलावा कोई संपत्ति नहीं होगी, और उसे धर्मनिर्पेक्षता, समाजवाद, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को आगे बढ़ाना होगा. इसके अलावा आवेदक को छुआछूत से भी दूर रहना होगा.

दिप्रिंट से बात करते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने कहा, कि पार्टी संविधान इतिहास में एक अलग समय में लिखा गया था, और पिछली सदी में चीज़ों में बहुत तेज़ी से बदलाव आया था. उन्होंने कहा कि ‘पार्टी संविधान को आधुनिक बनाने की ज़रूरत है’.

शराब से बचने और खादी बुनने, तथा शारीरिक श्रम में हिस्सा लेने की ओर इशारा करते हुए, तिवारी ने ये भी कहा कि पार्टी को फिर से सोचने की ज़रूरत है, कि ऐसे बहुत से प्रावधान कितने पालन करने योग्य हैं, चूंकि सामाजिक वास्तविकताएं बदल गई हैं. उन्होंने कहा, ‘उस समय खादी को डाला गया क्योंकि इसका बहुत अलग तरह का भाव था. हमें पूरे संविधान को समकालीन बनाने की ज़रूरत है.

18 करोड़ सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी भी, अपने सदस्यों से बहुत अपेक्षाएं रखती है, लेकिन वो जीवन शैली समायोजन की अपेक्षा, आस्थाओं को लेकर ज़्यादा हैं.

बीजेपी के सदस्यता आवेदन फॉर्म में, इसके आठ-सूत्री संकल्प में सकारात्मक धर्मनिर्पेक्षता (सर्व धर्म संभाव) और एकात्म मानवदर्शन में विश्वास (शामिल होने से पहले ही आवेदक को इस दर्शन को समझना होगा), राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकता की प्रतिबद्धता शामिल हैं. सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर आवेदक को, गांधीवादी दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिससे आगे चलकर एक समतावादी समाज स्थापित हो सके. आवेदक को मूल्यों पर आधारित राजनीति में विश्वास रखना होगा, और एक ऐसे धर्मनिर्पेक्ष राज्य और राष्ट्र की अवधारणा को मानना होगा, जो धर्म पर आधारित नहीं होगा. एक महत्वाकांक्षी बीजेपी सदस्य का जाति, लिंग, या धर्म पर आधारित भेदभाव में भी विश्वास नहीं होना चाहिए.


यह भी पढ़ें : वानखेड़े हों या पंजाब या बंगाल, दलित अधिकार आयोग पर भाजपा का पक्ष लेने का आरोप क्यों लग रहा है?


दिप्रिंट से बात करते हुए बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल ने कहा, कि दीन दयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन की अवधारणा पार्टी के लिए बहुत ज़रूरी थी, क्योंकि उसमें इंसान को सभी चिंताओं के केंद्र में रखा गया था.

उन्होंने कहा, ‘विचारधारा से चलने वाली पार्टी चाहेगी, कि उसके सदस्य कुछ सदस्यों का पालन करें. बीजेपी ग़ैर-तुष्टीकरण, ग़ैर-भ्रष्टाचार, और सबके लिए न्याय में विश्वास रखती है. हम लिखित और व्यवहार दोनों में अपनी विचारधारा का पालन करते हैं. बीजेपी अपनी विचारधारा को लेकर एक जैसी है, कांग्रेस की तरह नहीं जो एक सिरे से दूसरे सिरे पर झूलती रहती है, और स्पष्ट ही नहीं है कि उसकी विचारधारा क्या है’.

मित्तल ने कांग्रेस के संविधान पर भी तंज़ कसा, और कहा कि किसी पार्टी का संविधान स्थिर नहीं, बल्कि एक गतिशील दस्तावेज़ होता है, और इसलिए इसे समय समय पर बदलते रहना चाहिए.

मित्तल ने ज़ोर देकर कहा, ‘कांग्रेस अब अपनी उपयोगिता खो चुकी है. जब उसका संविधान तैयार किया गया, उस समय वो पार्टी जैसी थी उससे अब वो बिल्कुल बदल चुकी है. वो स्वंत्रता संग्राम की विरासत को भुनाने की कोशिश कर रही है, और बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जिनकी अब कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है’.

अन्य पार्टियां क्या करती हैं

ज़्यादातर सियासी पार्टियां भारत के संविधान, और समाजवाद, धर्मनिर्पेक्षता, तथा लोकतंत्र जैसे उसके सिद्धांतों के प्रति निष्ठा की मांग करती हैं. क्षेत्रीय या राज्य-आधारित पार्टियां क्षेत्र और राज्य के लोगों के विकास के वादे की मांग करती हैं.

मसलन, तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) में, तमिल भाषा, संस्कृति, और मूल्यों को बढ़ावा, और करुणानिधि के सभी पांच नारों के प्रति निष्ठा अनिवार्य है. ओडिशा का सत्तारूढ़ बीजू जनता दल एक ऐसे ओडिशा के निर्माण पर बल देता है, जो सभी उड़िया लोगों और उनके आत्म-सम्मान को ऊपर उठाकर, एक भ्रष्टाचार-मुक्त और कल्याणकारी राज्य में ले जाएगा.

कोई भी व्यक्ति एक दान देकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ‘यात्रा’ में शामिल हो सकता है, जबकि 18 वर्ष से ऊपर का कोई भी शख़्स तृणमूल कांग्रेस में शामिल हे सकता है, क्योंकि इसके कोई शर्त या संकल्प नहीं चाहिए.

आम आदमी पार्टी भी, जो दिल्ली के बाद अब गोवा, उत्तर प्रदेश, और गुजरात जैसे सूबों में पैर पसारने की कोशिश कर रही है, एक विस्तृत संविधान रखती है. इसकी एक शर्त सबसे अलग है, कि कोई व्यक्ति उसी सूरत में पार्टी सदस्य बनने योग्य है, यदि उसे ‘नैतिक भ्रष्टता से जुड़े किसी अपराध का दोषी न ठहराया गया हो’. उसमें ये भी प्रावधान है कि ‘अगर उसे नैतिक भ्रष्टता से जुड़े किसी अपराध के लिए, कोई क़ानूनी अदालत दोषी ठहराती है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी’.

आप के एक संस्थापक सदस्य सोमनाथ भारती ने दिप्रिंट को समझाया, कि नैतिक भ्रष्टता का मतलब है कि किसी व्यक्ति पर ऐसे अपराध का आरोप हो, जो समाज में स्वीकार्य नहीं है- कोई ऐसा अपराध जो महिलाओं, भ्रष्टाचार, या हत्या आदि से जुड़ा हो’.

उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी भ्रष्टाचार और उससे जुड़े अपराध के ख़िलाफ लड़ाई में जन्मी थी, इसलिए हम ऐसे अपराधों को बहुत गंभीरता के साथ लेते हैं’.

संदीप कुमार, आसिम अहमद ख़ान, और जितेंदर सिंह तोमर की मिसाल देते हुए, जिन्हें पार्टी से निकाला गया था, भारती ने कहा कि उनके सभी अपराध नैतिक भ्रष्टता के खिलाफ थे.

तोमर एक फर्ज़ी डिग्री विवाद में फंस गए थे; कुमार, जो दिल्ली सरकार के एक पूर्व मंत्री थे, उन्हें एक ‘आपत्तिजनक सीडी’ मामले में गिरफ्तार किया गया, जिसमें उन्हें किसी महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में दिखाया गया था; जबकि ख़ान को अपने चुनाव क्षेत्र में, एक निर्माण की अनुमति देने के लिए, रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित किया गया था.

एक पार्टी जो सदस्यता नियमों के मामले में सबसे लचीली है, वो है असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआईएमआईएम), जिसमें कोई तय शर्तें नहीं हैं. जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस में अनिवार्य है, कि सभी सदस्य आंध्र प्रदेश के विकास और आंध्रवासियों के उत्थान की दिशा काम करें.

‘पार्टियों के संविधान किसी आरा पहेली की तरह’

दिप्रिंट से बात करते हुए समाजशास्त्री शिव विश्वनाथन ने समझाया, कि सभी पार्टियों के निजी संविधान किसी आरा पहेली की तरह ज़्यादा हैं, जिनमें कोई मानक नहीं हैं और कोई दूरदृष्टि नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘आज पार्टियों की राजनीति और उनके संविधान बेहद निराशाजनक हैं. उनमें कोई दूरदृष्टि नहीं है, कोई परिकल्पना नहीं है,और कोई सामान्यता नहीं है. और लगातार बुनाई के लिए आपको इन तीनों की ज़रूरत होती है’.

विशेष रूप से कांग्रेस के बारे में, विश्वनाथन ने उसके संविधान का उल्लेख करते हुए कहा, कि वो ‘किसी फैंसी ड्रेस पार्टी में नाच की पोशाक की तरह है’. खादी और शारीरिक श्रम के प्रावधानों पर रोशनी डालते हुए उन्हें कहा, कि आज के दौर में या तो ये ‘बहुत वैचारिक हैं, या केवल सुंदरता बढ़ाने वाली हैं’.

एनसीपी और टीएमसी के बारे में बोलते हुए, कि किस तरह उनके संविधान ‘ज़्यादा लचीले’ हैं, विश्वनाथन ने कहा कि शरद पवार और ममता बनर्जी दोनों ‘उग्रता से सत्ता के पीछे हैं’ और ज़्यादा सामरिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं.

बीजेपी की कार्यशैली और उसके संविधान की व्याख्या करते हुए शिवनाथन ने कहा: ‘आरएसएस को सिविल सोसाइटी का आईना बनाकर, बीजेपी ने सिविल सोसाइटी को तबाह कर दिया है. बीजेपी के लिए सिर्फ राज्य और आरएसएस मायने रखते हैं’.

विश्वनाथन के अनुसार आप अब एक बर्फ पर नाचने वाली पार्टी बन गई है. उन्होंने समझाया कि नैतिक भ्रष्टता एक ऐसी जीवन शैली से लड़ाई है, जो भ्रष्टाचार पैदा करती है. उनका विचार था कि ‘वर्तमान समय में कोई पार्टी या राजनीतिक संविधान ऐसा नहीं है, जो आशाजनक लगता हो’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments